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 लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी में कमी

प्रारम्भिक परीक्षा – पश्चिमी विक्षोभ, अल-नीनो जलधरा
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 ( भारतीय जलवायु )

संदर्भ

हाल के वर्षों में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी कमी आई है।

snowfall

प्रमुख बिंदु :-

  • जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शीतकालीन वर्षा मुख्यतः बर्फ के रूप में होती है। 
  • इस क्षेत्र में पहली बर्फबारी दिसंबर में होती है और फिर जनवरी में होती है। 
  • सर्दी के मौसम में यह ज्यादातर सूखा रहा है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़े :-

  • जम्मू और कश्मीर में दिसंबर में 80% वर्षा की कमी देखी गई, और जनवरी में अब तक 100% कमी देखी गई, जबकि लद्दाख में दिसंबर या जनवरी में बिल्कुल भी वर्षा नहीं हुई है।
  • उत्तरी भारत में बर्फबारी में कमी होने के कारण :- कम पश्चिमी विक्षोभ, तापमान में वृद्धि , अल-नीनो जलधरा का प्रभाव आदि हैं।

'पश्चिमी विक्षोम' (Western Disturbance) :-

climate

  • यह एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है, जो पछुआ - जेट पवनों द्वारा भूमध्यसागरीय क्षेत्र एवं इराक, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए भारतीय भू-भाग में प्रवेश कर हिमपात/ बर्फबारी एवं वर्षा करता है। 
  • पश्चिमी विक्षोभ से भारत में औसत वार्षिक वर्षा का लगभग 3% प्राप्त होता है, लेकिन हाल के वर्षों में 43% तक की गिरावट आई है।
  • पश्चिमी विक्षोभ से हिमालय क्षेत्र लद्दाख और जम्मू-कश्मीर,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि में हिमपात/हिमवर्षा होती है, जिससे नदियाँ सदावाहिनी बनी रहती हैं।
  • पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर-पश्चिमी भारत दिल्ली, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों में भी वर्षा होती है। 
  • यह अल्प वर्षा पंजाब, हरियाणा आदि के गेहूँ, चना, सरसों आदि रबी की फसलों के लिए  बहुत ही उपयोगी है।
  • राजस्थान में इस वर्षा को 'मावठा'/ 'मावट' (Mawatha rain)कहा जाता है।
  • हिमाचल में सेब की खेती के लिए यह वर्षा काफी लाभदायक है।

तापमान में वृद्धि :- 

  • ग्लोबल वार्मिंग की वजह से वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई है, जिसका प्रभाव शीतकालीन मानसून पर पड़ रहा है, इस कारण से बर्फबारी में गिरावट हो रही है।

अल - नीनो का प्रभाव :-

al-Nino

  • भारत में मौसमी दशायें अल -नीनो से भी प्रभावित होती हैं। 
  • यह संसार के उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में विस्तृत बाढ़ों और सूखों के लिये उत्तरदायी है। 
  • अल -नीनो एक संकरी गर्म समुद्री जलधारा है, जो कभी-कभी दक्षिणी अमेरिका के पेरू तट से कुछ दूरी पर दिसम्बर के महीने में दिखाई देती है। 
  • पेरू ठण्डी धारा जो सामान्यतया इस तट के सहारे बहती है, के स्थान पर यह अस्थायी धारा के रूप में बहने लगती है।

बर्फबारी या वर्षा में कमी होने से उत्तरी भारत में क्या प्रभाव पड़ेगा :-

  • उत्तरी भारत में कम बर्फबारी के अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों परिणाम होने की संभावना है। 

दीर्घकालिक प्रभाव:- 

     1.पनबिजली का उत्पादन में कमी आएगी। 

     2.ग्लेशियर-पिघलने की दर में वृद्धि होगी। 

     3.पेयजल आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। 

     4.कम बर्फबारी से भू-जल का बहुत कम पुनर्भरण होगा आदि।

अल्पकालिक प्रभाव :-

     1.शुष्क मौसम के परिणामस्वरूप जंगल की आग में वृद्धि होगी।

     2.सूखा से कृषि और फसल उत्पादन में गिरावट आएगी।

     3.खाद्यान संकट, गर्मियों में पानी की कमी आदि हो सकती है। 

     4.इन कारणों से स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।

चिल्ला-ए-कलां:- यह एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ 'बड़ी सर्दी' होता है।

कश्मीर में सबसे कठोर सर्दियों की अवधि को चिल्ला-ए-कलां  कहा जाता है। 

 यह प्रत्येक वर्ष 21 दिसंबर से 29 जनवरी तक 40 दिनों की सबसे कठोर सर्दियों की अवधि है। 

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- पश्चिमी विक्षोभ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 

  1. यह एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है, जो पछुआ - जेट पवनों द्वारा होते हुए भारतीय भू-भाग में आता है। 
  2. हाल के वर्षों में इससे भारतीय भू-भाग में लगभग 43% वर्षा की गिरावट आई है।
  3. इससे होने वाली वर्षा रबी की फसलों के लिए बहुत ही हानिकारक है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) कोई भी नहीं

उत्तर - (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न:- जलवायु परिवर्तन के कारण पश्चिमी विक्षोभ एवं अल-नीनो का भारत पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या कीजिए। 

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