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बिम्सटेक समूह की वर्तमान स्थिति एवं भविष्य 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय संबंध, भारत से संबंधित और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

हाल ही में,बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) के पाँचवें शिखर सम्मेलन की मेजबानी वर्चुअल माध्यम से श्रीलंका द्वारा की गई, जो वर्तमान में बिम्सटेक का अध्यक्ष है।

बिम्सटेकसमूह

  • बिम्सटेक एक बहुपक्षीय क्षेत्रीय सहयोग मंच है, जिसका प्रमुख उद्देश्य आर्थिक और विकास सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना है। इस मंच के सदस्य देश भौगोलिक रूप से बंगाल की खाड़ी के तट पर या उस पर निर्भर हैं।
  • इस क्षेत्रीय समूह की स्थापना वर्ष 1997 में बैंकाक घोषणा के माध्यम सेकी गयी थी, जिसके सदस्य देशों में बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका,म्याँमारएवं थाईलैंड शामिल है। इसका मुख्यालय ढाका, बांग्लादेश में हैं।
  • यह समूह विश्व की आबादी के पाँचवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में केवल 4% योगदान देते हैं। 

संस्थापक सदस्य- भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका (6 जून, 1997)

  • BIST-EC (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग)    

अन्य शामिल देश-

  1. म्याँमार  (22 दिसंबर, 1997) 
  • BIMST-EC (बांग्लादेश, भारत, म्याँमार, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग)    
  1. नेपालतथाभूटान (फरवरी 2004)
  • BIMSTEC (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल)  

कोलंबो बैठक 

  • इस शिखर-सम्मेलन की मुख्य विषयवस्तु “टूवर्ड्स ए रेजीलियंट रीजन, प्रॉस्पेरस इकोनॉमीज़, हेल्दी पीपुल”है।
  • वर्तमान बैठक में बिम्सटेक चार्टर, यातायात संपर्क के लिये बिम्सटेक मास्टर प्लान, आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर बिम्सटेक समझौता, राजनयिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर बिम्सटेक समझौता-ज्ञापन, बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा (TTF) की स्थापना के लिये प्रबंध-पत्र आदि पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • बैठक में भारत ने सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते का आह्वान किया है।साथ ही, तटीय शिपिंग और अंतर-क्षेत्रीय ऊर्जा ग्रिड कनेक्शन की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।

    शिखर सम्मेलन के महत्त्वपूर्ण बिंदु

    • इस शिखर सम्मेलन के दौरान एक संस्थागत ढाँचा तैयार करने हेतु बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर किया गयाचार्टर के तहत, बिम्सटेक सदस्यों की बैठक को प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किया जाना निश्चित किया गया।
    • बिम्सटेक को 'कानूनी व्यक्तित्व' (LegalPersonality) के साथ 'एक अंतर-सरकारी संगठन' के रूप में प्रस्तुत किया गया। 
    • बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के लिये 'बहुआयामी कनेक्टिविटी' को बढ़ावा दिया जाना निश्चित किया गया। 
    • एक उप-क्षेत्रीय संगठन के रूप में नहीं बल्कि एक क्षेत्रीय संगठन के रूप में समूह को प्रदर्शित किया गया। 

      अन्य प्रमुख समझौतें

      विशिष्टक्षेत्र प्रभार व्यवस्था

      • इस शिखर सम्मेलन में समूह ने सहयोग के 14 प्रमुख स्तंभों को घटाकर 7 स्तंभों को प्रस्तुत किया है। इसके तहत प्रत्येक सदस्य देश किसी एक क्षेत्र के लिये नेतृत्वकर्ता के रूप में कार्य करेगा।
      • इन सात स्तंभों में ऊर्जा और क्षेत्रीय सुरक्षा (भारत), व्यापार, निवेश और विकास (बांग्लादेश),पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन (भूटान),कृषि और खाद्य सुरक्षा (म्यांमार),लोगों से लोगों के बीच संपर्क (नेपाल),विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (श्रीलंका) तथा कनेक्टिविटी (थाईलैंड) शामिल हैं।

      यातायात संपर्कता केलियेमास्टरप्लान

      • बिम्सटेक एशिया के दो प्रमुख उच्च-विकास केंद्रों - दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है। बंगाल की खाड़ी के शांतिपूर्ण, समृद्ध और सतत क्षेत्र को विकसित करने के लिये संपर्कता आवश्यक है।
      • शिखर सम्मेलन में वर्ष 2018-2028 के लिये एशियाई विकास बैंक द्वारा तैयार और समर्थित ‘यातायात संपर्कता हेतु मास्टर प्लान’ को अपनाया गया है।इसमें 126 अरब डॉलर के कुल निवेश वाली 264 परियोजनाओं की सूची है, जिसमें से 55 अरब डॉलर की परियोजनाएँ वर्तमान में लागू की जा रही हैं।

      बिम्सटेक क्षेत्र में आगामी सुधार 

      • इस क्षेत्र में व्यापार, आर्थिक विकास और निवेश सहयोग के स्तंभ को अधिक मजबूती एवं तेज गति से बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्ष 2004 में एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिये एक मसौदे पर हस्ताक्षर करने के बावजूद, बिम्सटेक ने इस पर अब तक कोई विशेष प्रगति नहीं की है।
      • वर्तमान परिदृश्य में बिम्सटेक देशों के मध्यकनेक्टिविटी के विस्तार, तटीय शिपिंग, सड़क परिवहन और अंतर-क्षेत्रीय ऊर्जा ग्रिड कनेक्शन को अपनाने की अवश्यकता है। 
      • बिम्सटेक देशों को नीली अर्थव्यवस्था, डिजिटल अर्थव्यवस्थाऔर स्टार्ट-अप तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

      बिम्सटेक का बढ़ता महत्व

      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के उभरने के साथ ही बंगाल की खाड़ी का आर्थिक और सामरिक महत्त्व तेजी से बढ़ रहा है। 
      • पश्चिमी प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों के मध्य बढ़ते आर्थिक, भू-राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों के कारण यह समूह महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। विदित है कि बंगाल की खाड़ी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के केंद्र के रूप में विकसित हो रही है। 
      • इस समूह की महत्ता भारत की 'पड़ोसी पहले' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियों के माध्यम से समझी जा सकती है। यह समूह क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया को तेज कर रहा है। 

      बिम्सटेकसमूह के सुदृढ़ीकरण हेतु सुझाव

      • बिम्सटेक देशों के राजनीतिक नेतृत्व के मध्य व्यक्तिगत जुड़ाव को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। प्रत्येक दो वर्ष में एक शिखर सम्मेलन के आयोजन का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है। लेकिन इस शिखर सम्मेलन को वार्षिक रूप से आयोजित किये जाने का लक्ष्य रखा जाना चाहिये।
      • समूह के नाम को सरल बनाने के सुझाव पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। 12 शब्दों में चल रहे वर्तमान नाम को केवल चार शब्दों बंगाल की खाड़ी समुदाय (BOBC)में बदला जाना चाहिये। 
      • बिम्सटेक सचिवालय बिम्सटेक गतिविधियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये समन्वय, निगरानी एवं सुविधा प्रदान करता है। सदस्य देशों को बिम्सटेक सचिवालय की संस्थागत क्षमता को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिये।
      • बंगाल की खाड़ी की नीली अर्थव्यवस्था की क्षमता का संपूर्ण दोहन करने के लिये सदस्य देशों की सरकारों, वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों द्वारा समन्वित एवं ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
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