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राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिशें

प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय किसान आयोग, MSP, अभिजीत सेन समिति
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3, न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय

चर्चा में क्यों-

MSP की कानूनी गारंटी के लिए आंदोलनरत किसान ‘राष्ट्रीय किसान आयोग’ की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं है। आयोग की सिफारिशों में कहा गया था कि MSP 'उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50%' अधिक होना चाहिए।

National-Farmers-Commission

मुख्य बिंदु-

  • 18 नवंबर, 2004 को कृषि मंत्रालय ने प्रोफेसर एम.एस.स्वामीनाथन के नेतृत्व में ‘राष्ट्रीय किसान आयोग’ (NCF) का गठन किया। आयोग के अन्य सदस्य थे-
    • पूर्णकालिक सदस्य-  डॉ. राम बदन सिंह और वाई.सी. नंदा 
    • अंशकालिक सदस्य-  डॉ. आर.एल. पितले, जगदीश प्रधान, चंदा निंबकर और अतुल कुमार अंजन
    • सदस्य सचिव-  अतुल सिन्हा
  • दिसंबर 2004 और अक्टूबर 2006 के बीच NCF ने पांच रिपोर्टें प्रस्तुत कीं। 
  • इस आयोग ने न तो MSP के लिए कानूनी गारंटी की सिफारिश की और न ही इसकी गणना के फॉर्मूले की।

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आयोग की सिफारिशें-

  • आयोग ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में MSP से संबंधित केवल दो सिफारिशें की,
    • विशेष रूप से खरीफ फसलों के संबंध में MSP निर्धारित करने में देरी से बचना चाहिए।
    • सभी क्षेत्रों में MSP के कार्यान्वयन में सुधार की आवश्यकता है।
  • पंजाब, हरियाणा, यू.पी. और आंध्र प्रदेश को छोड़कर MSP के तहत आने वाली कृषि वस्तुओं की कीमतें सरकारी हस्तक्षेप के अभाव में अक्सर MSP से नीचे रहती हैं।
  • कमियों के बावजूद MSP को निकट भविष्य में जारी रखना पड़ सकता है और इसके कार्यान्वयन में सुधार किया जा सकता है।
  • रिपोर्ट में C2 के आधार पर MSP की गणना का उल्लेख नहीं किया गया है।
  • इसमें उत्पादन की लागत पर चर्चा की गई है और कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) को सुझाव दिया गया है कि,
    • MSP को तय करते समय उत्पादन की लागत पर विचार करना महत्वपूर्ण है। 
    • उत्पादन की लागत तय करना आसान नहीं है, 
      • एक ही फसल की उत्पादन लागत अलग-अलग क्षेत्रों और एक ही क्षेत्र के किसानों के बीच अलग-अलग होती है। 
      • CACP उत्पादन लागत की परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखते हुए राज्यों में उत्पादन की भारित औसत लागत के आधार पर MSP की सिफारिश करता है।
      • CACP उत्पादन कारकों, उत्पादन की परिवर्तनीय लागत, भुगतान किए गए कारकों के साथ-साथ अशोधित कारकों के मूल्यों को भी ध्यान में रखता है। 
  • जोखिम कारक, विपणन तथा फसल कटाई के बाद के खर्चों को MSP निर्धारित करते समय ध्यान में नहीं रखा जाता है। 
  • CACP इन पहलुओं पर गौर कर सकती है।
  • ‘दीर्घकालिक अनाज नीति, 2002 पर अभिजीत सेन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों की भी रिपोर्ट में चर्चा की गई है।

agriculture

  • अभिजीत सेन समिति ने MSP और मूल्य समर्थन संचालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच की थी।
  • अभिजीत सेन समिति के अनुसार,
    • ‘उचित औसत गुणवत्ता’ (FAQ) वाले अनाज पर MSP की सिफारिश करते समय CACP को उत्पादन के C2 लागत को लागू करना चाहिए। 
      • इसमें पारिवारिक श्रम की अनुमानित लागत, स्वामित्व, व्यय पूंजी और भूमि पर किराया शामिल है। 
    • CACP को अपेक्षाकृत उच्च लागत वाले क्षेत्रों के लिए A 2 + FL लागत के अपने अनुमानों को भी शामिल करना चाहिए।
  • इसमें  वास्तव में भुगतान की गई लागत और पारिवारिक मूल्य श्रम का अनुमानित मूल्य शामिल होता है।
  • NCF की रिपोर्टों में अभिजीत सेन समिति के इन सिफारिशों का उल्लेख नहीं था।
  • NCF ने अपनी पांचवीं रिपोर्ट में MSP के लिए कहा,
    • MSP को सरकारी और निजी व्यापारियों दोनों द्वारा खरीद के लिए न्यूनतम सीमा के रूप में देखना चाहिए। 
    • MSP की घोषणा के बाद सरकार द्वारा MSP प्लस लागत पर अनाज की खरीद की जानी चाहिए। 
    • यह मौजूदा बाजार मूल्य पर आधारित होना चाहिए। 
    • सरकार को PDS के लिए आवश्यक अनाज उसी कीमत पर खरीदना चाहिए, जो निजी व्यापारी किसानों को देने के लिए तैयार हैं।
  • आयोग के अनुसार,
    • CACP को एक स्वायत्त वैधानिक संगठन होना चाहिए।
    • इसका प्राथमिक कार्य शुष्क और सिंचित दोनों क्षेत्रों की प्रमुख कृषि वस्तुओं के लिए लाभकारी कीमतों की सिफारिश करना है। 
    • MSP उत्पादन की ‘भारित औसत लागत’ का कम से कम 50% अधिक होना चाहिए।
  • किसानों की 'शुद्ध घरेलू आय' सरकारी कर्मचारियों की आय के बराबर होनी चाहिए।

कृषि कानूनों में सुधार -

  • NCF की दूसरी रिपोर्ट का शीर्षक संकट से विश्वास तक था। 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार,
    • राज्य कृषि उपज विपणन अधिनियमों’ में संशोधन कर निम्नलिखित को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है,
      • निजी क्षेत्र या सहकारी समितियों को बाजार निर्मित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
      • मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और सहायक सेवाओं को विकसित करना।
      • शुल्क एकत्र करने और APMC/लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के बिना विपणन की अनुमति के लिए प्रोत्साहित करना।
      • बाजार शुल्क और अन्य शुल्कों को तर्कसंगत बनाना।
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम और कृषि उपज के विपणन, भंडारण तथा प्रसंस्करण को कवर करने वाले कानूनों के समीक्षा की आवश्यकता है,
    • इनमें से कुछ अधिनियमों और आदेशों की उपयोगिता समाप्त हो चुकी है।
  • सरकार ‘अनुबंध खेती’(Contract Farming) के लिए एक किसान केंद्रित 'आचार संहिता' (Code of Conduct) का निर्माण कर सकती है।
  • 'आचार संहिता' सभी अनुबंध खेती समझौतों का आधार होगा।
    • खरीदारों के साथ बातचीत करने और छोटे किसानों के हितों की देखभाल के लिए किसान समूहों/संगठनों के विकास को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • आयोग ने SEBI जैसी स्वायत्त संस्था के निरीक्षण और रेगुलेशन में कृषि वस्तुओं में वायदा और विकल्प कारोबार की सिफारिश की।
  • आयोग की ये सिफ़ारिशें बाज़ार-समर्थक और सुधार-उन्मुख थीं। 
  • यही सिफारिशें वर्ष, 2020 में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों का आधार बनीं।
  • किसान आंदोलन के दबाव में तीनों कृषि कानून निरस्त कर दिए गए।

कृषि संस्थानों की स्थापना-

  • NCF की पहली रिपोर्ट का शीर्षक ‘किसानों की सेवा और कृषि की बचत’ है।
  • इसमें कहा गया कि देश में वर्तमान में जो गंभीर कृषि संकट देखा जा रहा है और कभी-कभी किसानों द्वारा आत्महत्या का रूप ले रहा है, एक जटिल समस्या का लक्षण है। 
  • यह हाल के वर्षों में अपर्याप्त सार्वजनिक निवेश और अपर्याप्त सार्वजनिक कार्रवाई के कारण उत्पन्न हुआ है।
  • ‘कृषि में महिलाओं के लिए एक नई डील’ शीर्षक रिपोर्ट में कहा गया कि कामकाजी महिलाओं को आवश्यक सहायता, समय पर ऋण और सेवाओं तक पहुँच मिलना चाहिए।
  • केंद्रीय खाद्य और कृषि मंत्रालय के अधीन महिलाओं के लिए एक ‘राष्ट्रीय बोर्ड’ की स्थापना की जानी चाहिए। 
    • इसमें केंद्रीय महिला और बाल विकास, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री सह-अध्यक्ष होंगे।
  • नवोन्वेषी किसानों के विचार एवं मेथड के विस्तार के लिए उनके क्षेत्रों में ‘फार्म स्कूल’ स्थापित किए जाने चाहिए। 
  • रिपोर्ट में निम्नलिखित अन्य संस्थानों की स्थापना के बारे में कहा गया-
    • अनाज बैंक 
    • सामुदायिक खाद्य एवं चारा बैंक 
    • बीमा को बढ़ावा देने और उन्नत मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं का एक राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित करना।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

 प्रश्न- राष्ट्रीय किसान आयोग के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. इसका गठन वर्ष, 2004 में एम.एस.स्वामीनाथन की अध्यक्षता में किया गया।
  2. इस आयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की सिफारिश की थी।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (a)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एम.एस.स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग की प्रमुख सिफारिशों की विवेचना कीजिए।

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