प्रारंभिक परीक्षा – कुई भाषा, संविधान की 8वीं अनुसूची मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 1, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 2 – भारत की विविधता, भारतीय संविधान
सन्दर्भ
हाल ही में ओडिशा कैबिनेट ने 'कुई' भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
कुई भाषा
कुई भाषा, कंध समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक दक्षिण-पूर्वी द्रविड़ भाषा है।
इसे कंध, खोंडी, खोंड, खोंडो के नाम से भी जाना जाता है
ऐतिहासिक काल में इसे कुइंगा भाषा भी कहा जाता था।
यह मुख्य रूप से ओडिशा राज्य में बोली जाती है।
इसका द्रविड़ परिवार की अन्य भाषाओं जैसे गोंडी और कुवी से गहरा संबंध है।
कुई पारंपरिक रूप से उड़िया लिपि का प्रयोग करके लिखी जाती है।
संविधान की 8वीं अनुसूची
संविधान के अनुच्छेद 344(1) तथा 351 में आठवीं अनुसूची से संबंधित प्रावधान दिये गए हैं।
अनुच्छेद 344(1) में यह प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति संविधान लागू होने के पाँच वर्ष पश्चात् तथा उसके बाद पुनः दस वर्ष की समाप्ति पर एक आयोग का गठन करेगा।
इस प्रावधान के अनुसार वर्ष 1955 में राष्ट्रपति द्वारा बी.जी.खेर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया, जिसने वर्ष 1956 में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी।
संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ का कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा के प्रसार को बढ़ावा दे, जिससे यह हिन्दुस्तानी तथा आठवीं अनुसूची में निर्दिष्ट अन्य भाषाओं के रूप, शैली तथा अभिव्यक्ति में हस्तक्षेप किये बिना सभी के लिये अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कार्य कर सके।
वर्तमान में संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं, जिनमें से 14 भाषाओं को मूल संविधान में शामिल किया गया था।
सिंधी भाषा को वर्ष 1967 में तथा कोंकणी, मणिपुरी व नेपाली भाषा को वर्ष 1992 में शामिल किया गया।
इसके पश्चात् वर्ष 2004 में बोडो, डोगरी, मैथिली तथा संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
आठवीं अनुसूची में किसी भी भाषा को शामिल करने के लिये कोई निश्चित मानदंड नहीं है।