चर्चा में क्यों?
हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) ने तेलंगाना सरकार द्वारा कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को दी गई मंज़ूरी को पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन माना है।
मुख्य बिंदु
- एन.जी.टी. ने राज्य सरकार को अगले आदेश तक पेयजल आपूर्ति को छोड़कर परियोजना के सभी कार्यों पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
- साथ ही, एन.जी.टी. ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा दी गई मंज़ूरी में पूर्वव्यापी कई प्रक्रियागत अनियमितताओं की भी अनदेखी की गई है।
- एन.जी.टी. ने इस परियोजना से हुए पर्यावरणीय नुकसान तथा इसका आकलन करने हेतु पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति (Expert Committee) गठित करने को कहा है।
- यह समिति राहत और पुनर्वास हेतु उपायों के सम्बंध में भी सुझाव देगी।
- एन.जी.टी. का कहना है राज्य सरकार ने मंज़ूरी के प्रस्ताव में केवल पेयजल आपूर्ति से सम्बंधित पक्षों को ही रखा था।
एन.जी.टी. के निर्णय का प्रभाव
- इस परियोजना से लाभान्वित हो रहे किसानों को अब सिंचाई सम्बंधी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
- इस निर्णय से राज्य सरकार की पर्यावरण प्रतिबद्धताओं पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है।
कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP)
- यह विश्व की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय लिफ्ट सिंचाई और पेयजल परियोजना है, जो तेलंगाना राज्य में स्थित है।
- इस परियोजना का उद्देश्य तेलंगाना राज्य को पेयजल और सिंचाई हेतु जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
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- यह परियोजना गोदावरी नदी पर स्थित है, जिसमें गोदावरी नदी के पानी को लिफ्ट करने हेतु 139 मेगावाट की क्षमता का दुनिया का सबसे बड़ा पम्पिंग स्टेशन बनाया गया है।
- इससे पहले अमेरिका में कोलोराडो नदी पर निर्मित वाटर लिफ्ट परियोजना तथा लीबिया (अफ्रीका) में मानव निर्मित नदी पर बनी वाटर लिफ्ट परियोजना सबसे बड़ी वाटर लिफ्ट परियोजनाएँ थीं।