प्रारंभिक परीक्षा के लिए - कालेसर राष्ट्रीय उद्यान मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - पर्यावरण संरक्षण
सन्दर्भ
हाल ही में, कालेसर राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघ को कैमरा ट्रैप में देखा गया।
इससे पहले कालेसर राष्ट्रीय उद्यान में बाघ को अंतिम बार वर्ष 1913में देखा गया था।
कालेसर राष्ट्रीय उद्यान
यह हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी मेंहरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित है।
यह तीन राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और उत्तर प्रदेश) के साथ सीमा साझा करता है।
पूर्व में यमुना नदी उत्तर प्रदेश के साथ पार्क की सीमा बनाती है।
इसे 8 दिसंबर 2003 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम परिसर के अंदर स्थित एक मंदिर (कालेसर महादेव मंदिर) के नाम पर रखा गया।
मुगल और ब्रिटिश काल में इसे शिकार के मैदान के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
कालेसर राष्ट्रीय उद्यान, हिमाचल के सिरमौर जिले में सिम्बलबारा राष्ट्रीय उद्यान के निकट है।
ये दोनों उद्यान जंगल के माध्यम से उत्तराखंड के राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े हुए हैं।
कालेसर राष्ट्रीय उद्यान में रीसस मकाक, तेंदुए, घोरल, भौंकने वाले हिरण, सांभर, चीतल, अजगर आदि जैसे कई जानवर पाए जाते हैं।
सेमुल, बहेड़ा, अमलतास, शीशम, खैर, सेन यहाँ पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
भारत में बाघ संरक्षण
भारत में भारतीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा वर्ष 1972में शेर के स्थान पर बाघ को राष्ट्रीय पशु के रूप में स्वीकार किया गया।
वर्ष 1973 में 9 टाइगर रिजर्व के साथ प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी।
वर्ष 2023 तक देश में टाइगर रिजर्व की संख्या 53 हो गयी है, जिनका कुल क्षेत्रफल 75,796 वर्ग किमी है, जो भारत के भूमि क्षेत्र का लगभग 2.3% है।
केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के तहत बाघों की स्मार्ट निगरानी के लिये एक कार्यक्रम ‘मोनीटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस’ (MSTrIPES)शुरू किया गया।
बाघों के संरक्षण को प्रोत्साहन देने हेतु प्रति वर्ष 29 जुलाई को ‘विश्व बाघ दिवस’ मनाया जाता है।
बाघ की संरक्षण स्थिति
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 - अनुसूची I
प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) रेड लिस्ट - लुप्तप्राय
वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) - परिशिष्ट I