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राष्ट्रीय स्वचालित चेहरा पहचान प्रणाली: पर्याप्त सुरक्षा की आवश्यकता  

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी का विकास, अनुप्रयोग, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, रोबोटिक्स इत्यादि, बौद्धिक संपदा से संबंधित विषय)

संदर्भ 

हाल ही में, संसद द्वारा ‘व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक’ (2019) की जांच करने वाली दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति के कार्यकाल में विस्तार किया गया है। यह विधेयक सरकार और निजी कंपनियों द्वारा किसी व्यक्ति के डेटा उपयोग नियमन से संबंधित है। इसके अंतर्गत चेहरे की पहचान तकनीक की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।

स्वचालित चेहरा पहचान प्रणाली

  • स्वचालित चेहरा पहचान प्रणाली किसी व्यक्ति के चेहरे की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का उपयोग करके उसकी पहचान को सत्यापित करने की विधि है। इसके अंतर्गत लोगों के चेहरे की तस्वीरों एवं वीडियो के साथ एक बड़ा डेटाबेस बनाया जाता है, फिर जिस व्यक्ति की पहचान की जानी है उसकी फुटेज की तुलना मौजूदा डेटाबेस से कराकर संबंधित व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित की जाती है। इसमें पैटर्न-खोज और मिलान के लिये उपयोग की जाने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक कोतंत्रिका नेटवर्ककहा जाता है।
  • भारत में पुलिस सेवा को और अधिक उपयोगी और सशक्त बनाने तथा त्वरित एवं समयबद्ध तरीके से अपराध की जांच और उसका पता लगाने के लिये स्वचालित चेहरा पहचान प्रणाली को मंजूरी दी गई है।
  •  इसके कार्यान्वयन पर यह राष्ट्रीय स्तर के खोज मंच के रूप में कार्य करेगा, जिसमें चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इसका प्रयोग करके चेहरे के मुखौटे, मेकअप, प्लास्टिक सर्जरी, दाढ़ी तथा बाल की लंबाई के अवरोध के बिना किसी अपराधी की पहचान सुनिश्चित की जा सकेगी।

हचान की सटीकता से संबंधित मुद्दा

  • इस प्रक्रिया के अंतर्गत कंप्यूटर एल्गोरिदम चेहरे की अनूठी विशेषताओं, जैसे- होठों की आकृति, माथे से ठुड्ढी तक की दूरी, चीकबोन्स का आकार आदि को चिन्हित करते हैं तथा इन्हें एक संख्यात्मक कोड में परिवर्तित करते हैं। इसे फेसप्रिंट कहा जाता है।
  • चेहरा सत्यापन प्रक्रिया में प्रमुख समस्या यह है कि इसमें 100 प्रतिशत शुद्ध परिणाम प्राप्ति की संभावना कम रहती है। इसके अंतर्गत पहचान को संभावनाओं में व्यक्त किया जाता है।
  • हालाँकि, आधुनिक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के कारण चेहरे की पहचान की शुद्धता में पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है। परंतु फिर भी इसमें त्रुटि की संभावना विद्यमान है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका की जांच एजेंसियों द्वारा भी चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग किया जाता है। इंग्लैंड में पुलिस बल द्वारा गंभीर हिंसा से निपटने के लिये चेहरे की पहचान तकनीक प्रयोग की जाती है। इसके अतिरिक्त विश्व के अन्य देशों में भी इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है। चीन में भी उईगर मुस्लिम समुदाय की निगरानी के लिये यह तकनीक प्रयोग की जा रही है।
  • भारत में पुलिस एवं कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। ऐसी स्थिति में कुछ राज्यों द्वारा इस तकनीक के संभावित दुष्परिणामों का परीक्षण किये बिना ही इसका उपयोग प्रारंभ कर दिया गया है।

र्याप्त सुरक्षा का अभाव

  • राष्ट्रीय स्वचालित चेहरे की पहचान प्रणाली के अंतर्गत संवेदनशील निजी जानकारी एकत्रित, संसाधित एवं संग्रहित की जाएगी। इससे व्यक्ति की निजता के अधिकार के प्रभावित होने के साथ ही मौलिक अधिकार एवं अन्य महत्त्वपूर्ण अधिकारों के भी प्रभावित होने की संभावना है। 
  • चूँकि अभी व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक संसद में लंबित है तथा इसके क्रियान्वयन के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों के अभाव के कारण  इसके दुरूपयोग की संभावना विद्यमान है। 
  • चेहरे की पहचान प्रणाली निजता के अधिकार को स्पष्ट रूप से प्रभावित करती है। गौरतलब है कि भारत के संविधान में निजता के अधिकार का स्पष्ट उल्लेख नही है। हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने के०एस०पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ वाद (2017) में इसे एक महत्त्वपूर्ण मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान की है। 
  • हालाँकि, मौलिक अधिकार अनेक अपवादों के साथ प्रदान किये गए हैं, अतः निजता के संबंध में राज्य राष्ट्रीय अखंडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था के आधार पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है।
  • उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने पुट्टास्वामी वाद में अपने ही पुराने दो निर्णयों (एम. पी. शर्मा वाद एवं खडग सिंह वाद में दिये गए निर्णयों) को ख़ारिज करते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार, निजता के अधिकार पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण से संबंधित कार्यवाई की वैधता को सुनिश्चित करने के लिये कानून की आवश्यकता है। परंतु राष्ट्रीय चेहरा पहचान प्रणाली इसमें विफल है।

िंताएँ 

  • राष्ट्रीय स्वचालित चेहरे की पहचान प्रणाली में वैधता का अभाव है। यह किसी भी वैधानिक अधिनियम जैसे- डी.एन.ए. प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 के समान अपराधियों की पहचान करने के लिये सरकार के किसी आदेश से संबंधित नही है। वस्तुतः इसे वर्ष 2009 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • यद्यपि, आधुनिक संदर्भ में अपराधों से निपटने के लिये स्वचालित चेहरे की पहचान प्रणाली आवश्यक है। परंतु इस पर पूर्णतया विश्वास नही किया जा सकता।
  • एक मज़बूत डेटा संरक्षण कानून के अभाव अथवा स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में इस तकनीक का प्रयोग संदेहास्पद है। इसके माध्यम से किसे निगरानी सूची में रखा जाएगा तथा कबतक उनके डेटा को बनाए रखा जाएगा इन बिंदुओ को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत बनाए गए नियम केंद्र सरकार को राज्य की संप्रभुता, अखंडता या सुरक्षा के नाम पर गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिये व्यापक अधिकार प्रदान करते हैं। वैयक्तिक डेटा संरक्षण विधेयक 2019 भी स्वरूप में इसी के समान है। यह केंद्र सरकार को निगरानी के लिये शक्ति प्रदान करता है।
  • आधुनिक समय में अपराधों पर नियंत्रण के लिये चेहरे की पहचान तकनीक की आवश्यकता है परंतु बिना जवाबदेही एवं निगरानी के इस प्रणाली के दुरूपयोग की प्रबल संभावना है।

धिकारों पर प्रभाव

  • चेहरे की पहचान तकनीक का अनियंत्रित उपयोग स्वतंत्र पत्रकारिता, बिना हथियारो के शांतिपूर्वक एकत्रित होने के अधिकार तथा नागरिक समाज की सक्रियता को हतोत्साहित करेगा।
  • नागरिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने तथा लोकतंत्र को सत्तावादी बनने से बचाने के लिये चेहरे की पहचान तकनीक पर रोक लगाना महत्त्वपूर्ण है।
  • इस तकनीक के नागरिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण कुछ देश चेहरे की पहचान तकनीक के उपयोग के संबंध में सतर्क हो गए हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में, वैधानिक प्राधिकरण के बिना बायोमेट्रिक निगरानी को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से सीनेट में चेहरे की पहचान और बायोमेट्रिक प्रौद्योगिकी अधिस्थगन अधिनियम, 2020 पेश किया गया था।
  • यूनाइटेड किंगडम में अदालत नें स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में साउथ वेल्स द्वारा चेहरे की पहचान तकनीक को गैर कानूनी करार दिया है। इसके अतिरिक्त, यूरोपीय संघ में गोपनीयता प्रहरी ने चेहरे की पहचान पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है।

िष्कर्ष   

चेहरे की पहचान तकनीक अपराधों पर नियंत्रण की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है, परंतु इसके संदर्भ में अन्य महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। इस तकनीक के परिणामों की शुद्धता में कमी के कारण संदिग्धों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसके लिये आवश्यक है कि इसके उपयोग में उच्च स्तर की सटीकता, पारदर्शिता एवं सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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