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गूगल के प्रभुत्व के दुरूपयोग की जाँच

(प्रारंभिक परीक्षा-राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विषय-प्रौद्योगिकी)

संदर्भ 

हाल ही में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने स्मार्ट टीवी सेगमेंट में गूगल के आचरण की जाँच का आदेश दिया है। गूगल पर आरोप है कि स्मार्ट टीवी निर्माताओं के साथ उसके समझौते ने एंड्रॉयड के वैकल्पिक संस्करणों के विकास एवं उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। 

क्या है प्रतिस्पर्धा अधिनियम का कथित उल्लंघन?

  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CII) के आदेश के अनुसार, यदि कोई भी मूल उपकरण निर्माता (Original Equipment Manufacturer- OEM) अपने उत्पादों पर गूगल के ऐप स्टोर को प्री-इंस्टॉल करना चाहता है तो गूगल को उसके साथ दो समझौते करने होंगे। ये दो समझौते ‘टेलीविज़न ऐप डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट’ (TADA) और ‘एंड्रायड अनुकूलता प्रतिबद्धता’ (ACC) हैं। 
  • टाडा समझौते के लिये आवश्यक है कि निर्माता अपने उपकरणों पर गूगल एप्लीकेशन की पूरी संरचना (Entire Suite) को प्री-इंस्टॉल करे, न कि केवल किसी एक एप्लिकेशन को।
  • सी.सी.आई. के अनुसार, गूगल के सभी एप्लिकेशन के अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन की बजाय ओ.ई.एम. को गूगल ऐप छांटने और चुनने की अनुमति देना प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत स्मार्ट टीवी डिवाइस निर्माताओं पर अनुचित शर्त लगाने की तरह है।
  • इसके अलावा, टाडा के लिये यह भी आवश्यक है कि ओ.ई.एम. को ए.सी.सी. के अनुपालन में होना चाहिये। ए.सी.सी. के लिये आवश्यक है कि ओ.ई.एम. अपने किसी भी डिवाइस पर एंड्रॉयड के वैकल्पिक या ‘फोर्कड वर्जनों’ का उपयोग न करें, जिसमें स्मार्टफोन और टैबलेट कंप्यूटर भी शामिल हो सकते हैं।
  • गूगल एंड्रॉयड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट के तहत सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को एंड्रॉयड तक पहुँच प्रदान करता है, जिसके तहत कंपनियाँ एंड्रॉयड के अपने वैकल्पिक संस्करण बना सकती हैं, जिन्हें एंड्रॉयड के फोर्कड वर्जन के रूप में भी जाना जाता है। इसका एक उदाहरण अमेज़ॉन के एंड्रॉयड डिवाइस पर उपयोग किये जाने वाला फायर ओ.एस. (Fire OS) है।
  • इसलिये ए.सी.सी. के तहत, कोई भी निर्माता अपने पोर्टफोलियो में किसी भी डिवाइस पर एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के ऐसे "फोर्कड" संस्करणों का उत्पादन करता है, तो गूगल प्ले स्टोर को प्री-इंस्टॉल नहीं कर पाएगा, जिसे सी.सी.आई. ने उनके किसी भी स्मार्ट टीवी में "मस्ट हैव" ऐप के रूप में वर्णित किया है।
  • सी.सी.आई. ने "प्रथम दृष्टया" माना है कि इन प्रतिबंधों ने एंड्रॉयड के वैकल्पिक संस्करण विकसित करने के लिये निर्माताओं को हतोत्साहित किया है। यह भी प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन है।

सी.सी.आई. के अनुसार क्यों है गूगल प्ले स्टोर एक मस्ट हैव ऐप?

  • सी.सी.आई. ने अनुमान लगाया कि भारत के स्मार्ट टीवी सेगमेंट में गूगल की 65 प्रतिशत बाज़ार हिस्सेदारी है और यह नेटवर्क प्रभाव अधिक उपयोगकर्ताओं, ओ.ई.एम. और ऐप डेवलपर्स को आकर्षित करेगा।
  • सी.सी.आई. ने पाया कि स्मार्ट टीवी क्षेत्र में गूगल के ऐप स्टोर के प्रभुत्व ने इसे एक "मस्ट हैव" ऐप बना दिया है। डिवाइसों पर इस ऐप के न होने से एंड्रॉयड डिवाइसों की मार्केटिंग क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

गूगल का रुख

  • गूगल ने सी.सी.आई. को बताया कि टाडा समझौता (जो गूगल ऐप्स का एक सूट प्रदान करता है) वैकल्पिक है और स्मार्ट टीवी पर गूगल प्ले स्टोर स्मार्टफोन या टैबलेट जैसे अन्य एंड्रायड उपकरणों की तुलना में कम महत्त्वपूर्ण है।
  • गूगल ने यह भी दावा किया है कि ए.सी.सी. को "न्यूनतम स्तर की आधारभूत अनुकूलता की आवश्यकता होती है"। साथ ही, स्मार्ट टीवी क्षेत्र में स्थापित खिलाड़ियों और एंड्रॉयड टीवी के बीच प्रतिस्पर्धा की सुविधा प्रदान करता है क्योंकि गूगल इस क्षेत्र में कोई प्रमुख खिलाड़ी नहीं है।
  • साथ ही, गूगल ने कहा है कि भारत में स्मार्ट टीवी क्षेत्र इसके मुफ्त लाइसेंसिंग मॉडल के कारण फल-फूल रहा है और एंड्रॉयड टीवी अच्छी तरह से स्थापित टी.वी. ओ.एस., जैसे-फायर ओ.एस., टिज़ेन और वेब ओ.एस. के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि सी.सी.आई. ने पहले ही एंड्रॉयड मोबाइल फोन बाज़ार में ‘प्रभुत्व के दुरुपयोग’ के लिये गूगल की जाँच का आदेश दिया है, जो मोबाइल फोन निर्माताओं पर समान शर्तें लगाने के लिये निर्माताओं की एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के वैकल्पिक संस्करणों को चुनने की क्षमता को प्रतिबंधित करता है।
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