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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ ; मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : विषय - स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय)

  • हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्कूल से कॉलेज स्तर तक - भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव लाने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 को मंज़ूरी दी है।
  • NEP 2020 का लक्ष्य "भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति" बनाना है।
  • कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने की भी मंज़ूरी दी है।
  • ध्यातव्य है कि, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून 2017 में इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, जिसने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था।
  • यह स्वतंत्रता के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे में हुआ तीसरा प्रमुख सुधार है।
    • पूर्व की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 में लाई गई थीं।
  • NEP-2020 में पाठ्यक्रमों के ऐसे प्रारूप और अध्यापन प्रणाली/विधि के विकास पर ज़ोर दिया गया है जिसके तहत छात्रों में पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए 21वीं सदी के लिये योग्य कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जा सके।

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प्रमुख बिंदु:

विद्यालयी शिक्षा:

  • वर्ष 2030 तक विद्यालयी शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात (GER) के साथ स्कूल पूर्व स्तर से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमिकरण।
  • मुक्त विद्यालयी प्रणाली (Open schooling) के माध्यम से 2 करोड़ स्कूली बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में वापस लाना।
  • वर्तमान 10+2 प्रणाली को क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष की आयु के अनुरूप एक नई 5+3+3+4 पाठयक्रम संरचना द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना है।

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  • इस नीति के तहत 3-6 साल के अनियोजित आयु समूह के बच्चों को भी शिक्षा की मुख्य धारा में लाएगा। इस आयुवर्ग को वैश्विक स्तर पर एक बच्चे के मानसिक स्तर के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण चरण (crucial stage for development) के रूप में मान्यता दी गई है।
  • इस शिक्षा नीति में कुल मिलाकर तीन साल की आंगनवाड़ी/प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।
  • कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाने के लिये, याद किये जाने वाले तथ्यों के बजाय मुख्य दक्षताओं का परीक्षण करने पर ज़ोर दिया जाएगा, सभी छात्रों को दो बार परीक्षा देने की अनुमति होगी।
  • एक नए मान्यता ढांचे (accreditation framework) और सार्वजनिक व निजी दोनों स्कूलों को विनियमित करने के लिये एक स्वतंत्र प्राधिकरण के साथ स्कूल प्रशासन व्यवस्था को बदलने की बात की गई है।
  • फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमरेसी (Foundational Literacy and Numeracy) पर ज़ोर दिया जाएगा तथा स्कूलों में अकादमिक स्ट्रीम, एक्स्ट्रा करिकुलर, वोकेशनल स्ट्रीम के बीच कोई भेद नहीं रखा जाएगा।
  • कक्षा 6 से इंटर्नशिप के साथ व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत।
  • कम से कम कक्षा 5 तक मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में शिक्षण कार्य। किसी भी छात्र पर कोई भाषा थोंपी नहीं जाएगी।
  • 360 डिग्री की समग्र प्रगति के साथ ही मूल्यांकन सुधार, शिक्षण के सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिये छात्र प्रगति पर नज़र रखना
  • 2030 तकशिक्षण के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री करने का लक्ष्य।

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उच्च शिक्षा:

  • उच्च शिक्षा में वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात बढ़ाकर 50% किया जाने का लक्ष्य है। इसके अलावा, उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ सीटें जोड़ी जाएंगी।
  • उच्च शिक्षा में वर्तमान सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio-GER) 26.3%है।
  • पाठ्यक्रम में लचीलेपन के साथ ही स्नातक की समग्र शिक्षा अवधि 3 या 4 साल की हो सकती है तथा इस दौरान स्नातक पाठ्यक्रम से कई निकास विकल्पों को भी रखा गया है। जैसे यदि प्रथम वर्ष में कोई पाठ्यक्रम छोड़ देता है तो सर्टिफिकेट, द्वितीय वर्ष में छोड़ता है तो डिप्लोमा और तृतीय वर्ष में छोड़ता है तो डिग्री या ऐसे ही विकल्प।
  • एम.फिल. के पाठ्यक्रमों को बंद कर दिया जाएगा और स्नातक, स्नातकोत्तर और पी.एच.डी. स्तर के सभी पाठ्यक्रम अब अंतःविषय (interdisciplinary) कर दिये जाएंगे।
  • ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट की सुविधा के लिये एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (Academic Bank of Credits) की स्थापना पर ज़ोर दिया जाएगा।
  • आई.आई.टी. वआई.आई.एम. के साथ ही बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालयों (Multidisciplinary Education and Research Universities - MERUs) को देश में वैश्विक मानकों के सर्वोत्तम बहु-विषयक शिक्षा के मॉडल के रूप में स्थापित किया जाएगा।
  • अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने और उच्च शिक्षा के शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (National Research Foundation) का निर्माण किया जाएगा।
  • उच्च शिक्षा के लिये (चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर ) एकल संयुक्त निकाय के रूप में भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग (HECI) को स्थापित किया जाएगा। सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षा संस्थानों के विनियमन, मान्यता और शैक्षणिक मानकों के लिये समान मानदंड होंगे। इसके अलावा, एच.ई.सी.आई. में चार स्वतंत्र भाग होंगे,
  • विनियमन के लिये राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद (National Higher Education Regulatory Council - NHERC),
  • मानक सेटिंग के लिये सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council -GEC),
  • वित्त पोषण के लिये उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council -HEGC),
  • मान्यता प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council -NAC)।

अन्य परिवर्तन:

  • शिक्षण, मूल्यांकन, नियोजन, प्रशासन को बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचारों के मुक्त आदान- प्रदान के लिये एक मंच प्रदान करने के लिये एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (NETF) का निर्माण किया जाएगा।
  • छात्रों की शिक्षा स्तर का आकलन करने के लिये राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र- 'PARAKH' बनाया गया है।
  • यह शिक्षानीति विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
  • यह वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिये लिंग समावेश निधि (of Gender Inclusion Fund) तथा विशेष शिक्षा क्षेत्रों की स्थापना पर ज़ोर देती है।
  • पाली, फारसी और प्राकृत के लिये राष्ट्रीय संस्थान, भारतीय अनुवाद एवं व्याख्या संस्थानकी स्थापना की जाएगी।
  • इस नीति का लक्ष्य शिक्षा क्षेत्र में सरकारी निवेश,सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का 6% तक करने का लक्ष्य भी है।
  • वर्तमान में, भारत अपनी कुल जी.डी.पी. का लगभग 4.6% शिक्षा पर खर्च करता है।

भारत में शिक्षा:

  • भारतीय संविधान के भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों के अंतर्गत अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 39 (एफ) में राज्य द्वारा वित्त पोषण के साथ-साथ समान और सुलभ शिक्षा का प्रावधान है।
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right To Education-RTE)का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।यह समाज के वंचित वर्गों के लिये 25% आरक्षण को भी अनिवार्य करता है।
  • इसके अलावा सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय आदि कार्यक्रम पूर्व की शिक्षा नीतियों के ही परिणाम हैं।

आगे की राह:

  • नई शिक्षा नीति का लक्ष्य छात्रों की समावेशन, भागीदारी और उनके दृष्टिकोण को सुविधाजनक बनाना है। यह शिक्षा के प्रति अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने की दिशा में एक प्रगतिशील बदलाव है। इस नीति की निर्धारित संरचना बच्चे की क्षमता को पूरा करने में मदद करेगी - संज्ञानात्मक विकास के चरणों के साथ-साथ सामाजिक और शारीरिक जागरूकता पर भी उचित ध्यान देगी।
  • यदि इस शिक्षा नीति को इसकी वास्तविक अवस्था में लागू किया जाता है, तो यह नई संरचना शिक्षा के क्षेत्र में भारत को दुनिया के अग्रणी देशों के बराबर ला सकती है।
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