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जेलों में मासिकधर्म स्वच्छता : स्थिति एवं चुनौतियाँ

संदर्भ 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 2019-2020) के पांचवें दौर से पता चला है, कि 15-24 वर्ष की आयु की 10 में से लगभग आठ युवा महिलाएं अब सुरक्षित मासिकधर्म स्वच्छता उत्पादों का उपयोग कर रही हैं। लेकिन भारतीय जेलों में कैद महिलाओं की मासिकधर्म स्वच्छता की दुर्दशा को अभी भी नजरअंदाज किया जा रहा है।

भारतीय जेलों में मासिकधर्म स्वच्छता (Menstrual Hygiene) की स्थिति

  • NCRB के डाटा (2022) के अनुसार, भारतीय जेलों में मौजूद 5,73,220 कैदियों में से 23,772 महिला कैदी और 97 ट्रांसजेंडर हैं। 
    • इन 23,772 महिला कैदियों में से 77% प्रजनन आयु वर्ग (18-50 वर्ष) की हैं और उन्हें नियमित मासिक धर्म होने की संभावना है।
  • देश की विभिन्न जेलों में सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता एवं गुणवत्ता असंगत तथा असंतोषजनक रही है। 
  • 2016 के मॉडल जेल मैनुअल में उल्लिखित सिफारिशों के बावजूद, कई राज्यों ने महिला कैदियों के लिए पर्याप्त पानी और शौचालय की सुविधा जैसे प्रावधानों को लागू नहीं किया है। 
  • मासिक धर्म के दौरान पानी, सैनिटरी नैपकिन, डिटर्जेंट और साबुन जैसी बुनियादी ज़रूरतों को हासिल करने के लिए जेल में भीड़भाड़ और खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति महिलाओं के संघर्ष को और बढ़ा देती है।
  • मासिक धर्म स्वच्छता केवल एक स्वास्थ्य या पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि एक मौलिक मानवाधिकार का मुद्दा भी है।
  • खराब मासिक धर्म स्वच्छता से प्रजनन और मूत्र पथ के संक्रमण हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्भावस्था के दौरान बांझपन और जटिलताएं हो सकती हैं।

जेलों में महिलाओं के समक्ष चुनौतियाँ

  • समाज में जहां कैदियों को मौलिक अधिकारों के अयोग्य माना जाता है, महिला कैदियों को और भी अधिक अन्याय का सामना करना पड़ता है। 
    • समाज महिला शुद्धता के रुढ़िवादी मानक से चिपका हुआ है और यह मानने से इन्कार करता है कि महिलाएं भी अपराध कर सकती हैं।
    • इस पूर्वाग्रह के कारण महिला कैदियों को मासिकधर्म स्वच्छता सहित बुनियादी जरूरतों की एक प्रणालीगत निगरानी से वंचित रहना पड़ता है।
  • एक अध्ययन के अनुसार पानी, सफाई या अन्य स्वच्छता सुविधाएँ जेलों में कैद महिलाओं की माँगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
    • यह महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करता है, क्योंकि मासिकधर्म के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
  • जेल अधिकारी अधिकतर समय गैर-सरकारी संगठनों द्वारा दान किए गए सैनिटरी नैपकिन पर निर्भर रहते हैं। 
    • सैनिटरी नैपकिन के प्रकार, गुणवत्ता और मात्रा के बारे में निर्णय इन गैर-सरकारी संगठनों पर छोड़ दिए गए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर निम्न गुणवत्ता के उत्पादों की आपूर्ति होती है।

सरकार द्वारा किए गए प्रयास 

  • भारत ‘मासिक धर्म स्वच्छता योजना’ के माध्यम से विशेष रूप से युवा महिलाओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों की पहुँच में सुधार करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, जिसमें मुफ़्त या सब्सिडी वाले सैनिटरी नैपकिन का वितरण शामिल है। 
  • वंचित महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिन को और अधिक किफायती बनाने के लिए, जन ​​औषधि केंद्रों पर सुरक्षा सुविधा नैपकिन भी 1 प्रति नैपकिन की दर से बेचे जा रहे हैं।
  • 2023 में, भारत ने मासिक धर्म को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में मान्यता देने के लिए 'राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति' तैयार करके एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया, जिस पर अधिक सार्थक ध्यान देने की आवश्यकता है।

'राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति 2023' 

  • यह नीति "मासिक धर्म स्वच्छता के सुरक्षित और सम्मानजनक प्रबंधन में समानता सुनिश्चित करना" के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत पर आधारित है। 
  • यह नीति सभी मासिक धर्म वाले व्यक्तियों को, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और भौगोलिक स्थिति की परवाह किए बिना, सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से अपने मासिक धर्म तक पहुँचने और उसे प्रबंधित करने के समान अवसर प्रदान करने के लिए समानता को प्राथमिकता देती है। 
  • यह नीति उन असमानताओं और बाधाओं को दूर करने का प्रयास करती है, जो कुछ समूहों को आवश्यक मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों, संसाधनों और सूचनाओं तक पहुँचने से रोकती हैं।
  • यह नीति उल्लेखनीय रूप से महिला कैदियों को लक्षित आबादी के रूप में पहचानती है, जिनकी मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच कम है। 
  • हालाँकि, यह नीति जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को बढ़ाने के लिए एक ठोस कार्य योजना प्रदान करने में विफल रही है। 
  • यह नीति जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को प्रभावित करने वाले एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में गृह मंत्रालय की भी अनदेखी करती है।

आगे की राह 

  • भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कैद में महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के बुनियादी मानकों को पूरा किया जाए।
  • राज्यों में मॉडल जेल मैनुअल 2016 के असमान कार्यान्वयन पर भी तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। 
    • सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक राज्य अपने जेल मैनुअल में उल्लिखित सिफारिशों का पालन करे। 
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और जेल प्रशासकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना, ताकि जेलों में बंद महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्मान को प्राथमिकता देते हुए पर्याप्त मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों और सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक रणनीति विकसित की जा सके। 
    • वर्तमान में इस समस्या के समाधान के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य की कमी है। 
    • इसलिए, जेल की दीवारों के भीतर मासिक धर्म स्वच्छता की वर्तमान स्थिति को समझने के लिए शोध करने की तत्काल आवश्यकता है।
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