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महासागर स्थिति रिपोर्ट

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, पर्यावरण प्रभाव आकलन)

संदर्भ

  • हाल ही में, यूनेस्को ने महासागर स्थिति रिपोर्ट (State of Ocean Report) जारी की है। इसके अनुसार, वैश्विक स्तर पर महासागरीय संकटों का समाधान करने और वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने के उद्देश्य से नई तकनीकों को मान्य करने के लिए जारी प्रयास अभी भी अपर्याप्त है। महासागर जलवायु को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • महासागर स्थिति रिपोर्ट का उद्देश्य नीति-निर्माताओं को महासागर की स्थिति के बारे में सूचित करना तथा ‘हमारे इच्छित भविष्य के लिए आवश्यक महासागर’ की दिशा में अनुसंधान एवं नीतिगत कार्यों को प्रोत्साहित करना है, जिससे 2030 एजेंडा और विशेष रूप से एस.डी.जी. 14 (SDG 14) के साथ-साथ अन्य वैश्विक प्रक्रियाओं (जैसे यू.एन.एफ.सी.सी.सी., जैव विविधता अभिसमय और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क) में योगदान मिल सके।

महासागर स्थिति रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष 

  • महासागरीय सतह की उष्णता में वृद्धि : वर्ष 1960 से 2023 तक महासागरों का ऊपरी 2,000 मीटर हिस्सा 0.32 ± 0.03 वाट प्रति वर्ग मीटर (W/m2) की दर से गर्म हुआ है। भविष्य में भी इसके गर्म होने की उम्मीद है, जिससे अपरिवर्तनीय बदलाव होंगे।
    • वैज्ञानिक विशेष रूप से विगत दो दशकों में तेजी से बढ़े महासागरीय तापमान को लेकर चिंतित हैं, जहां इसकी दर दोगुनी होकर 0.66 ± 0.10 W/m2 हो गई है।
    • वर्ष 2021 से 2030 को सतत विकास के लिए महासागरीय विज्ञान संयुक्त राष्ट्र दशक घोषित किया गया है। 
  • समुद्र स्तर में वृद्धि : वर्ष 2023 में समुद्र का स्तर बढ़ना जारी रहेगा। वर्ष 1993 से 2023 तक वैश्विक औसत समुद्र स्तर 3.4 +/-0.3 मिमी/वर्ष की दर से बढ़ा है।
  • अम्लीयता की समस्या : खुले महासागर में pH में निरंतर गिरावट (या अम्लीय स्तर में वृद्धि) देखी जा रही है तथा 1980 के दशक के उत्तरार्ध से प्रति दशक वैश्विक सतह महासागर pH में औसत गिरावट 0.017-0.027 pH इकाई रही है।

OCENAR

महासागरीय क्षरण का कारण 

  • पृथ्वी ऊर्जा असंतुलन (EEI) : मानवीय गतिविधियों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि का एक अन्य परिणाम महासागरों द्वारा पृथ्वी ऊर्जा असंतुलन (EEI) का बढ़ना है। EEI सूर्य से आने वाली ऊर्जा और पृथ्वी से निष्कर्षित होने वाली ऊर्जा के बीच संतुलन है।
    • महासागरों द्वारा EEI का लगभग 90% अवशोषित किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप जल स्तंभ के ऊपरी 2,000 मीटर में महासागरीय ऊष्मा सामग्री (OHC) में संचयी वृद्धि हो रही है। OHC महासागरों द्वारा संग्रहीत ऊष्मा की कुल मात्रा है।
  • डीऑक्सीजनेशन : वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि महासागरीय ऊष्मा सामग्री (OHC) में वृद्धि महासागर की परतों को आपस में मिलने में बाधक है, जिससे महासागरों की गहरी परतों तक पहुँचने वाले निकट-सतह उच्च अक्षांश के पानी की पूर्वनिर्मित ऑक्सीजन सामग्री कम हो जाती है। इस कमी को 'डीऑक्सीजनेशन' कहते हैं।   
    • इस कमी का तटीय एवं वृहत समुद्री पारितंत्रों, एक सतत नीली अर्थव्यवस्था और तटीय समुदायों पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जो पर्यटन, मत्स्य पालन, जलीय कृषि व पारितंत्र सेवाओं के लिए महासागरों पर निर्भर हैं।  
  • अम्लीकरण : रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य संकट सभी महासागरीय बेसिनों एवं समुद्रों में महासागरीय अम्लीकरण में औसत वैश्विक वृद्धि है। तटीय जल मीठे पानी का प्रवाह व जैविक गतिविधि जैसे प्राकृतिक प्रक्रियाओं के साथ-साथ तापमान परिवर्तन व एल नीनो/दक्षिणी दोलन (ENSO) जैसे जलवायु पैटर्न के कारण अम्लीय हो रहा है।
  • रासायनिक संरचना : कृषि एवं औद्योगिक गतिविधियों से प्राप्त पोषक तत्वों जैसी मानवीय गतिविधियां भी तटीय क्षेत्रों के रासायनिक संरचना को प्रभावित करती हैं। वर्ष 2020 से व्यापक तरीकों का उपयोग करके समुद्री कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (MCDR) तकनीक में रुचि बढ़ी है, जिससे कई तकनीकी, पर्यावरणीय, राजनीतिक, कानूनी एवं नियामक चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। 
    • एम.सी.डी.आर. के लिए वर्ष 2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूरोपीय संघ ने अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण वित्त पोषण की घोषणा की है।

भविष्य के लिए सुझाव 

  • वैश्विक, क्षेत्रीय एवं तटीय स्तर पर समुद्र स्तर में वृद्धि की निगरानी के लिए अंतरिक्ष-आधारित व वास्तविक निरीक्षण प्रणालियों में सुधार करने की आवश्यकता है।
  • समुद्री कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन में ऐसी तकनीकें शामिल हैं जो हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करती हैं और इसे स्थायी रूप से संग्रहीत करती हैं। यदि इसे संतुलित रूप से प्रयोग किया जाये तो यह प्रभावी साबित हो सकती है।
  • मौजूदा कवरेज में वृद्धि करना आवश्यक है। सभी क्षेत्रों के अवलोकन समय श्रृंखला रुझानों एवं डाटा अंतराल को निर्धारित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालाँकि, वर्ष 2024 तक महासागर के पी.एच. स्तर को रिकॉर्ड करने वाले 638 स्टेशन मौजूद होंगे।
  • प्राकृतिक परिवर्तनशीलता के कारण खुले समुद्र की तुलना में तटीय क्षेत्रों के लिए दीर्घकालिक डाटा सेट की आवश्यकता है। इससे समुद्री अम्लीकरण प्रवृत्तियों के उभरने का समय निर्धारित करने में मदद मिल सकती है।
  • रिपोर्ट में महासागरों के गर्म होने के तरीके और उसके प्रभावों के बारे में नियमित डाटा उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। स्वस्थ एवं लचीले महासागरों के लिए वर्तमान में उत्पन्न चुनौती के समाधान के लिए यह आवश्यक है।
  • यूनेस्को की महासागर स्थिति रिपोर्ट-2024 के अनुसार, अवलोकन एवं अनुसंधान की कमी के कारण पर्याप्त व समेकित डाटा की कमी है।
  • समुद्री जल की रासायनिक संरचना में परिवर्तन करने वाली तकनीकों पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि महासागर वायुमंडल से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकें और सूक्ष्म प्लवक के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए लौह जैसे पोषक तत्वों का संरक्षण संभव हो सके। ये पोषक तत्त्व समुद्र तल में डूब सकते हैं और सदियों या उससे अधिक समय तक संग्रहीत रह सकते हैं।
  • तटीय महासागर में कार्बन के संचयन को बढ़ाने के लिए मैंग्रोव वन, समुद्री घास के मैदान और ज्वारीय खारे दलदल जैसे तटीय ब्लू कार्बन कारकों को बहाल करने या विस्तारित करने में रुचि बढ़ानी चाहिए। 
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