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राष्ट्रीय स्वास्थ्य की दशा बताता एन.एफ.एच.एस.-5

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहलें)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।)

संदर्भ

हाल ही में, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने वर्ष 2019-2021 के लिये ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5’ (NFHS-5) के द्वितीय चरण के आँकड़े जारी किये हैं।

द्वितीय चरण में शामिल क्षेत्र

  • एन.एफ.एच.एस.-5 के द्वितीय चरण में 14 राज्यों व संघ राज्यक्षेत्रों के आँकड़े जारी किये गए हैं, जो मुख्यतः जनसंख्या, प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण आदि संकेतकों पर आधारित हैं।
  • द्वितीय चरण के 14 राज्यों व संघ राज्यक्षेत्रों में अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, ओडिशा, पुदुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं।
  • विदित है कि एन.एफ.एच.एस.-5 के पहले चरण में 22 राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों को शामिल किया गया था और इनसे संबंधित आँकड़े दिसंबर 2020 में जारी किये गए थे।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय औसत प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) 2.2 से घटकर 2 हो गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर दूसरे चरण में शामिल अन्य सभी राज्यों व संघ राज्यक्षेत्रों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) प्राप्त कर लिया है।
  • देशभर में एन.एफ.एच.एस.-4 के अनुसार, 1000 पुरुषों पर 991 महिलाएँ थीं, जबकि एन.एफ.एच.एस.-5 के अनुसार, वर्ष 2019-21 के दौरान 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1,020 हो गई है। यह सभी ‘राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षणों’ तथा 1881 में आयोजित हुई पहली आधुनिक जनगणना के बाद से उच्चतम लिंगानुपात है।
  • अखिल भारतीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर दूसरे चरण में सम्मिलित सभी राज्यों व संघ राज्यक्षेत्रों में ‘गर्भ-निरोधक प्रसार दर’ (Contraceptive Prevalence Rate – CPR) 54% से 67% तक बढ़ी है। लगभग सभी राज्यों व संघ राज्यक्षेत्रों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर 12-23 माह की आयु वर्ग के बच्चों के पूर्ण टीकाकरण में 62% से 76% तक सुधार हुआ है। 14 में से 11 राज्यों व संघ राज्यक्षेत्रों में 12-23 माह के ऐसे बच्चों की संख्या 75% से अधिक है, जिनका पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। इन बच्चों की संख्या ओडिशा में सर्वाधिक ‘करीब 90%’ है।
  • अखिल भारतीय स्तर पर अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या 79% से बढ़कर 89% हो गई है। पुदुचेरी और तमिलनाडु में 100% संस्थागत प्रसव होता है तथा दूसरे चरण के 7 राज्यों व संघ राज्यक्षेत्रों में यह 90% से अधिक होता है।
  • एन.एफ.एच.एस.-5 के आँकड़ों में कुपोषण के तीन संकेतकों ‘बौनापन’ (उम्र के हिसाब से कम ऊँचाई), ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ (ऊँचाई के हिसाब से कम वजन) और ‘कम वजन’ (उम्र के हिसाब से कम वजन) में भी सुधार देखा गया है।
  • इस सर्वेक्षण के अनुसार, ‘बौनापन’ (Stunting) 38% से घटकर 36%, ‘वेस्टिंग’ (wasting) 21% से घटकर 19% और ‘कम वजन’ (underweight) 36% से घटकर 32% हो गया है। हालाँकि ‘अधिक वजन’ वाले बच्चों की हिस्सेदारी 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गई है।
  • इस सर्वेक्षण के अनुसार, बच्चों और महिलाओं में एनीमिया की स्थिति गंभीर बनी हुई है। एनीमिया से ग्रस्त महिलाएँ 53.1% से बढ़कर 57%, पुरुष 22.7% से बढ़कर 25% व बच्चे 58.6% से बढ़कर 67.1% हो गए हैं।
  • 6 माह से कम उम्र के बच्चों को स्तनपान कराने के संबंध में अखिल भारतीय स्तर पर विशेष सुधार हुआ है। यह 2015-16 में 55% था, जो वर्ष 2019-21 में बढ़कर 64% हो गया है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर एन.एफ.एच.एस.-4 की अपेक्षा एन.एफ.एच.एस.-5 में महिलाओं के बैंक खातों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। अब बैंक खाताधारक महिलाएँ 53 प्रतिशत से बढ़कर 79 प्रतिशत हो गई हैं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)

  • क्या है?– भारतीय परिवारों के स्वास्थ्य की वस्तुस्थिति के आकलन संबंधी एक बहु-चरणीय सर्वेक्षण
  • प्रधान संस्था– केंद्रीय ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’
  • नोडल एजेंसी– मुंबई स्थित ‘अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान’ (International Institute for Population Sciences – IIPS)
  • प्रमुख फोकस बिंदु– प्रजनन क्षमता, प्रजनन स्वास्थ्य, शिशु और बाल मृत्यु दर, परिवार नियोजन, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, पोषण, एनीमिया इत्यादि
  • पूर्ववर्ती 4 सर्वेक्षण– 1992-93, 1998-99, 2005-06 और 2015-16 में आयोजित
  • वर्तमान में पाँचवीं बार एन.एफ.एच.एस. आयोजित किया जा रहा है।
  • एन.एफ.एच.एस. को कई चरणों में जारी करने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा अन्य उभरते मुद्दों से संबंधित विश्वसनीय और तुलनात्मक आँकड़े प्राप्त करना होता है।

अभ्यास प्रश्न: ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ से क्या आशय है? यह भारतीयों के स्वास्थ्य का आकलन करने में किस हद तक सहायक होता है? स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द)

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