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ज़िलेवार निर्यात प्रोत्साहन की तैयारी

(प्रारंभिक परीक्षा : आर्थिक-सामाजिक क्षेत्रों में की गई विकासात्मक पहलें)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र–2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा क्रियान्वयन के कारण उत्पन्न विषय; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र–3 : भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग)

संदर्भ

  • हाल ही में, भारत सरकार ने देशभर के 725 ज़िलों में निर्यात किये जाने योग्य उत्पादों तथा सेवाओं की पहचान थी। इसके पश्चात् केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कुल 451 ज़िलों के लिये ‘ज़िलेवार निर्यात प्रोत्साहन योजना’ का मसौदा तैयार किया है।

ज़िलेवार निर्यात प्रोत्साहन योजना

  • इस योजना का उद्देश्य देशभर के 500 ज़िलों में आगामी 3-5 वर्षों में निर्यात संवृद्धि को बढाकर दोहरे अंकों में करना है। इस संदर्भ में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने राज्यों को ‘वार्षिक निर्यात रैंकिंग सूचकांक’ तैयार करने को कहा है ताकि जिलों के मध्य निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ावा दिया जा सके। यह सूचकांक ‘विदेश व्यापार महानिदेशालय’ (DGFT) की सहायता से तैयार किया जाएगा।
  • भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विदेशी व्यापार का योगदान लगभग 45% है। भारत में निर्यात संवर्द्धन हेतु अधिकांश प्रयास केंद्र सरकार द्वारा किये जाते हैं।
  • वर्ष 2019 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में प्रत्येक ज़िले को निर्यात हब बनाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री के इस ज़िला विशिष्ट दृष्टिकोण से प्रत्येक राज्य को अपने प्रदेश में उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी, जिनमें निर्यात की व्यापक संभावनाएँ मौजूद हैं। इसके अलावा, राज्यों को लॉजिस्टिक्स संबंधी बाधाओं को दूर करने में भी मदद मिलेगी।
  • इसके शुरुआती चरण में प्रत्येक ज़िले में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों तथा सेवाओं की पहचान की गई है। इसके अलावा, प्रत्येक ज़िले से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कार्ययोजना तैयार की जा रही है तथा एक बेहतर संस्थागत तंत्र के विकास के लिये ‘राज्य एवं ज़िला निर्यात संवर्द्धन समितियाँ’ (SEPC) भी गठित की जा रही हैं। सिर्फ पश्चिम बंगाल को छोड़कर शेष सभी राज्यों के ज़िलों में ‘ज़िला निर्यात संवर्द्धन समितियों’ को अधिसूचित किया गया है।
  • चयनित 451 ज़िलों के लिये ‘ज़िला निर्यात कार्ययोजना’ का प्रारूप क्षेत्रीय विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के प्राधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है। देशभर के 725 ज़िलों में पहचाने गए निर्यात क्षमता वाले उत्पादों तथा सेवाओं में संबंधित ज़िलों के कृषि उत्पाद, खिलौने, भौगोलिक संकेतक संबद्ध उत्पाद आदि शामिल हैं।

वन डिस्ट्रिक्ट वन फोकस प्रोडक्ट (ODOFP)

  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की यह पहल ज़िलों को आर्थिक रूप से क्षमतावान बना सकती है। इसके माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार व उद्यमिता को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है, जो अंततः भारत को आत्मनिर्भर बनने में सहायता प्रदान करेगी।
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की सहायता से 'वन डिस्ट्रिक्ट वन फोकस प्रोडक्ट' (ODOFP) पहल के अंतर्गत उत्पादों की सूची जारी की है। इस प्रक्रिया में राज्यों, संघ शासित प्रदेशों तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) के माध्यम से प्राप्त जानकारी के आधार पर उत्पादों की सूची को अंतिम रूप दिया गया है।
  • इसके लिये देशभर के 728 जिलों से कृषि, बागवानी, दुग्ध, मत्स्य, जलीय कृषि तथा समुद्री क्षेत्रों के उत्पादों की पहचान की गई है।
  • इन उत्पादों के सरकारी योजनाओं में शामिल होने से ना सिर्फ इन्हें मान्यता प्राप्त होगी, बल्कि इनके मूल्‍य में भी वृद्धि होगी, जो किसानों की आय-वृद्धि के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा।
  • इन सूचीबद्ध उत्पादों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण योजना’ (PM-FME) के तहत समर्थित किया जाएगा। यह योजना सूक्ष्म स्तर के खाद्य उद्यमियों, खाद्य प्रसंस्करण संगठनों, स्वयं सहायता समूहों तथा सहकारी समितियों का समर्थन करने के उद्देश्य से लॉन्च की गई है।
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एकीकृत बागवानी विकास मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से वन डिस्ट्रिक्ट वन फोकस प्रोडक्ट पहल को समर्थन प्रदान करेगा।
  • राज्य सरकारों द्वारा इस पहल के क्रियान्वयन से कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन होगा। इससे न सिर्फ कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि होगी, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
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