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क्वाड शिखर सम्मेलन और भारत के हित

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: विषय-द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

हाल ही में, चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (QUAD) की वर्चुअल बैठक संपन्न हुई। इसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान के राष्ट्रध्यक्षों ने हिस्सा लिया। इस बैठक के परिणामों के आधार पर यह धारणा कमज़ोर हुई है कि क्वाड केवल बातचीत तक  ही सीमित है, इसमें ठोस निर्णय नहीं लिये जाते हैं।

शिखर सम्मेलन के प्रमुख बिंदु

  • इस सम्मेलन की मेज़बानी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने की और इसमें ‘स्प्रिट ऑफ़ क्वाड’ नाम से पहला संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।
  • चारों राष्ट्रध्यक्षों ने मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये समर्पित ‘दबाव से मुक्त’ नामक संयुक्त लेख भी जारी किया और स्वतंत्र, मुक्त तथा समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये एकजुट होकर कार्य हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त की।
  • साथ ही, ने शिखर सम्मेलन में वैक्सीन पहल, जलवायु परिवर्तन तथा महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकीय मुद्दों पर सहयोग हेतु संयुक्त कार्य समूह के गठन का निर्णय लिया गया।
  • वैक्सीन पहल के अंतर्गत चारों देशों ने मिलकर वर्ष 2022 तक एक बिलियन वैक्सीन्स के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है। इन्हें विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वितरित किया जाएगा।
  • वैक्सीन का निर्माण भारत में अमेरिकी तकनीक की सहायता से किया जाएगा और इसे जापान द्वारा वित्तपोषित तथा ऑस्ट्रेलिया द्वारा वितरित किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त, चारों देशों ने पेरिस समझौते के आधार पर उत्सर्जन में कमी करने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी आपूर्ति शृंखला, 5G नेटवर्क और जैव प्रौद्योगिकी जैसे मुद्दों पर एक-दूसरे का सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।

सदस्य देशों के लिये क्वाड का महत्त्व

  • अमेरिका के संदर्भ में क्वाड की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसके माध्यम से अमेरिका पुनः वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है, क्षेत्रीय समझौतों को मज़बूत कर सकता है और चीन संबंधी चुनौतियों से पूरी क्षमता के साथ निपट सकता है।
  • इसी प्रकार, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान के संदर्भ में भी क्वाड महत्त्वपूर्ण है। एक तरफ, जहाँ चीन के साथ इन दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंध हैं, वहीं दूसरी तरफ, व्यापार और दूरसंचार जैसे मुद्दों पर भी चीन के साथ दोनों देशों के आपसी मतभेद हैं। ऐसे में, ऑस्ट्रेलिया व जापान क्वाड के माध्यम से चीन से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

क्वाड  और भारत के हित

  • चीन तथा पकिस्तान के साथ सीमा विवादों की अनिश्चितताओं के विपरीत, क्वाड सदस्यों के सहयोग से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • ऐसे में, एक तरफ जहाँ भारत चीन से निपटने में क्वाड द्वारा अधिकाधिक सामरिक समर्थन प्राप्त कर सकता है, वहीं दूसरी तरफ, क्वाड के माध्यम से भारत को अपने फार्मास्युटिकल उद्योग को बढ़ावा देने तथा प्रौद्योगिकी साझेदारी के लिये नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
  • इसके अतिरिक्त, भारत अपनी अनेक विकास परियोजनाओं के लिये क्वाड सदस्यों से वित्तीय सहयोग भी प्राप्त कर सकेगा। साथ ही, अन्य देशों, विशेषकर दक्षिण एशियाई देशों में आधारभूत अवसंरचना निर्माण हेतु क्षेत्रीय सहयोग प्राप्त करके चीन को प्रतिसंतुलित कर सकता है।
  • कुल मिलकर, क्वाड भारत को ऐसे अनेक अवसर प्रदान कर सकता है, जिनके माध्यम से भारत अपने भू-राजनीतिक हितों को प्राप्त कर सकेगा।

चुनौतियाँ

  • ध्यातव्य है कि चीन भारत सहित सभी क्वाड सदस्यों के समक्ष सैन्य चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रहा है, ऐसे में, सम्मेलन में सदस्य देशों के मध्य सामरिक सहयोग पर चर्चा न होना गंभीर चिंता का विषय है।
  • चारों सदस्यों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मुद्दे पर तो सहमति दिखाई देती है, परंतु क्वाड में सामंजस्यपूर्ण लक्ष्य, रणनीतिक उद्देश्य एवं संस्थागत संरचना का अभाव है, जो इसके लिये भविष्य के संदर्भ में आशंकाएँ उत्पन्न करते हैं।
  • क्वाड सदस्यों के मध्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित प्राथमिकताओं में भी अंतर दिखाई देता है। जहाँ भारत की प्राथमिकता हिंद महासागर है, वहीं जापान और ऑस्ट्रेलिया के हित प्रशांत महासागर क्षेत्र में निहित हैं।
  • जहाँ एक ओर, अमेरिका क्वाड के माध्मय से चीन को प्रतिसंतुलित करने की बात करता है तो वहीं यह आर्थिक हितों की पूर्ति के लिये चीन के साथ अपने संबंधों को सुधारने का प्रयास भी कर रहा है।
  • जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिये चीन सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हाल ही में हुए आर.सी.ई.पी. समझौते में जापान, ऑस्ट्रेलिया और चीन शामिल हैं, परंतु भारत इस समझौते से बाहर है; ऐसे में जापान और ऑस्ट्रेलिया भारत की बजाय चीन से अधिक लाभान्वित होंगे। इससे क्वाड के हित भी प्रभावित होंगे।
  • जहाँ भारत क्वाड के माध्यम से चीन की आक्रामकता को प्रतिसंतुलित करने की कोशिश कर रहा है, वहीं यह अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, जैसे- ब्रिक्स और एस.सी.ओ. में, चीन के साथ मंच भी साझा करता है। अपनी इस दुविधापूर्ण स्थिति के कारण भारत क्वाड में अपनी प्राथमिकताओं को तय नहीं कर पा रहा है।
  • वर्तमान में क्वाड का स्वरूप अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक एवं व्यापारिक हितों की तरफ अधिक झुका हुआ प्रतीत होता है, जो कि क्वाड के उद्देश्यों को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

क्वाड को चीन के लिये एक चुनौती के रूप में प्रस्तुत करना सही नहीं है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा संगठित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता हेतु समर्पित एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभर रहा है। अतः क्वाड को आपसी द्वेषों को सुलझाने के लिये केवल एक सैन्य गठबंधन की बजाय ‘वैश्विक भलाई’ हेतु एक समूह के रूप में प्रयुक्त किया जाना चाहिये।

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