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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने सेल प्रसारण तकनीक का परीक्षण शुरू किया

प्रारम्भिक परीक्षा – सी-डॉट  (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन-3

सन्दर्भ
  • एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने सी-डॉट द्वारा विकसित आपातकालीन सेल प्रसारण तकनीक का परीक्षण शुरू कर दिया है।

c-dot

प्रमुख बिंदु 

  • 17 अगस्त 2023 को जियो और बीएसएनएल नेटवर्क पर ग्राहकों को "आपातकालीन चेतावनी: गंभीर" शीर्षक के साथ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा एक नमूना परीक्षण संदेश एंड्रॉइड फोन पर भेजा गया था। 
  • सी-डॉट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकुमार उपाध्याय ने कहा कि यह तकनीक वर्तमान में केवल एक विदेशी विक्रेता के पास उपलब्ध है और इसलिए सी-डॉट इसे इन-हाउस विकसित कर रहा है। 
  • श्री उपाध्याय ने कहा, "परीक्षण अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित किए जाएंगे।
  • सी-डाट के सीईओ ने बताया कि इस प्रौद्योगिकी के तहत 19 भारतीय भाषाओं में ग्राहकों तक संदेश पहुंचेगा। 
  • इस प्रौद्योगिकी के जरिए मोबाइल, टीवी, रेडियो, एफएम पर भी एक साथ संदेश प्रसारित किए जा सकेंगे। 
  • इसकी खूबी यह है कि सिर्फ आपदा की आशंका वाले क्षेत्र के ग्राहकों तक ही यह संदेश पहुंचेगा।
  • जिन इलाकों में इसकी जरूरत नहीं है, वहां के ग्राहकों को ऐसे संदेश नहीं जाएंगे इससे आपदा से बचाव करने में भी काफी मदद मिलेगी। 
  • इस तरह की प्रौद्योगिकी सिर्फ विदेशी वेंडर के पास है जिसे सी-डाट विकसित कर रहा है।

सी-डॉट  (C-DOT) क्या है ?

  • यह एक प्रकार का टेक्स्ट संदेश है जो एक एसएमएस संदेश के समान है। यह सन्देश किसी दिए गए क्षेत्र के सभी सेल फोन उपयोगकर्ताओं को भेजा जा सकता है। 

सी-डॉट  (C-DOT) के कार्य 

  • यह आमतौर पर आपातकालीन प्रसारण जैसे - ख़राब  मौसम, लापता बच्चों या संभावित आतंकवादी गतिविधि तथा सांप्रदायिक दंगों के भड़कने आदि के दौरान भी संदेश भेजने के रूप में उपयोग किया जा सकता है। 
  • सेल ब्रॉडकास्ट ETSI GSM समिति द्वारा निर्धारित GSM मानक का हिस्सा है। 
  • यह और अधिक विश्वसनीय हो सकता है, तब जब आपातकालीन परिस्थितियों में सेल नेटवर्क ओवरलोड के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है।
  • इस तकनीक के द्वारा अलर्ट से पहले मोबाइल पर ज़ोर से बीपिंग ध्वनि, अलार्म टोन में लगातार कंपन होता है और पॉप-अप मैसेज आता है, जो तब तक बंद नहीं होता, जब तक कि संबंधित व्यक्ति उसे स्वयं बंद नहीं करता। 
  • इसकी क्षमता कुछ ही मिनट के भीतर लाखों लोगों को सन्देश के माध्यम से सचेत करने की है। इस तकनीक के माध्यम से मौसम संबंधी पूर्व चेतावनी भी जारी की जा सकती है।
  • इस तकनीक का प्रयोग यूरोपीय संघ, जापान, कनाडा, इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड तथा कोरिया जैसे विश्व के तमाम देश कर रहे हैं। 
  • भारत में तकनीक का प्रयोग आंध्र प्रदेश राज्य में किया जाता है। यहाँ पर सुनामी और चक्रवात जैसे खतरा आने पर सन्देश के द्वारा लोगों को अलर्ट किया जाता है।

सी-डॉट  (C-DOT) तकनीक से लाभ 

  • इस तकनीक का प्रयोग करके आपातकालीन स्थिति में जन-धन की हानि होने से बचा जा सकता है।

सी-डॉट की स्थापना एवं इससे जुड़े विशेष तथ्य 

  • भारत की टेलीमैटिक्स विकास केंद्र (सी-डॉट) की स्थापना अगस्त 1984 में दूरसंचार विभाग, सरकार के एक स्वायत्त दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में की गई थी।
  • यह 1860 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक पंजीकृत सोसायटी है। 
  • यह भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के साथ एक पंजीकृत 'सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान संस्थान' है। 
  • राष्ट्र में स्वदेशी दूरसंचार क्रांति के जनक के रूप में प्रतिष्ठित, सी-डॉट, विशेष रूप से भारतीय परिदृश्य के लिए उपयुक्त दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और उत्पादन में अपने तीन दशकों से अधिक से अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के साथ प्रौद्योगिकी में अग्रणी रहा है। 
  • सबसे आगे और भारतीय दूरसंचार नेटवर्क के डिजिटलीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • प्रारंभिक वर्षों में, सी-डॉट ने ग्रामीण भारत में एक दूरसंचार क्रांति की शुरुआत की जो सर्वांगीण सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार थी। 
  • अपनी विकास प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, सी-डॉट ने उद्योग के लिए उपकरण निर्माताओं और घटक विक्रेताओं का एक व्यापक आधार तैयार किया है। 
  • यह उच्च गुणवत्ता वाले दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के थोक उत्पादन में निर्माताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए अपने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण मॉडल के आधार पर एक दूरसंचार विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में सहायक रहा है।
  • राष्ट्र निर्माण के प्रति सी-डॉट की प्रतिबद्धता राष्ट्रीय और रणनीतिक महत्व के उत्पादों के विकास के साथ जारी है।
  • पिछले कुछ वर्षों में सी-डॉट एक पूर्ण दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास संस्थान के रूप में विकसित हुआ है, जो सीएमएमआई मॉडल पर लेवल-5 की परिपक्कता का अनुपालन करता है।
  • इसमें बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम शुरू करने की क्षमता है। 
  • स्वदेशी दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास के पथप्रदर्शक के रूप में सी-डॉट ऑप्टिकल, स्विचिंग, वायरलेस, सुरक्षा और नेटवर्क प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में नवीनतम प्रौद्योगिकी उत्पादों को विकसित करना जारी रखता है, साथ ही एम2एम/आईओटी, 5जी एआई आदि जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर भी काम कर रहा है।
  • सी-डॉट भारत सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में काम कर के देश के दूरसंचार क्षेत्र की बेहतरी के लिए अपनी स्पष्ट प्रतिबद्धता दोहराता है, जिसमें डिजिटल इंडिया , मेक इन इंडिया, भारतनेट ,स्किल इंडिया,  स्टार्टअप इंडिया और स्मार्ट सिटीज शामिल हैं। 

प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा अभी हल ही में सी-डॉट का परीक्षण किया गया है यह किससे संबंधित है ?

(a) मोबाईल फोन नेटवर्क से 

(b) आपदा के समय सन्देश भेजने से  

(c) रक्षा अनुसन्धान से  

(d) नेविगेशन से 

उत्तर (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: सी-डॉट का परीक्षण क्या है? इससे होने वाले लाभों की व्याख्या कीजिए।

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