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कैलिफोर्निया में लैम्प्रे मछली की नई प्रजाति 

प्रारम्भिक परीक्षा – कैलिफोर्निया में लैम्प्रे मछली की नई प्रजाति
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3

संदर्भ

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार, कैलिफोर्निया के नापा नदी और अल्मेडा क्रीक में लैम्प्रे मछली की दो संभावित नई प्रजातियों की खोज की गई है।

Cartilage

प्रमुख बिंदु 

  • इस खोज को नॉर्थ अमेरिकन जर्नल ऑफ फिशरीज मैनेजमेंट में प्रकाशित किया गया है।
  • लैम्प्रे प्रजाति की मछलियाँ खाद्य श्रृंखला, पानी की गुणवत्ता में सुधार और जलमार्गों में पोषक तत्व जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

लैम्प्रे मछली:-

  • इन मछलियों का साइंटिफिक नाम एंटोसफेनस ट्राईडेंटस है।
  • लैम्प्रे ईल जैसी दिखने वाली 350 मिलियन वर्ष से अधिक पुरानी मछली की प्रजाति है। 
  • यह एग्नाथन नामक हड्डी एवं जबड़े रहित मछली के आदिम समूह से संबंधित हैं।
  • यह मछली समशीतोष्ण क्षेत्रों में ताजे एवं खारे जल में पायी जाती है। 
  • यह अटलांटिक महासागर की मूल प्रजाति है। इसके अतिरिक्त यह प्रशांत महासागर में भी पायी जाती है।

विशेषता:-

  • इसे इसके शारीरिक आकार के कारण "लैम्प्रे ईल" भी कहा जाता है।
  • ट्राउट, कॉड और हेरिंग जैसी "बोनी" मछलियों के विपरीत, लैम्प्रे में तराजू, पंख और गिल कवर की कमी होती है। 
  • शार्क की तरह इनके कंकाल उपास्थि (Cartilage) से बने होते हैं।
  • इस मछली की मुख्य विशेषता इसका मुंह है। 
    • इसके मुंह में चारो तरफ नुकीले दांत होते हैं, जो इसे अपना शिकार पकड़ने और उसका खून चूसने में सहयोग करते हैं।
    • इसका मुंह डिस्क के आकार का सक्शन-कप की तरह होता है, जो तेज, नुकीले दांतों से घिरा होता है।
  • यह मछली अपने मुंह और आंखों के पीछे स्थित सात जोड़ी छोटे गिल छिद्रों की एक विशिष्ट पंक्ति से सांस लेते हैं।
  • यह अपनी खुरदरी जीभ का उपयोग अन्य मछलियों या जीवों का खून चूसने के लिए करती है। 
  • इस मछली की अधिकतम लंबाई 6 से 40 इंच तक तथा वजन 8 किलोग्राम से अधिक होता है।
  • इसके पीठ का रंग नीला, काला और हरा होता है, जबकि इसके पेट का रंग सुनहरा या सफेद होता है।
  • यह अपना जीवन नदी और समुद्री जल में बिताती है।
  • यह अपने अंडे मीठे पानी में देती है।
  • यह एक बार में लगभग एक लाख अंडे देती है और उसके  पश्चात् 36 दिनों के अंदर मर जाती है। उन अंडों की देखभाल मेल सी लैंप्री करता है।
  • इस समय दुनिया भर में इस मछली की 40 प्रजातियां मौजूद है।

ईल मछली:-

electric-cell

  • यह बौनी मछली की एक प्रजाति हैं, जो सांप की तरह दिखती है।
  • यह मछली खारे एवं मीठे दोनों जल में रह सकती है।
  • इस मछली की कई प्रजातियां पायी जाती हैं, जैसे- इलेक्ट्रिक ईल (जीनस इलेक्ट्रोफोरस), स्पाइनी ईल (परिवार मास्टेसेम्बेलिडे), दलदली ईल (परिवार सिनब्रान्चिडे), और गहरे समुद्र में स्पाइनी ईल (परिवार नोटैकेंथिडे)। 
  • यह मछली की प्रजाति कार्प और कैटफ़िश से अधिक निकटता से संबंधित हैं।
  • इलेक्ट्रिक ईल को इसका नाम इसकी चौंकाने वाली क्षमताओं के कारण दिया गया है।
  • यह अपने शरीर के विशेष अंगो से लगभग 650 वोल्ट के विद्युत आवेश छोड़ती है। 
  • यह अपने शिकार को अचेत करने और शिकारियों को दूर रखने के लिए अपने विद्युत आवेश छोड़ती है।
  • यह रात्रिचर, कमजोर दृष्टि वाला जीव है। 
  • यह नेविगेट करने और शिकार को ढूंढने के लिए रडार की तरह अपनी आंखों का उपयोग करने के बजाय विद्युत संकेत उत्सर्जित करती हैं। 
  • इसकी लंबाई 8 फीट (2.5 मीटर) तक होती है।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- लैम्प्रे मछली की प्रजाति के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 

  1. लैम्प्रे ईल जैसी दिखने वाली 350 मिलियन वर्ष से अधिक पुरानी मछली की प्रजाति है। 
  2. इस मछली में हड्डी एवं जबड़े नहीं होते हैं।
  3. यह मछलियों या जीवों का खून चूस कर जीवन यापन करती है। 

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) कोई भी नहीं

उत्तर - (c)

स्रोत : PHYSORG

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