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राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : आर्थिक विकास)

संदर्भ 

हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (NLP) का शुभारंभ किया। यह भारत को विकसित देश बनाने की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वाणिज्य मंत्रालय ने वर्ष 2019 में परामर्श के लिये एक मसौदा लॉजिस्टिक्स नीति जारी की थी किंतु कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में एक बार पुन: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की घोषणा की गई। 

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) 

प्रमुख बिंदु 

  • मसौदा नीति में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिये लागत को अगले पाँच वर्षों में 10% तक कम करने का प्रावधान है जो वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 13 से 14% होने का अनुमान है। 
  • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) परिवहन क्षेत्र से संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल पर लाएगा, जिससे निर्यातक लंबी एवं बोझिल प्रक्रियाओं से मुक्त हो सकेंगे। 
  • इस नीति के तहत एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज’ (E-Logs) भी शुरू किया गया है। इसके माध्यम से उद्योग संघ ऐसे किसी भी मामले को सरकारी एजेंसियों के समक्ष उठा सकते हैं जिसके कारण उनके संचालन तथा प्रदर्शन में समस्या आ रही है। 

उद्देश्य 

  • इस नीति का उद्देश्य वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा देना और उद्योग में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।
  • अंतिम छोर तक शीघ्र वितरण सुनिश्चित करने, परिवहन संबंधी चुनौतियों से निपटने, समय और धन की बचत करने, कृषि उत्पादों की बर्बादी रोकने के लिये किये गए ठोस प्रयासों में से एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति है। 
  • यह नीति ईंधन लागत और रसद लागत को कम करने के लिये एक रोडमैप प्रदान करने के अलावा संबंधित नियमों को सुव्यवस्थित करेगी। साथ ही, आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं को भी दूर करेगी। 

लॉजिस्टिक्स संपर्क के लिये किये गए प्रयास 

परियोजनाएं 

  • व्यवस्थित बुनियादी ढांचे के विकास के लिये लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी में सुधार करने के उद्देश्य से सागरमाला और भारतमाला जैसी योजनाओं को लागू किया गया। समर्पित माल ढुलाई गलियारे के कार्य में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है। 
  • निर्यात को बढ़ावा देने के लिये 40 एयर कार्गो टर्मिनलों का निर्माण किया गया तथा 30 हवाई अड्डों पर शीत भण्डारण की सुविधा मुहैया कराई गई। साथ ही, देशभर में 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब तैयार किये जा रहे हैं। 
  • जलमार्ग के जरिये पर्यावरण अनुकूल और कम व्यय में परिवहन किया जा सकता है, इसके लिये देश में कई नए जलमार्ग बनाए जा रहे हैं। 
  • कोविड-19 के दौरान ‘किसान रेल’ और ‘किसान उड़ान’ जैसी पहलें शुरू की गईं और वर्तमान में 60 हवाई अड्डों पर कृषि उड़ान सुविधा उपलब्ध है। इन समन्वित प्रयासों से भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। 

डिजिटल अनुप्रयोग 

  • लॉजिस्टिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिये तकनीक के उपयोग, जैसे- ई-संचित के माध्यम से पेपरलेस एग्जिम व्यापार प्रक्रिया, कस्टम्स में फेसलेस कर निर्धारण, ई-वे बिल का प्रावधान, फास्टैग आदि ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की क्षमता में वृद्धि की है। 
  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र से संबंधित मामलों को सुगम बनाने में जी.एस.टी. (GST) जैसी एकीकृत कर प्रणाली और ड्रोन नीति में बदलाव तथा इसे पी.एल.आई. योजना से जोड़ने से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में ड्रोन के प्रयोग को बढ़ावा मिल रहा है। 

नीति की आवश्यकता 

लॉजिस्टिक्स व्यय को कम करना 

  • भारत में अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लॉजिस्टिक्स व्यय का बहुत अधिक होना। 
  • घरेलू और निर्यात दोनों प्रकार के बाजारों में भारतीय सामानों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिये लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने की अनिवार्यता। 
  • लॉजिस्टिक्स व्यय में कमी से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता सुधरती है और मूल्यवर्धन तथा उद्यम को प्रोत्साहन मिलता है। 
  • वैश्विक बाज़ारों में भारत में निर्मित उत्पादों की पहुँच के लिये समर्थन प्रणाली की मजबूती की आवश्यकता।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति इस समर्थन प्रणाली को आधुनिक बनाने में मदद करेगी। 
  • निर्यात में वृद्धि तथा छोटे उद्योगों और उनमें कार्यरत लोगों के लिये लाभकारी। 

बुनियादी ढांचे का विकास 

  • बुनियादी ढांचे के विकास, कारोबार के विस्तार और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने की संभावनाएं। 
  • संपूर्ण पारितंत्र के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण। 
  • यह नीति विभिन्न विषयों और क्षेत्रों तथा बहु-क्षेत्राधिकार ढांचे को निर्धारित कर अधिक लागत एवं दक्षता में कमी के मुद्दों के समाधान के लिये एक व्यापक प्रयास है। 
  • इस नीति से पी.एम. गतिशक्ति को अधिक बढ़ावा। 
  • विगत वर्ष प्रारंभ की गई पी.एम. गतिशक्ति (मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये राष्ट्रीय मास्टर प्लान) इस दिशा में एक अग्रणी कदम था। 
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