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 प्रौढ़ शिक्षा को विस्तार देता ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

केंद्र सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा के नाम से चल रही योजना को विस्तार दिया है। इसमें अब 15 वर्ष की आयु के ऊपर के सभी लोगों को शिक्षा दी जाएगी। सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा योजना का नाम बदलकर ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ कर दिया है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा 2021-22 की बजट घोषणाओं के अनुरूप प्रौढ़ शिक्षा के सभी पहलुओं को कवर करने के लिये वित्त वर्ष 2022-2027 की अवधि के लिये ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ को मंजूरी दी है।

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (New India Literacy Programme : NILP)

अधिकतम कवरेज

  • इस योजना के तहत देश भर में 15 वर्ष तथा उससे अधिक आयु के निरक्षर लोगों को कवर किया जाएगा। इसमें प्रौढ़ शिक्षा को समग्र रूप से शामिल करने के लिये केंद्रीय बजट 2021-22 में संसाधनों और ऑनलाइन मॉड्यूल तक पहुँच बढ़ाने की घोषणा की गई थी।
  • इस योजना का उद्देश्य आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ 21वीं सदी के नागरिकों के लिये आवश्यक अन्य घटकों, जैसे- महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल, व्यावसायिक कौशल विकास और बुनियादी एवं सतत् शिक्षा को शामिल करना है।
  • वित्त वर्ष 2022-27 के लिये आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान का लक्ष्य ‘ऑनलाइन अध्यापन, शिक्षण और मूल्यांकन प्रणाली’ (OTLAS) का उपयोग करके 5 वर्ष तक प्रति वर्ष 1 करोड़ शिक्षार्थियों को शामिल करना है। कोई शिक्षार्थी आवश्यक जानकारी के साथ अपना पंजीकरण करा सकता है।

स्वयंसेवकों का उपयोग

  • इसे ऑनलाइन प्रारूप में स्वयंसेवकों के माध्यम से लागू किया जाएगा। आसान पहुँच सुनिश्चित करने के लिये सामग्रियों और संसाधनों को डिजिटल (जैसे- टीवी, रेडियो, सेल फोन-आधारित फ्री/ओपन-सोर्स ऐप/पोर्टल आदि) माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम का कुल अनुमानित परिव्यय 1037.90 करोड़ रूपए है, जिसमें वित्त वर्ष 2022-27 के लिये केंद्र का हिस्सा 700 करोड़ तथा बाकी राज्यों का है।

योजना की आवश्यकता

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में निरक्षरों की कुल संख्या 25.76 करोड़ है। वर्ष 2009-10 से 2017-18 के दौरान साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत लगभग 7 करोड़ व्यक्ति साक्षर हुए। अत: भारत में अभी भी लगभग 18 करोड़ वयस्क निरक्षर हैं।
  • देश में अब ‘प्रौढ़ शिक्षा’ के स्थान पर ‘सभी के लिये शिक्षा’ शब्द का प्रयोग किया जाएगा क्योंकि ‘प्रौढ़ शिक्षा’ शब्द 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के सभी निरक्षरों को शामिल नहीं करता है।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

आवश्यकतानुरूप रणनीति

  • इस योजना की क्रियान्वयन इकाई स्कूल होंगे। लाभार्थियों और स्वैच्छिक शिक्षकों (VT) का सर्वेक्षण करने के लिये स्कूलों का उपयोग किया जाएगा।
  • विभिन्न आयु समूहों के लिये अलग-अलग रणनीति अपनाई जाएगी। नवोन्मेषी गतिविधियों को शुरू करने के लिये राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को लचीलापन प्रदान किया जाएगा।

प्रदर्शन एवं साक्षरता का आकलन

  • प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) भौतिक एवं वित्तीय प्रगति के बीच संतुलन रखते हुए शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (Unified-District Information System for Education: U-DISE) पोर्टल के माध्यम से वार्षिक आधार पर राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन को रेखांकित करेगा।
  • एन.आई.सी. (NIC) द्वारा मोबाइल ऐप, ऑनलाइन सर्वेक्षण मॉड्यूल, भौतिक तथा वित्तीय मॉड्यूल एवं निगरानी संरचना आदि से लैस समेकित डाटा कैप्चरिंग के लिये केंद्रीय पोर्टल विकसित किया जाएगा।
  • कार्यात्मक साक्षरता के लिये वास्तविक जीवन अधिगम एवं कौशल को समझने के लिये वैज्ञानिक प्रारूप का उपयोग करके साक्षरता का आकलन किया जाएगा। शिक्षार्थियों को
    राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) तथा राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (NLMA) द्वारा संयुक्त रूप से ई-हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

साक्षरता में प्राथमिकता वाले समूह

  • 15 से 35 आयु वर्ग को पूर्ण साक्षर बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी। तत्पश्चात् 35 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को साक्षर किया जाएगा। साथ ही, बालिकाओं और महिलाओं, अनुसूचित जाति व जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक समुदायों, दिव्यांगजनों, हाशिये पर स्थित समूहों, घुमंतू व निर्माण श्रमिकों, मजदूरों आदि श्रेणियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • नीति आयोग के सभी आकांक्षी ज़िलों, राष्ट्रीय एवं राज्य औसत से कम साक्षरता दर वाले ज़िलों, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 60% से कम महिला साक्षरता दर वाले ज़िलों के साथ-साथ शैक्षिक रूप से पिछड़े, उग्रवाद प्रभावित और अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अल्पसंख्यकों की अधिक जनसंख्या वाले ज़िलों/ब्लॉकों पर ध्यान दिया जाएगा।

जनांदोलन के रूप में एन.आई.एल.पी.

  • यू.डी.आई.एस.ई. (U-DISE) के तहत पंजीकृत छात्रों के साथ-साथ सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के शिक्षक भी स्वयंसेवक के रूप में भाग लेंगे। साथ ही, शिक्षक प्रशिक्षण एवं उच्च शिक्षा संस्थानों के लगभग 20 लाख छात्र स्वयंसेवक के रूप में सक्रिय रूप से शामिल होंगे।
  • पंचायती राज संस्थाओं, आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और नेहरू युवा केंद्र संगठनों, एन.एस.एस. (NSS) और एन.सी.सी. (NCC) स्वयंसेवकों से सहायता प्राप्त की जाएगी।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (जैसे- फेसबुक, यूट्यूब, टी.वी. चैनल, रेडियो आदि) सहित सभी प्रकार के मीडिया प्लेटफॉर्मों (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, लोक और इंटर-पर्सनल) का उपयोग किया जाएगा। 
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