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पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ 

  • वर्तमान में वैश्विक जनसंख्या गतिशीलता की बहुआयामी चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य या पुरुष बंध्यता (Male Infertility) पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। 
  • पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य की उपेक्षा इससे प्रभावित लोगों पर भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक बोझ बढ़ाती है और प्रभावी समाधान में भी बाधा डालती है।

पुरुष बंध्यता के बारे में 

  • पुरुषों में बंध्यता शुक्राणु की अनुपस्थिति, शुक्राणुओं की कम संख्या, शुक्राणुओं की कम गतिशीलता के रूप में प्रकट हो सकती है। 
  • बंध्यता का रूप विभिन्न कारकों पर निर्भर हो सकता है। इसमें शामिल हैं : 
    • आतंरिक कारक : तनाव; हार्मोनल असंतुलन; आनुवंशिक, शारीरिक एवं एपिजेनेटिक कारक तथा कुछ संक्रमणों के संपर्क में आना 
    • बाह्य कारक : पर्यावरण प्रदूषण; फसलों, प्लास्टिक एवं प्लास्टिसाइज़र पर कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग 
      • प्लास्टिसाइज़र (Plasticizer) एक ऐसा पदार्थ है जिसे किसी सामग्री को मुलायम व अधिक लचीला बनाने, उसकी प्लास्टिसिटी बढ़ाने, उसकी श्यानता (Viscosity) कम करने और संचालन के दौरान घर्षण को कम करने के लिए उसमें मिलाया जाता है।
    • जीवनशैलीजन्य कारक : आहार, नींद का  पैटर्न, कार्य की प्रकृति, शराब व तंबाकू का सेवन और युवाओं में देर से विवाह करने की बढ़ती प्रवृति 

पुरुष बंध्यता की वैश्विक स्थिति 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वर्ष 2004 के एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 60-80 मिलियन युगल बंध्यता (Infertility) की समस्या का सामना कर रहे हैं। 
  • इसके अनुसार लगभग 13-19 मिलियन भारतीय युगल बंध्यता की समस्या का सामना कर रहे हैं। 
    • पर्यावरण प्रदूषण एवं प्रतिकूल जीवनशैली में बदलाव जैसे कारकों के कारण इसमें और वृद्धि की संभावना है। 
  • देश में बंध्यता के कुल मामलों में से 50% मामले ‘पुरुष बंध्यता’ के हैं। इसलिए, पुरुष बंध्यता के कारणों को समझना और प्रभावित युगलों की सहायता के लिए समाधानों की पहचान करना महत्वपूर्ण है।
  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार सहायक प्रजनन तकनीक (ART) क्लीनिकों की मान्यता, पर्यवेक्षण एवं विनियमन (2005) पर आधारित भारत में बंध्यता का सटीक अनुमान अभी भी नहीं है।

पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपाय 

जागरूकता प्रसार 

  • प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य और इसे प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जागरूक होना आवश्यक है। माता-पिता को अपने पुत्रों को इस मुद्दे पर शिक्षित करना चाहिए। 
  • माध्यमिक विद्यालय से लेकर कॉलेज तक की प्रारंभिक अवधि के दौरान जागरूकता प्रसार महत्त्वपूर्ण है। 

स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाना 

  • व्यक्तिगत स्तर पर युवा पुरुषों को स्वस्थ्य आहार के साथ नींद के नियमित पैटर्न को सुनिश्चित करते हुए शराब, तंबाकू व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • मोबाइल फोन एवं लैपटॉप को शरीर के निकट रखकर अत्यधिक उपयोग से बचना चाहिए। नियमित व्यायाम, योग एवं ध्यान स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में सहायक हैं। 

बंध्यता के लिए उपलब्ध उपचार 

  • मेडिकल प्रोफेशनल की मदद लेना व वीर्य का नियमित विश्लेषण 
    • वीर्य का नियमित विश्लेषण दो से सात दिनों की यौन संयम अवधि (WHO द्वारा अनुशंसित) के बाद किया जाता है।
    • अवरुद्ध शुक्राणु प्रवाह, अंडकोष का उतरना या मूत्रमार्ग द्वार में असामान्यता से संबंधित समस्या को सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। 
  • शुक्राणु की अनुपस्थिति होने पर इंट्रा साइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) जैसे उपचार
    • इसमें प्रयोगशाला में किसी व्यक्ति के अंडों में जीवित शुक्राणु को इंजेक्ट करना शामिल है।
  • युगल के पास डोनर स्पर्म इनसेमिनेशन या गोद लेने का विकल्प 
  • शुक्राणुओं की संख्या एवं गतिशीलता दोनों कम होने पर अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (Intrauterine Insemination : IUI), इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) और आई.सी.एस.आई. का विकल्प  
    • IUI एक प्रजनन उपचार है जो शुक्राणु (स्पर्म) को अंडे (Egg) को निषेचित करने का बेहतर मौका प्रदान करता है।
    • जीन उत्परिवर्तन के कारण पुरुष बंध्यता के मामलों में आई.वी.एफ. और आई.सी.एस.आई. जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों का सहारा लेने से पहले आनुवंशिक परामर्श अत्यंत महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष 

वर्तमान में भारत में कई विवाहित युगल बंध्यता की समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए प्रजनन स्वास्थ्य पर खुली एवं जानकारीपूर्ण चर्चा की तत्काल आवश्यकता है। पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दे पर जागरूकता निर्माण, यौन शिक्षा एवं समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप युगलों को माता-पिता बनने में सहायक हो सकते हैं। पुरुष बंध्यता से जुड़ी वर्जनाओं को समाप्त करके अधिक सहायक वातावरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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