प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिकी (The Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO), 2012) मुख्य परीक्षा: पेपर-1, सामाजिक सशक्तीकरण
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चर्चा में क्यों-
दिसंबर 2022 में, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कानून निर्माताओं से यौन गतिविधियों में शामिल होने वाले किशोरों के अपराधीकरण पर "बढ़ती चिंता" पर गौर करने को कहा। अध्ययन के बाद आयोग सहमत नहीं हुआ है कि POCSO अधिनियम के तहत सहमति की न्यूनतम उम्र (18 वर्ष) को कम किया जाए।
परिचय-
The Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO), 2012
- 18 साल से कम उम्र के किसी बच्चे (चाहे लड़का हो या लड़की) के साथ यौन अपराध हुआ या करने का प्रयास किया गया हो; ऐसे अपराधों में कार्यवाही POCSO के तहत की जाती है।
- यह कानून बच्चों को लैंगिक हमले, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील चित्र व साहित्य के इस्तेमाल जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- ऐसे मामलों के लिये विशेष न्यायालय की स्थापना की गई है।
- इस कानून के तहत अपराध की रिपोर्टिंग, साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग और शीघ्र परीक्षण (ट्रायल) हेतु बाल मित्र प्रक्रियाएं प्रदान की जाती है।
- कानून के उल्लंघन की स्थिति में 20 वर्ष तक का कठोर कारावास, यह आजीवन कारावास या मृत्युदंड भी हो सकता है।
मुख्य बिंदु-
- बाल संरक्षण पर राष्ट्रीय वार्षिक हितधारक परामर्श में अपने मुख्य भाषण में, CJI चंद्रचूड़ ने कहा-, POCSO अधिनियम 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों की सभी यौन गतिविधियों पर लागू होता है। भले ही दोनों के बीच सहमति हो या नहीं।
- 16 से 18 वर्ष की आयु के नाबालिग जो सहमति से कोई ऐसा कार्य करते हैं जो कानून के तहत यौन गतिविधि की परिभाषा के अंतर्गत आता है। उन पर POCSO लागू होगा।
- निर्णय करना कठिन हो जाता है जब किशोर एवं किशोरी भाग जाते हैं या सहमति से यौन गतिविधियों में शामिल होते हैं।
- किशोरी के माता-पिता की शिकायत पर POCSO के तहत किशोर पर मामला दर्ज होने का जोखिम होता है।
- किशोर यौन संबंध के मामलों में आवश्यक नहीं है कि नाबालिग लड़के को दोषी ठहराया जाए, लेकिन कड़े कानून के परिणामस्वरूप जमानत नहीं मिल पाती है और लंबे समय तक हिरासत में रखा जाता है।
- दिसंबर,2022 में, एनफोल्ड प्रोएक्टिव हेल्थ ट्रस्ट और यूनिसेफ-इंडिया के एक अध्ययन में पाया गया कि पश्चिम बंगाल, असम और महाराष्ट्र में POCSO अधिनियम के तहत हर चार मामलों में से एक में संबंध सहमति से बने थे।
आयोग का फैसला प्रभावित होने के कारण-
1. महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने का प्रस्ताव और POCSO कानून के बीच विसंगति-
दिसंबर 2021 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पुरुषों के बराबर लाने के लिए महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है आयु बढ़ाने के कारण कम उम्र में गर्भधारण के जोखिम और हतोत्साहित होता महिला सशक्तिकरण, लिंग शैक्षणिक अन्तराल आदि है। यौन सहमति की न्यूनतम उम्र कम करना विरोधाभाषी प्रतीत होता है।
2. मुस्लिम पर्सनल लॉ और POCSO कानून के बीच विसंगति-
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत लड़कियों की शादी युवावस्था में हो सकती है, जिसे 15 साल के बाद की उम्र में माना जाता है। सहमति की उम्र कम करने से बाल विवाह को प्रोत्साहन मिलेगा।
सहमति की आयु न्यूनतम करने से बाल विवाह को बढ़ावा मिल सकता है। हालाँकि जागरूकता के उपायों की सिफारिश करना बेहतर विकल्प हो सकता है। जिसमें यौन शिक्षा को अनिवार्य बनाना और स्कूलों में POCSO अधिनियम के तहत सहमति की मूल बातें पढ़ाना शामिल हो।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- बाल यौन शोषण के विरुद्ध- यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, नवंबर 2012 को लागू हुआ।
- यह अधिनियम 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों की सभी यौन गतिविधियों पर लागू होता है।
- कानून (POCSO) के उल्लंघन होने पर मृत्युदंड भी हो सकता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर : (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: यौन गतिविधियों में शामिल होने वाले किशोरों के अपराधीकरण पर "बढ़ती चिंता" के समाधान के लिए यौन सहमति की आयु 18 वर्ष से कम कर देनी चाहिए। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
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