(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ, विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व से संबंधित विषय) |
संदर्भ
दिल्ली उच्च न्यायालय ने विगत वर्ष एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्णय दिया था कि जाति, धर्म या भाषाई अर्थ के नामों वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की मांग वाली याचिका पर निर्णय संसद को लेना होगा क्योंकि यह न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार के दायरे में नहीं आता है। वर्तमान लोकसभा चुनावों के दौरान यह पुन: चर्चा में है।
पंजीकृत दल (Registered Party) से संबंधित प्रमुख तथ्य
मानदंड
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RPA) की धारा 29 ए भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के साथ किसी राजनीतिक दल के पंजीकरण के लिए आवश्यक शर्तों को निर्धारित करती है।
- ये शर्तें निम्नलिखित हैं :
- पंजीकरण चाहने वाले किसी भी राजनीतिक दल को अपने ज्ञापन (संविधान) की एक प्रति जमा करनी होगी।
- ऐसे दस्तावेज़ में यह घोषणा होनी चाहिए कि उक्त राजनीतिक दल भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था एवं निष्ठा रखेगा।
- वह समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति भी निष्ठा रखेगा।
- भारत की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता बनाए रखेगा।
लाभ
- पंजीकृत राजनीतिक दलों को निम्नलिखित विधिक लाभ प्राप्त हैं :
- आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13ए के तहत प्राप्त दान पर कर छूट
- लोकसभा/राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव लड़ने के लिए सामान्य प्रतीक
- चुनाव प्रचार के दौरान बीस 'स्टार प्रचारक' घोषित करने की अनुमति
- भारतीय निर्वाचन आयोग के अनुसार, वर्तमान में भारत में लगभग 2,790 सक्रिय पंजीकृत राजनीतिक दल हैं।
- एक पंजीकृत दल को पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (Registered Unrecognised Political Party : RUPP) कहा जाता है।
क्या हैं मान्यता प्राप्त दल (Recognised Party)
मानदंड
- भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव प्रतीक (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 (प्रतीक आदेश) के प्रावधानों के तहत राजनीतिक दलों को 'राष्ट्रीय' या 'राज्य स्तरीय' दलों के रूप में मान्यता दी जाती है।
- राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय दलों की मान्यता के लिए निम्नांकित मानदंडों में से कम-से-कम एक मानदंड का पूर्ण करना आवश्यक है।
राष्ट्रीय दल के लिए मानदंड
- दल को लोकसभा या विधानसभा चुनावों में चार या अधिक राज्यों में डाले गए वोटों का कम-से-कम 6% प्राप्त होना चाहिए और उसके पास कम-से-कम चार लोकसभा सदस्य भी होने चाहिए।
- दल ने लोकसभा की कम-से-कम 2% सीटें हासिल की हो और ये सदस्य कम-से-कम तीन राज्यों से निर्वाचित हुए हों।
- कम-से-कम चार राज्यों में इसे राज्य स्तरीय दल की मान्यता प्राप्त हो।
राज्य स्तरीय दल के लिए मानदंड
- राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता के लिए किसी दल को कम-से-कम 6% वैध वोट और विधानसभा चुनावों में दो सीटें या लोकसभा चुनावों में एक सीट हासिल करनी होगी।
- विधानसभा चुनाव में दल ने राज्य की विधानसभा में 3% सीटें हासिल की हों (न्यूनतम 3 सीटें)।
- लोकसभा चुनाव में दल ने राज्य के लिए आवंटित प्रत्येक 25 लोकसभा सीटों में से 1 लोकसभा सीट हासिल की हो।
- लोकसभा या विधानसभा चुनाव में दल को किसी राज्य में 8% वोट प्राप्त हुए हों।
- भारतीय निर्वाचन आयोग के अनुसार, वर्तमान में 6 'राष्ट्रीय दल’ एवं 61 'राज्य स्तरीय दल’ हैं जिन्हें मान्यता प्राप्त है।
लाभ
- चुनाव के दौरान आरक्षित चुनाव चिह्न
- चालीस 'स्टार प्रचारकों' की अनुमति
- कार्यलयों के लिए राष्ट्रीय राजधानी (राष्ट्रीय दल) एवं राज्य की राजधानी (राज्य स्तरीय) में भूमि आवंटन
राजनीतिक दलों से संबंधित मुद्दे
निर्वाचन प्रक्रिया में भाग न लेना
- वर्तमान में एक-तिहाई से भी कम पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP) निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
- हालाँकि आर.पी. अधिनियम चुनाव लड़ने, पार्टी में आंतरिक चुनाव कराने या अपेक्षित रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने पर भारतीय निर्वाचन आयोग को किसी भी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने की स्पष्ट शक्तियाँ प्रदान नहीं करता है।
ई.सी.आई. की सीमित शक्ति
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाम सामाजिक कल्याण संस्थान एवं अन्य (2002) वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि भारतीय निर्वाचन आयोग के पास आर.पी. अधिनियम के तहत किसी भी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति नहीं है।
- भारतीय निर्वाचन आयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में ही पंजीकरण रद्द कर सकता है, जैसे-
- धोखाधड़ी से पंजीकरण प्राप्त करना
- राजनीतिक दल द्वारा संविधान के प्रति निष्ठा न रखना
- सरकार द्वारा इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया जाना।
- आदर्श आचार संहिता वोट सुरक्षित करने के लिए जाति एवं सांप्रदायिक भावनाओं का उपयोग करने व मतदाताओं को रिश्वत देने या डराने-धमकाने पर रोक लगाती है।
- हालाँकि, मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल विभिन्न अवसरों पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन करने पर भारतीय निर्वाचन आयोग केवल नेताओं के चुनाव प्रचार पर केवल कुछ दिन के लिए प्रतिबंध आरोपित करता है।
विशेष रियायतों का दुरूपयोग
ऐसी संभावना है कि निर्वाचन में भाग न लेने वाले आर.यू.पी.पी. आयकर छूट का दुरुपयोग करने के साथ ही एकत्र किए गए दान (चंदे) का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए करते हैं।
आगे की राह
- चुनाव सुधारों के लिए अपने ज्ञापन (2016) में भारतीय निर्वाचन आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन का सुझाव दिया है जो ई.सी.आई. को किसी दल का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार देगा।
- विधि आयोग ने 'चुनावी सुधार' पर अपनी 255वीं रिपोर्ट (2015) में किसी राजनीतिक दल के लगातार 10 वर्षों तक चुनाव लड़ने में विफल रहने पर उसका पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश की है।
- प्रतीक आदेश के पैराग्राफ 16 ए के तहत ई.सी.आई. के पास एम.सी.सी. का पालन न करने या आयोग के वैध निर्देशों का पालन करने में विफल रहने के लिए किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की मान्यता को निलंबित करने या वापस लेने की शक्ति है।
- इसका उपयोग संभवतः केवल एक बार वर्ष 2015 में तीन सप्ताह के लिए किया गया था जब ई.सी.आई. के निर्देशों का पालन करने में विफल रहने के कारण नेशनल पीपुल्स पार्टी की मान्यता निलंबित कर दी गई थी।
- इस प्रावधान के तहत सख्त कार्रवाई से एम.सी.सी. का पालन सुनिश्चित करने में लाभकारी प्रभाव पड़ेगा।