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ओ-स्मार्ट योजना

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

हाल ही में, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने समुद्री सेवाएँ, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (Ocean Services, Modelling, Application, Resources and Technology: O-SMART)योजना को जारी रखने की स्वीकृति प्रदान की।

ओ-स्मार्ट योजना

  • ‘ओ-स्मार्ट’ पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की2,177 करोड़ रुपए की लागत वाली एक छत्रक योजना है। इसे वर्ष 2021-26 की अवधि के दौरान जारी रखा जाएगा।
  • इस योजना में सात उप-योजनाएँ शामिल हैं-
    • समुद्री प्रौद्योगिकी
    • समुद्री मॉडलिंग और परामर्श सेवाएँ (Ocean Modelling and Advisory Services: OMAS)
    • समुद्री अवलोकन नेटवर्क (Ocean Observation Network: OON)
    • समुद्री निर्जीव (नॉन-लिविंग) संसाधन
    • समुद्री सजीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी (Marine Living Resources and Ecology: MLRE)
    • तटीय अनुसंधान
    • अनुसंधान पोतों का संचालन और रख-रखाव।
  • अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के अतिरिक्त इन उप-योजनाओं का कार्यान्वयन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के निम्नलिखित स्वायत्त/संबद्ध संस्थानों द्वारा किया जा रहा है-
    • राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई
    • भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र, हैदराबाद
    • राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र, गोवा
    • समुद्री सजीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी केंद्र, कोच्चि
    • राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र, चेन्नई।
  • भारत के महासागरों के निरंतर अवलोकन, प्रौद्योगिकियों के विकास तथा समुद्री संसाधनों (सजीव और निर्जीव दोनों) के दोहन के साथ-साथ समुद्र विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा देने एवं सतत् पूर्वानुमान व सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से ओ-स्मार्ट योजना को लागू किया जा रहा है।
  • इस योजना की उल्लेखनीय उपलब्धियों में हिंद महासागर के आवंटित क्षेत्र में गहरे समुद्र में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स (PMN) और हाइड्रोथर्मल सल्फाइड के खनन पर व्यापक अनुसंधान करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण में एक अग्रणी निवेशक के रूप में भारत को मान्यता मिलना सबसे महत्त्वपूर्ण है।
  • लक्षद्वीप द्वीप समूह में निम्न तापमान वाले विलवणीकरण संयंत्र की स्थापना के लिये प्रौद्योगिकी का विकास भी एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority: ISA)

  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो गहरे समुद्र में खनन के लिये 'क्षेत्रों' का आवंटन करता है।
  • इसे ‘समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ (United Nations Convention on the Law of the Sea) के तहत स्थापित किया गया है।

पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स (Polymetallic Nodules: PMN)

गहरे समुद्र तल पर पाए जाने वाले पॉलीमेटेलिक नोड्यूल ताँबा, कोबाल्ट, निकेल और मैंगनीज जैसी महत्त्वपूर्ण धातुओं से भरपूर होते हैं। 4 से 6 किमी. की गहराई, प्रतिकूल समुद्री परिस्थितियों और पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए पॉलीमेटेलिक नोड्यूल खनन एक तकनीकी चुनौती है।

पॉलीमेटेलिक सल्फाइड (PolymetallicSulphides: PMS)

पॉलीमेटेलिक सल्फाइड एक प्रकार का समुद्र तलीय खनिज है। यह सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं तथा ताँबा, जस्ता व सीसा जैसी आधारभूत धातुओं का संभावित स्रोत है।

 लाभ

  • इस योजना की निरंतरता से महासागरीय संसाधनों के सतत्, प्रभावी व कुशल उपयोग के लिये नीली अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय नीति में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
  • महासागरों एवं समुद्री संसाधनों के संरक्षण व निरंतर उपयोग के लिये सतत् विकास लक्ष्य-14 को प्राप्त करने के प्रयासों को तटीय अनुसंधान और समुद्री जैव विविधता संबंधी गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2021-2030 को सतत् विकास के लिये महासागर विज्ञानका दशक घोषित किया है। ओ-स्मार्ट के कारण व्यापक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में भारत के क्षमता निर्माण में वृद्धि होगी।
  • यह योजना अगले पाँच वर्षों (2021-26) में समुद्री क्षेत्र के लिये अग्रणी प्रौद्योगिकी का उपयोग करकेविभिन्न तटीय हितधारकों के लिये पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाएँ प्रदान करेगी, जिससे समुद्री जीवन के लिये संरक्षण रणनीति की दिशा में जैव विविधता तथा तटीय प्रक्रिया को समझने में व्यापक कवरेज प्राप्त होगा।

भारत में महासागरीय अनुसंधान

  • भारत में महासागरों से संबंधित अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के विकास की शुरुआत महासागर विकास विभाग ने शुरू की थी, जिसेवर्ष 1981 में स्थापित किया गया था। बाद में इसका विलय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में कर दिया गया।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने प्रौद्योगिकी विकास, पूर्वानुमान सेवाओं, अन्वेषणों, सर्वेक्षणों और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से समुद्र विज्ञान अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है।
  • भारत और हिंद महासागर के देशों को सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र, हैदराबाद में सुनामी व तूफान जैसी आपदाओं के लिये एक अत्याधुनिक पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई है, जिसे यूनेस्को ने मान्यता दी है।
  • इसके अलावा, भारत की महासागर संबंधी गतिविधियों को अब आर्कटिक से अंटार्कटिक क्षेत्र तक विस्तारित किया गया है, जिनकी निगरानी इन-सीटू (स्वस्थाने) और उपग्रह-आधारित प्रेक्षण के माध्यम से की गई है। भारत ने अंतर-सरकारी क्षेत्र में वैश्विक महासागर प्रेक्षण प्रणाली के हिंद महासागर घटक को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और भारत के महाद्वीपीय शेल्फ में समुद्री संसाधनों, चेतावनी सेवाओंनेविगेशन आदि के लिये व्यापक सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है।
  • समुद्री जैव विविधता के संरक्षण प्रयासों में ई.ई.जेड. और हिंद महासागर में गहराई में स्थित संसाधनों के मानचित्रण सहित समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों का मूल्यांकन शामिल है। पृथ्वी मंत्रालय तटरेखा में परिवर्तन और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र सहित भारत के तटीय जल की स्वास्थ्य निगरानी भी कर रहा है।

महासागर और भारत

  • विश्व के लगभग 70% हिस्से पर महासागर मौज़ूद हैं। गहरे समुद्र का लगभग 95% हिस्सा अभी भी नहीं खोजा जा सका है।
  • महासागर मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और व्यापार के प्रमुख आधार होने के साथ-साथ भोजन, ऊर्जा, खनिज और औषधियों के भंडार हैं।
  • भारत तीन तरफ से महासागरों से घिरा है। देश की तटरेखा की लंबाई 7,517.6 किमी. है।
  • नौ राज्यों व दो संघ-शासित प्रदेशों की सीमाएँ समुद्र तटीय हैं और देश की लगभग 30% आबादी तटीय क्षेत्रों में निवास करती है।

डीप ओशन मिशन (Deep Ocean MIssion)

  • डीप ओशन मिशन को दो चरणों में 5 वर्ष की अवधि के लिये लागू किया जाएगा। इसके पहले चरण की अवधि 3 वर्ष (2021-2024) है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय इस मिशन का नोडल मंत्रालय है।

प्रमुख उद्देश्य

  • गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिये प्रौद्योगिकियों का विकास करना।
  • महासागरीय जलवायु परिवर्तन सलाहकारी सेवाओं का विकास करना।
  • गहरे समुद्र में जैव-विविधता की खोज व संरक्षण के लिये तकनीकी नवाचार करना।
  • गहरे समुद्र का सर्वेक्षण एवं अन्वेषण करना।
  • महासागरीय ऊर्जा और ताजे जल पर अध्ययन की जाँच करना।
  • महासागरीय जीव विज्ञान के लिये उन्नत समुद्री स्टेशन की स्थापना करना।
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