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कोरोना-महामारी के बाद भारत में गरीबी और असमानता में कमी

प्रारम्भिक परीक्षा: गरीबी से संबंधित समितियाँ 
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - गरीबी से संबंधित विषय 

सुर्खियों में क्यों ?

  • हाल ही में प्रकाशित एक शोध पत्र में कहा गया कि कोविड- महामारी के दौरान देश में गरीबी और असमानता में कमी आयी है।

महत्त्वपूर्ण बिन्दु  

  • कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया और नई दिल्ली स्थित अनुसंधान और परामर्श संगठन इंटेलिंक के संस्थापक विशाल मोरे ने मिलकर ‘ भारत में गरीबी और असमानता: कोविड-19 के पहले और बाद में’ शीर्षक से यह शोध पत्र प्रकाशित किया है।
  • इसके लिये राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा आयोजित आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) में रिपोर्ट किए गए घरेलू व्यय पर डेटा का उपयोग किया गया है। 
  • यह शोध पत्र 24-25 मार्च, 2023 को कोलंबिया विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय अर्थव्यवस्था पर तीसरे कोलंबिया शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया।

गरीबी क्या है ? 

  • किसी व्यक्ति की ऐसी स्थिति, जब उसके पास अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी साधनों की कमी हो, सामान्यतः उसे गरीब कहा जाता है। 
  • गरीबी को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • विश्व बैंक के अनुसार, अत्यधिक गरीबी को प्रति दिन $1.90 से कम पर रहने वाले लोगों की संख्या के रूप में मापा जाता है। 
  • अत्यधिक गरीबी या घोर गरीबी 
  • इसमें बुनियादी भोजन, स्वच्छ पानी, स्वास्थ्य, आश्रय और शिक्षा की कमी शामिल है।

शोध पत्र में लिखित प्रमुख बिन्दु

poverty

ग्रामीण क्षेत्र 

  • शोध पत्र के अनुसार, तिमाही आधार पर ग्रामीण गरीबी में जनवरी-मार्च 2020 से लेकर अप्रैल-जून, 2020 तक वृद्धि देखी गई लेकिन उसके बाद से उसमें लगातार गिरावट रही। 
  • मार्च - अप्रैल-जून, 2020 तक के समय में गरीबी वृद्धि का कारण महामारी के दौरान लगाया गया सख्त तालाबंदी (strict lockdown) था । 

शहरी क्षेत्र

  • शोध पत्र के अनुसार, तिमाही आधार पर, शहरी गरीबी में जनवरी-मार्च 2020 से जुलाई – सितंबर 2020 तक वृद्धि तथा अक्टूबर- दिसम्बर 2020 में कमी और  फिर जनवरी मार्च 2021 से अप्रैल-जून, 2021 तक लगातार गिरावट रही

राष्ट्रीय स्तर पर 

  • शोध पत्र के अनुसार, जनवरी-मार्च 2020 से लेकर अप्रैल-जून, 2020 तक वृद्धि देखी गई लेकिन उसके बाद से उसमें लगातार गिरावट रही।

शोध पत्र के अनुसार गरीबी में कमी आने के कारण 

  • कृषि क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन
  • मनरेगा का महत्वपूर्ण विस्तार
  • खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अत्यधिक रियायती कीमतों पर प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न का मुफ्त वितरण 
  • शोध पत्र ने दो अध्ययनों को खारिज भी किया ;
    • पहला -  अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय (2021) द्वारा और दूसरा-  अर्पित गुप्ता, अनूप मलानी और बार्टोज़ वोडा (2021) द्वारा, जो इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि कोविड-19 के कारण गरीबी में व्यापक वृद्धि हुई है। 

भारत में गरीबी का अनुमान कैसे लगाया जाता है ?

  • भारत में, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा आयोजित उपभोग व्यय सर्वेक्षण (CES) के आधार पर आधिकारिक गरीबी परिभाषा और संख्या का अनुमान लगाया जाता है। 
  • CES का अंतिम प्रकाशित डेटा वर्ष 2011-12 के लिए उपलब्ध है। 

भारत में गरीबी के कारक  

  • जनसंख्या का भारी दबाव। 
  • बेरोजगारी। 
  • समावेशी आर्थिक विकास का अभाव। 
  • भूमि सुधारों का सही तरीके से क्रियान्वयन न हो पाना। 

गरीबी से संबंधित समितियाँ 

  • वर्किंग ग्रुप (1962)
  • वीएम दांडेकर (1971)
  • डॉ वाई के अलघ (1979)
  • लकड़ावाला विशेषज्ञ समूह (1993)
  • तेंदुलकर विशेषज्ञ समूह (2009)
  • रंगराजन समिति (2014)

गरीबी को कम करने के लिए भारत सरकार की पहलें  

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, 2011
  • राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, 2013
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई), 2016

प्रारम्भिक परीक्षा अभ्यास प्रश्न

प्रश्न- निम्नलिखित में से कौन सी समिति भारत में गरीबी से संबंधित नहीं है ?

  1. डॉ वाई के अलघ समिति
  2. लकड़ावाला समिति
  3. वीएम खांडविलकर समिति
  4. रंगराजन समिति 

उत्तर : C

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न – “भारत में गरीबी के विभिन्न कारकों और सरकार द्वारा गरीबी को कम करने हेतु किए गए प्रयास की चर्चा कीजिए” (250 शब्द)

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