चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, भारत सरकार ने कोविड-19 से ग्रस्त रोगियों के उपचार के लिये दो नए टीकों व एक ओरल एंटी-वायरल दवा के निर्माण को मान्यता प्रदान की है।
कोरबेवैक्स: प्रोटीन सबयूनिट टीका
- इसे हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल-ई कंपनी द्वारा निर्मित किया गया है।
- कोरबेवैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट टीका है, अर्थात् यह पूरे वायरस से लड़ने की बजाय प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मज़बूत करता है।
- सबयूनिट टीके में एक हानिरहित एस प्रोटीन होता है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन की पहचान कर लेती है, तो यह वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिये एंटीबॉडी का उत्पादन करती है।
- इस टीके में वायरस के एंटीजेनिक भागों को ‘टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट’ द्वारा विकसित किया गया है।
- बायोलॉजिकल-ई कंपनी ने प्रति माह 75 मिलियन खुराक का उत्पादन करने की योजना बनाई है।
कोवावैक्स: पुनः संयोजक नैनोपार्टिकल टीका
- भारत में यह सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा अमेरिका स्थित नोवावैक्स के सहयोग से विकसित किया गया है।
- कोवावैक्स भी एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है, लेकिन यह पुनः संयोजक नैनो कण प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है।
- इस टीके के निर्माण में कोशिका के अंदर हानिरहित स्पाइक प्रोटीन को विकसित किया जाता है व बाद में प्रोटीन को निकाल कर नैनोकणों में इकट्ठा किया जाता है।
- यह मानव शरीर में प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले यौगिक की भांति कार्य करता है।
- इस प्रकार की तकनीक का उपयोग एच.पी.वी. (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) और हेपेटाइटिस बी के टीके में किया जाता है।
- विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) ने वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की सूची में रखा है।
मोलनुपिरवीर: ओरल एंटीवायरल दवा
- इसे अमेरिकी दवा निर्माता रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स और मर्क के सहयोग से विकसित किया गया। भारत में इसका निर्माण ऑप्टिमस फार्मा द्वारा किया जा रहा है।
- इसे मुख्यतः कोविड -19 के वयस्क रोगियों (जिनमें बीमारी के बढ़ने का उच्च जोखिम है) के उपचार हेतु मंज़ूरी दी गई है।
- यह वायरस के आनुवंशिक कोड में बदलाव करके वायरस की प्रतिकृति (Replication) को बाधित करता है।