हाल ही में, पंजाब विधानसभा ने केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गए तीन नए कृषि विधेयकों को खारिज़ करते हुए सर्वसम्मति से तीन नए विधेयकों को पारित किया है। पंजाब ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
साथ ही, पंजाब विधान सभा ने केंद्र द्वारा प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक को खारिज़ करते हुए इसे तत्काल रद्द किये जाने की मांग भी की तथा कृषि उपजों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा के लिये अध्यादेश लाने और केंद्र द्वारा खरीद की निरंतरता सुनिश्चित किये जाने की भी मांग की।
संशोधित विधेयकों में कृषि समझौते के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर गेहूँ या धान की खरीद-बिक्री करने पर अधिकतम तीन साल की कैद और ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त, अन्य कृषि उपज की कालाबाज़ारी और जमाखोरी पर भी रोक का प्रावधान किया गया है।
एम.एस.पी. से कम दाम पर खरीद-बिक्री करने पर सज़ा के प्रावधान को किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौते के तहत मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक, 2020 के अंतर्गत शामिल किया गया है। संशोधित विधेयक के खंड 6 से 11 में किसानों के उत्पीड़न या किसानों को कम कीमत का भुगतान करने पर दंड का भी प्रावधान किया गया है।
पंजाब विधान मंडल आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक, 2020, के द्वारा केंद्र के 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020' की धारा 1 (2) और धारा 3 (1 ए) में संशोधन करके आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है।
इसके अतिरिक्त, चौथा विधेयक नागरिक प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2020 भी पारित किया गया है, जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 60 के तहत अधिकतम 2.5 एकड़ कृषि भूमि की छूट का प्रावधान करता है तथा विभिन्न चल-अचल सम्पत्ति के लिये अनुलग्नक (Attechment) या डिक्री प्रदान करता है।
इस उपबन्ध की धारा-B में किसानों की सम्पत्ति जैसे कि मवेशी, औजार, गौशाला, आदि को कुर्की से छूट दी जाएगी, हालांकि कृषि भूमि को इसमें शामिल किया जाएगा। अपनी भूमि के अनुलग्नक या डिक्री के सम्बन्ध में किसानों की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार ने इस विधेयक के माध्यम से छोटे किसानों और अन्य लोगों को 2.5 एकड़ तक की भूमि के लिये अनुलग्नक या डिक्री से पूरी छूट देने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।