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गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए)  

प्रारंभिक परीक्षा: एनपीए 
मुख्य परीक्षा : पेपर-3,  भारतीय अर्थव्यवस्था (Banking System)

चर्चा में क्यों

2022-23 में सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए हुई बैठक में वित्त मंत्री ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की निष्पक्ष और पारदर्शी पहचान सुनिश्चित करने के लिये बैंकों से कहा।

परिचय 

एनपीए:  NPA भारतीय बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए गए वे ऋण हैं, जिनके ब्याज तथा मूलधन लंबे समय से देय हैं। यह समय 90 दिन या 90 दिनों से अधिक का होता है।

  • एनपीए किसी भी बैंक की वित्तीय अवस्था को मापने का पैमाना है।
  • यदि एनपीए में वृद्धि होती है, तो यह सम्बंधित बैंक के लिए चिंता का विषय बन जाता है।
  • गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ’, बैड लोन और बैड एसेट से ही मिलकर बनती हैं।
  • एनपीए बढ़ने से बैंकों के लाभांश में कमी आती है फलस्वरूप बैंक के लिये और ऋण देना मुश्किल हो जाता है।

वर्तमान में एनपीए बढ़ने के कारण:

  • 2004 से 2009 की अवधि में  अर्थव्यवस्था में उछाल देखा गया, जिसके कारण कंपनियों ने बैंक ऋण लेने में उत्सुकता दिखाई।
  • कंपनियों द्वारा वित्तीय स्वास्थ्य का विश्लेषण किए बिना, बैंकों ने ऋण देने में ढिलाई बरती।
  • अधिकांश ऋण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों (जैसे- सड़क, बिजली, इस्पात इत्यादि) में था।  
  • मांग एवं आपूर्ति के प्रभावित होने के परिणाम स्वरुप उपर्युक्त क्षेत्रों के ऋण चुकाने की क्षमता प्रभावित हुई।

एनपीए का वर्गीकरण: 

   एनपीए इस बात पर निर्भर करता हैं कि वे कितने समय तक एनपीए श्रेणी में बनी रहती हैं।

  1. उप-मानक संपत्ति: यदि संपत्ति 12 महीने से कम या उसके बराबर अवधि के लिए एनपीए के रूप में बनी रहती है। 
  2. संदिग्ध संपत्ति: यदि संपत्ति 12 महीने से अधिक समय तक एनपीए के रूप में रहती है  
  3. हानि संपत्ति: हानि परिसंपत्ति तब माना जाता है जब वह असंग्रह्नीय हो जाती है।

एनपीए प्रबंधन  

  • बैंक समय-समय पर आंतरिक रूप से एनपीए की समीक्षा कर जोखिम को कम कर सकते हैं।
  • यदि ऋण प्राप्तकर्ता द्वारा तय समय पर ऋण नहीं चुकाया जाता है, तो बैंक ऋण के बदले गिरवी रखी गई संपत्ति को ज़ब्त कर सकता है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने सामरिक ऋण पुनर्गठन (एसडीआर) योजना के तहत एकत्रीकरण। 
  • डिफॉल्टर कंपनी के प्रबंधन में बैंक की भूमिका सुनिश्चित करके।
  • तनावग्रस्त संपत्तियों की उचित पहचान और रिपोर्टिंग करना।
  • एनपीए को डिस्काउंट पर परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों को बेचकर भी वसूली करना।  

समाधान के प्रयास 

  • एस.डी.आर. (Strategic Debt Restructuring)– कंपनियों को दिये गए आंशिक या पूर्ण ऋण को इक्विटी में बदलकर 18 महीनों के अंदर  इक्विटी को बेचकर अपने पैसे वापस ले  सकते हैं।
  • संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (2015) यह एक प्रकार का निवारक उपाय है, जिसमें उन परिसंपत्तियों की शीघ्र पहचान शामिल है जो बाद के चरण में तनावग्रस्त हो सकती हैं।
  • राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (NARCL), भारतीय ऋण समाधान कंपनी (IDRCL) के साथ मिलकर बैंकों के बैड लोन  समाधान करने का प्रयास करेगी।

उपर्युक्त प्रयासों के सकारात्मक परिणाम  सामने आ रहे है। हाल ही में उधारकर्ताओं ने सरकार को आश्वासन दिया है कि उनके बैंकों का वित्तीय स्वास्थ्य मजबूत है। वे "किसी भी व्यापक आर्थिक झटके को झेलने में सहज हैं"।

साथ ही वित्त मंत्री ने "जोखिम प्रबंधन और व्यापार आधार के विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करके नियामक ढांचे के पालन" पर जोर दिया।

एनपीए की समस्या को पूरी तरह से खत्म करना कठिन है। लेकिन दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें संरचनात्मक सुधार करके निश्चित रूप से इस स्थिति में सुधार लाया जा सकता हैं: पहला है पीएसबी (Public Sector Banks) का प्रबंधन करके और दूसरा जाँच एजेंसियों द्वारा बैंक धोखाधड़ी के मामलों को संभालने से संबंधित है।

प्रश्न:  निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

1. एनपीए, बैड लोन और बैड एसेट से मिलकर बनती हैं।

2. यदि संपत्ति 12 महीने से अधिक समय तक एनपीए के रूप में रहती है, उपमानक संपत्ति कहते हैं।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए- 

कूट-

(a) दोनों 1 तथा 2           

(b) न तो 1 ना ही 2 

(c) केवल 2              

(d) केवल 1    

उत्तर: (d) 

मुख्य परीक्षा प्रश्न: एनपीए से आप क्या समझते है? एनपीए बढ़ने की समस्या और उसके समाधान पर चर्चा कीजिए।

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