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खराब मृदा प्रबंधन से खाद्य सुरक्षा को खतरा 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - मृदा क्षरण
मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - पर्यावरण क्षरण एवं पर्यावरण संरक्षण

स्वस्थ मृदा का महत्व

  • स्वस्थ मिट्टी मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।
  • स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ पौधों के विकास का समर्थन करती है और भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए पोषण और पानी के रिसाव दोनों को बढ़ाती है। 
  • मिट्टी कार्बन का भंडारण करके ग्रह की जलवायु को भी नियंत्रित करती है और महासागरों के बाद दूसरा सबसे बड़ा कार्बन सिंक है। 
  • इसके अतिरिक्त इसके द्वारा, एक ऐसा परिदृश्य का निर्माण किया जाता है, जो सूखे और बाढ़ के प्रभावों के प्रति अधिक लचीला हो।
  • स्वस्थ खाद्य उत्पादन के लिए मृदा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, क्योंकि मिट्टी खाद्य प्रणालियों का आधार है।

मृदा क्षरण और उसके प्रभाव 

  • मिट्टी के समक्ष प्रमुख खतरे पोषक तत्वों की हानि और प्रदूषण हैं, जो विश्व स्तर पर खाद्य और पोषण सुरक्षा को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार हैं।
  • कृषि, खनन, औद्योगिक गतिविधियाँ, अपशिष्ट उपचार, जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण, और प्रसंस्करण, मिट्टी के क्षरण के मुख्य चालक हैं।
  • मिट्टी में पोषक तत्वों के क्षरण का प्रमुख कारण मिट्टी का कटाव, अपवाह, लीचिंग और फसल अवशेषों को जलाना है। 
  • मृदा क्षरण, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के कुल भूमि क्षेत्र के लगभग 29% क्षेत्र को प्रभावित करता है। 
    • जिसके कारण यह कृषि उत्पादकता, पानी की गुणवत्ता, जैव विविधता संरक्षण और भूमि पर निर्भर समुदायों की आजीविका के समक्ष एक प्रमुख खतरा है।
  • इसके अलावा, अनियंत्रित उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग और दूषित अपशिष्ट जल के द्वारा सिंचाई भी मृदा प्रदूषण में योगदान करते हैं।
  • मृदा क्षरण के प्रभाव दूरगामी हैं, मानव तथा पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य पर इसके अपूरणीय परिणाम हो सकते हैं।

soil management

भारत की मृदा संरक्षण रणनीति

  • भारत सरकार मृदा संरक्षण के लिए पांच सूत्री रणनीति लागू कर रही है, जिसमें शामिल है –
    • मिट्टी को रसायन मुक्त बनाना
    • मिट्टी की जैव विविधता को बचाना 
    • मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाना
    • मिट्टी की नमी को बनाए रखना
    • मिट्टी के क्षरण को कम करना तथा कटाव को रोकना
  • पहले, किसानों को मिट्टी के प्रकार, मिट्टी की नमी की मात्रा के बारे में जानकारी का अभाव था,  इसके लिए, भारत सरकार ने 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना शुरू की। 
    • SHC का उपयोग करके मृदा स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति का आकलन और मृदा स्वास्थ्य में परिवर्तन का निर्धारण किया जाता है। 
    • SHC मृदा स्वास्थ्य संकेतक प्रदर्शित करता है, जो किसानों को आवश्यक मृदा संशोधन करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (NMSA) में कई उप-योजनाएँ शामिल हैं, जो जैविक खेती और प्राकृतिक खेती जैसी स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देती हैं, जिससे रासायनिक निर्भरता कम होती है और छोटे और सीमांत किसानों पर मौद्रिक बोझ कम होता है।
  • मिट्टी के कटाव को रोकने, प्राकृतिक वनस्पतियों के पुनर्जनन, वर्षा जल संचयन और भूजल तालिका के पुनर्भरण के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गयी।
  • संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने की दिशा में मृदा संरक्षण में भारत सरकार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए कई प्रकार की गतिविधियां करता है।
    • एफएओ डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके पूर्वानुमान उपकरण विकसित करने के लिए राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण और कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (एमओए एंड एफडब्ल्यू) के साथ सहयोग कर रहा है, जो किसानों को फसल विकल्पों पर सूचित निर्णय लेने में सहायता प्रदान करेगा।
    • एफएओ 8 लक्षित राज्यों (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा) में फसल विविधीकरण और लैंडस्केप-स्तरीय योजना को बढ़ाने के लिए कार्य कर रहा है।

विश्व मृदा दिवस 

  • विश्व मृदा दिवस प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को मनाया जाता है। 
  • यह मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करके, मिट्टी में सुधार के लिए समाजों को प्रोत्साहित करके स्वस्थ मिट्टी, पारिस्थितिक तंत्र पर जागरूकता बढ़ाने का एक प्रमुख साधन है। 

आगे की राह  

  • खराब हुई मिट्टी के प्रबंधन और बहाली के लिए सभी हितधारकों के बीच समन्वयन बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। 
  • साक्ष्य-आधारित जानकारी की समय पर उपलब्धता भी आवश्यक है।
  • सभी लक्षित लाभार्थियों को सफल संरक्षण प्रथाओं और स्वच्छ एवं टिकाऊ प्रौद्योगिकियों की जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।
  • नागरिक, वृक्षारोपण द्वारा, किचन गार्डन का विकास और रख-रखाव करके, और मौसमी और स्थानीय रूप से प्राप्त भोजन का प्रयोग करके मृदा संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
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