(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, लोकनीति)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 4 : संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका, मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय, शासन व्यवस्था, लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका, सिविल सेवा के लिये अभिरुचि तथा बुनियादी मूल्य, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नौकरशाही में एक सुधार के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सिविल सेवा अधिकारियों के कौशल और प्रशिक्षण के तरीकों में बड़े बदलावों के लिये ‘मिशन कर्मयोगी’ अभियान को शुरु करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
a. कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अधीन एस.पी.वी. एक ‘गैर-लाभ अर्जक’ कम्पनी होगी,जिसके पास आईगॉट- कर्मयोगी प्लेटफॉर्म का स्वामित्त्व व प्रबंधन का जिम्मा होगा।
b. एस.पी.वी. विषय-वस्तु का निर्माण और संचालन करेगी और यह विषय-वस्तु वैधीकरण, स्वतंत्र निरीक्षण आकलन एवं टेलीमिट्री डेटा उपलब्धता से सम्बंधित आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म की प्रमुख व्यावसायिक सेवाओं का प्रबंधन करेगी।
c. एस.पी.वी. ही भारत सरकार की ओर से सभी बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का स्वामित्त्व रखेगी।
मुख्य विशेषताएँ
1. ‘नियम आधारित’ (Rule-Based)मानव संसाधन प्रबंधन से ‘भूमिका आधारित’ (Role-Based) प्रबंधन के परिवर्तन हेतु सहयोग प्रदान करना। सिविल सेवकों को उनके पद की आवश्यकताओं के अनुसार आवंटित कार्य को उनकी क्षमताओं के साथ जोड़ना।
2. ‘ऑफ-साइट सीखने की पद्धति’ को बेहतर बनाते हुए ‘ऑन-साइट सीखने की पद्धति’ पर ज़ोर देना।
3. शिक्षण सामग्री, संस्थानों तथा कार्मिकों सहित साझा प्रशिक्षण अवसंरचना परितंत्र का निर्माण करना।
4. सिविल सेवा से सम्बंधित सभी पदों को भूमिकाओं, गतिविधियों तथा दक्षता के ढाँचे सम्बंधी दृष्टिकोण (FRACs) के साथ अद्यतन करना।
5. सभी सिविल सेवकों को अपनी व्यवहारात्मक, कार्यात्मक और कार्यक्षेत्र से सम्बंधित दक्षताओं को निरंतर विकसित एवं सुदृढ़ करने का अवसर उपलब्ध कराना।
6. सार्वजनिक प्रशिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, स्टार्ट-अप और एकल विशेषज्ञों सहित सीखने की प्रक्रिया सम्बंधी सर्वोत्तम विषय-वस्तु् के निर्माताओं को प्रोत्साहित करना और उनके साथ साझेदारी करना।
7. क्षमता विकास, विषय-वस्तु निर्माण, उपयोगकर्ता फीडबैक और दक्षताओं की मैपिंग एवं नीतिगत सुधारों के लिये क्षेत्रों की पहचान के सम्बंध में आईगॉट-कर्मयोगी द्वारा प्रदान किये गए आँकड़ों का विश्लेषण करना।
क्षमता विकास आयोग का उद्देश्य
1. वार्षिक क्षमता विकास योजनाओं का अनुमोदन करने में मानव संसाधन परिषद की सहायता करना।
2. सिविल सेवा क्षमता विकास से जुड़े सभी केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों का कार्यात्मक पर्यवेक्षण करना।
3. आंतरिक एवं बाह्य संकाय और संसाधन केंद्रों सहित साझा शिक्षण संसाधनों को सृजित करना।
4. हितधारक विभागों के साथ क्षमता विकास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये समन्वय और पर्यवेक्षण करना।
5. प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास, शिक्षण शास्त्र और पद्धति के मानकीकरण पर सिफारिशें पेश करना।
6. सभी सिविल सेवाओं में करियर के मध्य में सामान्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिये मानदंड निर्धारित करना।
7. सरकार को मानव संसाधन के प्रबंधन और क्षमता विकास के क्षेत्रों में आवश्यक नीतिगत उपाय सुझाना।
मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य व महत्त्व
वित्तीय व्यय
निष्कर्ष
सिविल सेवाओं की क्षमता दरअसल सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने, कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करने और गवर्नेंस से जुड़े मुख्य कार्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कार्य संस्कृति में रूपांतरण को व्यवस्थित रूप से जोड़कर, सार्वजनिक संस्थानों का सुदृढ़ीकरण कर और सिविल सेवा क्षमता के निर्माण के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर सिविल सेवा क्षमता में रूपांतरणकारी बदलाव किये जाने का प्रस्ताव है, ताकि नागरिकों को प्रभावकारी रूप से सेवाएँ मुहैया कराना सुनिश्चित किया जा सके।