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बंगाल की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ 

बंगाल की खाड़ी आस-पास के देशों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक केंद्र और तीव्र भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का क्षेत्र है। क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

बंगाल की खाड़ी का आर्थिक महत्त्व 

  • बंगाल की खाड़ी की सीमा से लगे देशों, जैसे- भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड एवं श्रीलंका को निम्न लाभ प्राप्त हैं : 
    • समुद्री व्यापार
    • मत्स्ययन 
    • तेल एवं गैस जैसे अपतटीय संसाधनों की प्राप्ति 
    • उद्योगों के विकास को बढ़ावा
    • सरल आजीविका की उपलब्धता 
    • समुद्री एवं नौसेना प्रशिक्षण स्थल और रक्षा प्रौद्योगिकी परीक्षण स्थल 

बंगाल की खाड़ी : भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का केंद्र 

भारत-चीन के मध्य प्रतिस्पर्धा 

  • इस क्षेत्र में एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य है, जहाँ भारत एवं चीन के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा है। भारत एवं चीन के बीच प्रतिस्पर्धा आर्थिक हितों से परे भू-राजनीतिक व सुरक्षा चिंताओं तक विस्तृत है।
  • महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों से निकटता होने और हिंद महासागर तक पहुँच का व्यापक प्रवेश द्वार होने के कारण दोनों देश इस क्षेत्र को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं।
  • भारत एवं चीन के रणनीतिक हितों के कारण नौसेना की उपस्थिति, तटीय बुनियादी ढाँचे के विकास और खाड़ी राज्यों के साथ राजनयिक जुड़ाव में वृद्धि के साथ ही इस प्रतिद्वंद्विता का समुद्री सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
  • यह प्रतिस्पर्धा केवल आर्थिक या सैन्य क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें सॉफ्ट पावर कूटनीति एवं क्षेत्रीय संस्थानों को आकार देने के प्रयास भी शामिल हैं।

हिंद-प्रशांत ढाँचा एवं बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव

  • बंगाल की खाड़ी का रणनीतिक महत्व हिंद-प्रशांत ढांचे एवं चीन की बेल्ट एंड रोड पहल सहित व्यापक भू-राजनीतिक गतिशीलता से बढ़ गया है।
  • भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में इस इलाके का महत्व समुद्री सुरक्षा, आर्थिक विकास एवं राजनीतिक स्थिरता के अंतर्संबंध को रेखांकित करता है। 

क्षेत्रीय देशों का दृष्टिकोण   

  • खाड़ी राज्यों (देशों) का दृष्टिकोण भू-राजनीतिक तनाव के प्रबंधन एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देने के साथ क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक महत्त्व को संतुलित करना रहा है। 
  • क्षेत्रीय देशों ने प्रमुख व्यापारिक मार्गों को सुरक्षित करने, कनेक्टिविटी बढ़ाने एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने जैसे गैर-पारंपरिक लक्ष्यों को प्राथमिकता देकर आम सहमति बनाने की भी मांग की है। 

बंगाल की खाड़ी में चुनौतियाँ 

संसाधन एवं सुरक्षा संबंधी मुद्दे 

  • इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं : 
    • अवैध मछली पकड़ना
    • मादक पदार्थों की तस्करी
    • मानव एवं पशु तस्करी 
    • चक्रवात, बाढ़ एवं कटाव और जल असुरक्षा जैसी प्राकृतिक आपदाएँ
    • सशस्त्र डकैती 

संकट प्रतिक्रिया पर मंद प्रगति 

  • भारत के सुरक्षा प्रयासों ने समुद्री प्रशासन एवं संकट प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया है। 
    • विशेष रूप से अवैध मत्स्ययन के विरुद्ध कार्यवाई में प्रगति धीमी रही है।
    • अपर्याप्त डाटा संग्रह एवं पड़ोसी तटरक्षकों के बीच सीमा पार तनाव के कारण यह समस्या अधिक जटिल हो गई है।

अवैध प्रवासन

दक्षिण-पूर्व एशिया में म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त के अनुसार, वर्ष 2023 में बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी मूलत: म्यांमार और फिर बांग्लादेश से अंडमान सागर एवं बंगाल की खाड़ी के माध्यम से समुद्री मार्गों का प्रयोग किया।

नशीले पदार्थों की तस्करी 

इस क्षेत्र में नशीली दवाओं की तस्करी में वृद्धि हुई है जो गोल्डन ट्राएंगल के माध्यम से दक्षिण-एशिया में नशीली दवाओं की आपूर्ति कर रही है। 

समुद्री सुरक्षा के विभिन्न दृष्टिकोण

गतिशील क्षेत्र के रूप में 

  • सुरक्षा गतिशीलता के अंतर्गत बंगाल की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा आतंकवाद, तस्करी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन जैसी गैर-पारंपरिक मानव सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए काफी हद तक संस्थागत तंत्र पर निर्भर करती है। 
    • अवैध मछली पकड़ने, जबरन प्रवासन, समुद्री संरक्षण एवं पर्यावरण सुरक्षा को संबोधित करने के लिए क्षेत्रीय सरकारों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
  • बंगाल की खाड़ी को एक सुसंगत समुद्री क्षेत्र के रूप में देखा जाता है जिसमें जैविक अंतर्संबंध कनेक्टिविटी, वृद्धि एवं आर्थिक विकास की सुविधा प्रदान करते हैं। खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग के लिए वाणिज्य, कनेक्टिविटी एवं संस्कृति प्रेरक कारक हैं। 
  • इस दृष्टिकोण का उद्देश्य विवादास्पद मामलों पर संघर्ष को कम करना और उन क्षेत्रों में सहयोग को अधिकतम करना है जहाँ क्षेत्रीय राज्य साझेदारी के लिए सहमत हैं।

रणनीतिक ढाँचे के रूप में स्थापना 

  • राजनीतिक विशेषज्ञ बंगाल की खाड़ी को हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपप्रणाली के रूप में देखते हैं जहाँ क्षेत्रीय सरकारों के बीच रणनीतिक संपर्क मजबूत सुरक्षा साझेदारी के माध्यम से समुद्री सुरक्षा उद्देश्य को पूरा करते हैं।
  • इस दृष्टिकोण के अनुसार, बंगाल की खाड़ी का मूल्यांकन अलग से नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इस क्षेत्र के कई रणनीतिक हितधारक अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियां हैं। 
  • इसके अनुसार खाड़ी क्षेत्र में चीन का काफी प्रभाव है जहाँ कई क्षेत्रीय देश बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए चीनी सहायता एवं  निवेश पर निर्भर हैं।
  • विश्लेषक चीन के सैन्य क्षमता निर्माण प्रयासों या पूर्वी हिंद महासागर में नौसैनिक तैनाती को भारत के लिए गंभीर खतरा नहीं मानते हैं। 
    • उनका मानना है कि चीन के आउटरीच के कुछ पहलू दक्षिण-एशिया में बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण में एक महत्वपूर्ण अंतराल को कम करते हैं। 

बफ़र क्षेत्र के रूप में  

  • बंगाल की खाड़ी क्षेत्र को पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र एवं पश्चिमी प्रशांत महासागर के बीच एक रणनीतिक बफर के रूप में देखा जाता है। 
  • इस दृष्टिकोण के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में सुरक्षा गतिशीलता चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक बड़ी प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करती है।
  • विश्लेषकों का तर्क है कि दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के चौराहे पर स्थित खाड़ी की रणनीतिक स्थिति इसे एशिया की शक्तिशाली नौसेनाओं के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के लिए उत्प्रेरक बनाती है। 
  • यह दृष्टिकोण भू-राजनीति एवं शक्ति प्रतिद्वंद्विता को समुद्री सुरक्षा के केंद्र में रखती है।

विभिन्न देशों के दृष्टिकोण 

भारत 

  • भारत बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भूमिका निभाता है जहाँ भारतीय नौसेना प्राथमिक सुरक्षा प्रदाता एवं क्षेत्रीय सहयोग के लिए भागीदार के रूप में कार्य करती है।
  • भारतीय नौसेना समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने, स्थिरता बनाए रखने और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए पड़ोसी नौसेनाओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी है। 
    • हालाँकि, वर्तमान में भारत को दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती समुद्री उपस्थिति से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 
  • भारत बंगाल की खाड़ी में रणनीतिक चुनौतियों को पहचानने के साथ ही क्षेत्रीय राज्यों (देशों) के हितों को संतुलित करना चाहता है। 
  • भारत के लिए प्रमुख दुविधा यह है कि चीन अन्य खाड़ी राज्यों के लिए एक विकास भागीदार बना हुआ है।
    • इस क्षेत्र के राष्ट्रों को समुद्री क्षेत्र में भारतीय सहायता से लाभ होता है लेकिन वे चीन द्वारा उत्पन्न खतरों पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं रहते हैं।  
  • तटीय क्षेत्रों में अनियमित खतरों से निपटने के संबंध में उनके दृष्टिकोण अलग-अलग हैं।
  • वर्ष 2016 में गोवा में संयुक्त ब्रिक्स-बिम्सटेक आउटरीच शिखर सम्मेलन के दौरान भारत द्वारा शुरू किए गए इसके पुनरुद्धार के बाद से बिम्सटेक समूह के भीतर चर्चा कानून प्रवर्तन, खुफिया जानकारी साझा करने एवं समुद्री सुरक्षा के आसपास केंद्रित रही है।
  • इन मुद्दों पर बल देने के बावजूद खाड़ी देशों के प्रमुखों ने मुक्त व्यापार, पावर ग्रिड एवं परिवहन कनेक्टिविटी जैसी विकास संबंधी चिंताओं को प्राथमिकता देना जारी रखा है।
  • प्रमुख क्षेत्रीय हितधारक के रूप में भारत ने सदस्य देशों से कनेक्टिविटी, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा सुरक्षा एवं प्रौद्योगिकी समाधानों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है।
  • भारत ने खाड़ी राज्यों के बीच एक तटीय शिपिंग समझौते पर बल दिया है जो देशों के बीच माल परिवहन के समय एवं लागत को कम करेगा।
  • भारत बंगाल की खाड़ी के लिए एक महासागर-आधारित नीली अर्थव्यवस्था की रूपरेखा विकसित करने और भविष्य के सुरक्षा सहयोग के लिए बारीकी से काम कर रहा है। 
  • अक्तूबर 2023 में गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में भविष्य के संबंधों को निर्देशित करने के लिए चार सिद्धांत प्रस्तुत किए।
    • इन प्रस्तावित सिद्धांतों में से एक समुद्री कानून, सूचना साझाकरण, रणनीति निर्माण, प्रोटोकॉल एवं प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण जैसी सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं पर केंद्रित एक कार्यतंत्र स्थापित करना है। 
    • भारतीय नौसेना ने समुद्री कानून, समुद्री-जनित नशीले पदार्थों के व्यापार से निपटने, समुद्री निगरानी एवं पर्यावरणीय प्रबंधन में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाकर प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण पहलू के विकास का नेतृत्व करने की तत्परता व्यक्त की। 

बांग्लादेश

भारत के मुख्य रूप से क्षेत्रीय प्रभुत्व बनाए रखने, समुद्री संचार और तटीय हितों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के विपरीत बांग्लादेश विशेष रूप से अपने विस्तृत डेल्टा क्षेत्र में अवैध मत्स्ययन एवं मानव तस्करी जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने को प्राथमिकता देता है। 

म्यांमार 

आंतरिक संघर्षों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित होने के कारण म्यांमार प्राय: इस क्षेत्र में बाह्य समुद्री सुरक्षा चिंताओं एवं संसाधनों को कम प्राथमिकता देता है।

श्रीलंका 

  • श्रीलंका ने आर्थिक संबंधों में विविधता लाने और प्रभावशाली शक्तियों के हितों को संतुलित करने के लिए अपनी भू-रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश की है। 
  • भारतीय आपत्तियों के बावजूद श्रीलंका द्वारा चीनी अनुसंधान एवं सर्वेक्षण जहाजों को हंबनटोटा में उतरने की अनुमति देना श्रीलंकाई जल क्षेत्र में सुरक्षा पर दोहरे रुख का संकेत देता है। 

थाईलैंड

  • थाईलैंड ने चीन के प्रति एक खुला दृष्टिकोण अपनाया है। थाई राष्ट्रपति ने अक्तूबर 2023 में चीन में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के 10 वर्ष पुरे होने के समारोह में भाग लिया था।
    • हालाँकि, थाईलैंड बिम्सटेक के भीतर सर्वसम्मति-आधारित निर्णयन को  प्राथमिकता देता है। 

समुद्री सुरक्षा सहयोग

समुद्री सुरक्षा के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण के बावजूद बंगाल की खाड़ी के तटीय राष्ट्र राज्य तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग के लिए उत्सुक हैं :

क्षमता निर्माण

  • वर्तमान में तटीय गश्त, निगरानी एवं आपदा राहत में क्षमता निर्माण एक प्राथमिकता बनी हुई है। 
    • गश्त, टोही एवं समुद्री बुनियादी ढांचे के विकास में भारतीय सहायता से क्षेत्र को लाभ हुआ है।
    • भारत समर्थित खाड़ी क्षेत्र में तटीय रडार स्टेशन स्थापित करने के प्रयास उन्नत चरण में हैं।
    • ये रडार स्टेशन भारत, श्रीलंका, मॉरीशस एवं सेशेल्स में एक निगरानी नेटवर्क का हिस्सा बनेंगे। 
  • भारत बंगाल की खाड़ी में सुरक्षा समन्वय को सुविधाजनक बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • गुरुग्राम स्थित सूचना संलयन केंद्र हिंद महासागर क्षेत्र समुद्री सुरक्षा जानकारी का केंद्र है जो बंगाल की खाड़ी सहित हिंद-महासागर क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों के लिए समन्वित प्रतिक्रिया को सक्षम बनाता है। 
  • भारत एवं उसके क्षेत्रीय साझेदारों से संबद्ध समुद्री सुरक्षा अभ्यासों की श्रृंखला ने खाड़ी क्षेत्र में उच्च स्तरीय सुरक्षा सहयोग उत्पन्न किया है।

सैन्य एवं सुरक्षा अभ्यास

प्रतिभागी देश 

मिलन 

भारत एवं विभिन्न क्षेत्रीय नौसेनाएँ

AUSINDEX 

ऑस्ट्रेलिया एवं भारत

स्लिनेक्स 

भारत एवं श्रीलंका

बोंगोसागर 

भारत एवं बांग्लादेश

SIMBEX 

सिंगापुर एवं भारत

अभ्यास दोस्ती 

भारत, श्रीलंका व मालदीव

ADMS-प्लस समुद्री सुरक्षा क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास

भारत सहित आसियान प्लस देश 

मालाबार 

भारत, अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया

बोझ साझाकरण 

  • बोझ साझाकरण पर क्षेत्रीय देशों का दृष्टिकोण भी काफ़ी भिन्न है। कुछ देशों के लिए सैन्य वार्ता परिचालन तालमेल विकसित करने का एक तरीका है।  
    • हालाँकि, जरूरी नहीं है कि इसका उद्देश्य किसी आम पारंपरिक दुश्मन का मुकाबला करना हो। 
  • कुछ देश खाड़ी राज्यों के बीच सुरक्षा जुड़ाव को समुद्र तटीय क्षेत्रों को कुशलतापूर्वक प्रशासित करने और क्षेत्र में नियम-आधारित आदेश को लागू करने के लिए मानदंड विकसित करने के एक तरीके के रूप में देखते हैं।
  • सुरक्षा बहुलवाद की प्राथमिकता के बावजूद कुछ खाड़ी राज्य बंगाल की खाड़ी में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से सावधान हैं।

समुद्री डोमेन जागरूकता

  • समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness : MDA) के संबंध में तटीय देशों के दृष्टिकोण लगभग समान प्रतीत होते हैं। 
    • ये देश इस बात से सहमत हैं कि वैश्विक समुद्री क्षेत्र को प्रभावी ढंग से समझने के लिए देशों की सुरक्षा के साथ-साथ अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण पर क्षेत्रीय विकास के संभावित प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है।
  • इनके अनुसार एम.डी.ए. को जहाजों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने से आगे बढ़कर विशिष्ट समुद्री गतिविधियों की पहचान करने एवं उन्हें जिम्मेदार ठहराने तक विस्तृत किया जाना चाहिए।
  • बिम्सटेक के भीतर सुरक्षा के लिए अग्रणी देश के रूप में भारत संयुक्त एम.डी.ए. प्रयास चला रहा है। 
    • नवंबर 2008 के आतंकवादी हमलों के बाद से भारत ने राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता परियोजना जैसे डाटा-संग्रह पहल का समर्थन किया है।
    • यह सभी समुद्री एजेंसियों, तटीय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एक ही नेटवर्क में जोड़ता है। 
  • बांग्लादेश, म्यांमार एवं श्रीलंका के साथ भारत के व्हाइट शिपिंग समझौतों ने वाणिज्यिक शिपिंग जानकारी के आदान-प्रदान को सक्षम किया है।

आगे की राह 

  • बंगाल की खाड़ी के देश इस क्षेत्र में चीन की गतिविधियों का मुकाबला करने में भारत के साथ शामिल होने के लिए अनिच्छुक रहे हैं। गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भी देशों की अलग-अलग प्राथमिकताएँ हैं। 
    • भारत द्वारा अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं के साथ साझेदारों के हितों को संतुलित करने के प्रयासों के बावजूद यह कार्य चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
  • सुरक्षा सहयोग की गति बढ़ाने का एक तरीका सामान्य जरूरतों से निपटने की क्षमताओं को विकसित करने में सुरक्षा अभ्यासों को अधिक उद्देश्यपूर्ण बनाना है।
  • नौसेनाओं एवं तटरक्षकों के बीच नियमित अभ्यास निर्णय लेने में सहायता करने के साथ ही रणनीतिक विश्वास में सुधार करती है। 
  • खाड़ी क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा गतिविधियाँ आर्थिक, पर्यावरणीय एवं अन्य कारकों से गहनता से संबद्ध है। 
    • इसलिए समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह उपयुक्त होगा कि वे बेहतर अंतर-संचालनीयता की तलाश करके सहयोग में आने वाली बाधाओं से निपटें।
  • क्षेत्रीय नौ-सेनाओं एवं तटरक्षकों को समुद्री सहयोग का विस्तार करने और संयुक्त अभियानों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक धन, प्रौद्योगिकी एवं विशेषज्ञता सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • समुद्री सुरक्षा एजेंसियों को मौजूदा व्यवस्थाओं की सीमाओं, विशेषकर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परिचालन तालमेल की कमी पर चर्चा की आवश्यकता है। 
  • क्षेत्रीय सुरक्षा एजेंसियों को स्थानीय डाटा लिंक की एक प्रणाली भी स्थापित करनी चाहिए जो संचार में सुधार कर सके।
  • एक सामान्य परिचालन ग्रिड एवं सहमत नियमों का एक सेट बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में सहयोग का विस्तार करने में मदद करेगा। 
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