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नई रेत खनन नीति

प्रारम्भिक परीक्षा – नई रेत खनन नीति
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ

  • आंध्र प्रदेश में जब से मुफ्त रेत नीति वापस ली है तब से रेत खनन एक बार फिर राजनीतिक मुद्दा बन गया है। 
  • एक सूचना के अनुसार, पिछले चार वर्षों में 40,000 करोड़ का रेत का अवैध खनन किया गया है।

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प्रमुख बिंदु 

  • निर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए पहले आंध्र प्रदेश में रेत मुफ्त उपलब्ध थी। खरीदारों को केवल परिवहन के लिए भुगतान करना पड़ता था। 
  • आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक जांच में कथित तौर पर पाया गया कि निर्माण क्षेत्र की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए विभिन्न स्थानों पर बिना लाइसेंस वाले यांत्रिक उत्खननकर्ता ठेकेदारों द्वारा अनुमेय सीमा से अधिक रेत खनन किया जा रहा है। 
  •  बोर्ड ने कहा कि इससे नदी तलों और तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों को अपूरणीय क्षति हुई है।

नई रेत खनन नीति

  • नई रेत खनन नीति  के अनुसार, रेत खनन टिकाऊ तरीके से किया जाए और पर्यावरणीय नियमों का अनुपालन किया जाए एवं सस्ती कीमतों पर रेत उपलब्ध कराया जाय तथा राज्य के खजाने में बहुमूल्य राजस्व बढ़ाएं जाय। 
  • एनजीटी के अनुसार, रेट खनन में सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश, 2016 का उल्लंघन किया गया है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT):

  • इसकी स्थापना 18 अक्तूबर 2010 को एनजीटी अधिनियम, 2010 के तहत पर्यावरण संरक्षण, वन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन, दुष्प्रभावित व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिये क्षतिपूर्ति प्रदान करने एवं इससे जुडे़ हुए मामलों के प्रभावशाली और त्वरित निपटारे के लिये की गई थी।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) पर्यावरण से संबंधित 7 कानूनों के तहत नागरिक मामलों पर सुनवाई कर सकती है:

  • वन संरक्षण अधिनियम, 1980
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
  • जैवविविधता अधिनियम, 2002
  • जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974
  • जल प्रदूषण क्षति नियंत्रण एवं उपकर अधिनियम, 1977
  • वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रणअधिनियम, 1981
  • सरकार द्वारा दिए गए किसी भी फैसले को एनजीटी के अनुसार चुनौती दी जा सकती है।
  • एनजीटी के अनुसार,  "विभिन्न राज्यों में सिंचाई विभागों के लिए नदी के पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा की आवश्यकता से बेपरवाह होकर 25 हेक्टेयर से कम की नदियों में रेत खनन की अनुमति देना एक आम बात बन गई है, जो केवल तभी संभव हो सकता है जब रेत पुनःपूर्ति अध्ययन और खनन से पहले संपूर्ण नदी बेसिन के लिए विस्तृत पर्यावरणीय प्रभाव आकलन किया जाता है।''

रेत खनन से पर्यावरण को होने वाली हानि: 

  • एनजीटी के द्वारा दी गई चेतावनी में कहा गया है कि "मानव निर्मित जल निकायों सहित नदी और आर्द्रभूमि पारिस्थितिक तंत्र पर अवैज्ञानिक खनन आपदा का कारण बन सकता है और नदी/झील पारिस्थितिकी तंत्र के लिए दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं ।"
  • नदी से रेत का भारी निष्कर्षण प्राकृतिक संतुलन के लिए एक गंभीर खतरा है।
  • इससे जलीय नदी औऱ तटों के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र की खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। संबद्ध खाद्य आपूर्ति में कमी से पशु-पक्षी तथा अन्य जीवों की संख्या में कमी आती है । 
  • व्यापार करने वाले अन्य सबसे बड़े प्राकृतिक संसाधनों में रेत और बजरी निष्कर्षण शामिल हैं ।
  • रेत खनन से जलीय पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरा उत्पन्न होता है। 
  • रेत खनन से पानी की गुणवत्ता में गिरावट।
  • नदी पर ज्वालामुखीय मिट्टी से बाढ़ की राख में वृद्धि और भूजल स्तर में कमी।
  • घड़ियाल और कछुओं के जन्म क्षेत्र का ह्रास।

रेत खनन का पक्षी पर प्रभाव 

  • पक्षियों के लिए नदी में भोजन की कमी तथा पक्षियों के आवास स्थल की क्षति होती है।

रेत खनन का अन्य प्रभाव 

  • तूफान-लहरों की आवृत्ति में वृद्धि।
  • पर्यटन स्थलों में प्राकृतिक रेत का निर्माण से पर्यटन स्थल अनाकर्षक हो जाते हैं।

आगे की राह 

  • यह जरूरी है कि सत्ता में मौजूद पार्टी और सरकार अवैध रेत खनन के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखाए, खासकर पर्यावरण पर पड़ने वाले भारी नुकसान को देखते हुए। 
  • अध्ययनों से पता चला है कि प्राकृतिक रूप से पुनःपूर्ति की दर से अधिक दर पर रेत निकालने के प्रतिकूल परिणाम होते हैं। 
  • पर्यावर्णीय संसाधनों का संरक्षण का कार्य केवल किसी सरकार, किसी न्यायालय, किसी अधिकरण या कुछ एनजीओ के बस का नहीं है, इसके लिये सक्रिय जनसहयोग अति-आवश्यक है, जिसके बिना यह कार्य पूरा हो ही नहीं सकता है। 
  • प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते जनसंख्या दबाव और ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में संपोषणीय रहन-सहन एक चिंता का विषय है; और इसका इसका एकमात्र विकल्प यह है कि पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और स्वच्छ पर्यावरणीय ऊर्जा को अपनाकर कार्य किया जाय।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) पर्यावरण से संबंधित निम्नलिखित कानूनों के तहत नागरिक मामलों पर सुनवाई कर सकती है?

  1. जैवविविधता अधिनियम, 2002
  2. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए- 

कूट-

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न 1 और ना ही 2

उत्तर : (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न -  पर्यावरण संरक्षण से आप क्या समझते हैं ? पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में किये जा रहे कार्यों की व्याख्या कीजिए।

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