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ऑस्ट्रेलिया का प्रस्तावित कानून : ‘समाचार मीडिया अनिवार्य मोलभाव (बार्गेनिंग) संहिता’

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ: मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र– 2 : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया की संसद में ‘समाचार मीडिया अनिवार्य मोलभाव संहिता’ (मीडिया बार्गेनिंग कोड) पेश की गई है। यह अपने आप में ‘दुनिया का पहला’ ऐसा मीडिया कानून है, जिसके तहत गूगल और फेसबुक जैसी प्रौद्योगिकी कम्पनियों को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर समाचार सामग्री प्रदर्शित करने के लिये समाचार एजेंसियों को क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करना पड़ेगा।

प्रमुख बिंदु

  • इस प्रस्तावित कानून के अनुसार, बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियों को ऑस्ट्रेलिया में प्रमुख मीडिया कम्पनियों के साथ ख़बरों के उपयोग, उनका प्रदर्शन तथा उससे होने वाली कमाई के उचित वितरण के विषय पर बातचीत करने के लिये एक साथ एक मंच पर लाया जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि वर्तमान में डिजिटलीकरण के समय में लोग समाचार एजेंसियों के आधिकारिक टीवी चैनल या मुद्रित समाचार पत्र का उपयोग करने की बजाय गूगल, फेसबुक तथा यूट्यूब जैसे ऑनलाइन माध्यमों का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे विज्ञापन कम्पनियाँ समाचार कम्पनियों को सीधे ऑफलाइन विज्ञापन देने की बजाय ऑनलाइन माध्यमों को प्राथमिकता दे रही हैं।
  • इस प्रकार, विज्ञापन उद्योग के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट होने से समाचार कम्पनियों को तुलनात्मक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
  • मीडिया और प्रौद्योगिकी कम्पनी किसी तय कीमत पर समझौता नहीं कर पाती हैं तो बाध्यकारी निर्णय लेने के लिये एक स्वतंत्र मध्यस्थ की नियुक्ति की जाएगी।
  • अगर डिजिटल कम्पनियाँ मध्यस्थ के निर्णय का पालन करने में असमर्थ रहती हैं तो उन पर 74 लाख अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • एक सर्वे के अनुसार, ऑनलाइन विज्ञापनों में गूगल की हिस्सेदारी 53% तथा फेसबुक की हिस्सेदारी 23% है।

प्रस्तावित कानून से लाभ

  • प्रस्तावित कानून के तहत ऑनलाइन विज्ञापन बाज़ार में सभी को समान प्रतिस्पर्धा का अवसर मिलने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया में एक स्थाई और व्यवहार्य मीडिया परिदृश्य सुनिश्चित हो सकेगा।
  • इससे मूल समाचार सामग्री तैयार करने वाली संस्थाओं तथा समाचार प्रकाशकों को उचित प्रतिफल प्राप्त होगा।

प्रस्तावित कानून से जुड़ी समस्याएँ

  • इस प्रस्तावित कानून में गूगल तथा फेसबुक जैसी कम्पनियों तथा समाचार एजेंसियों के बीच अनिवार्य बातचीत के लिये एक मध्यस्थता मॉडल का तो प्रावधान किया गया है लेकिन इसमें दोनों पक्षों के मध्य समाचार प्रदर्शन से होने वाली कमाई के वितरण से सम्बंधित किसी अनुपातिक फार्मूले का अभाव है।
  • राजस्व वितरण या प्रौद्योगिकी कम्पनियों द्वारा समाचार एजेंसियों को जाने वाली क्षतिपूर्ति से सम्बंधित किसी स्पष्ट फार्मूला के अभाव में दोनों पक्षों के बीच हितों के टकराव को लेकर विवाद बढ़ने की आशंका है। इस प्रकार, मध्यस्थ का निर्णय बाध्यकारी होने के कारण प्रशासनिक तंत्र द्वारा सम्बंधित प्रौद्योगिकी कम्पनियों का शोषण किये जाने की सम्भावना है।
  • इस प्रकार के कानूनों से स्वंतत्र बाज़ार प्रणाली में राज्य के हस्तक्षेप से अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियाँ उस देश में कार्य करने के लिये हतोत्साहित होंगी, जिससे उस देश में निवेश और रोज़गार सृजन का जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
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