(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र : 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)
संदर्भ
केंद्र सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के मध्य ‘मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ के संबंध में हुए मूल समझौते की अवधि 31 मार्च को समाप्त हो रही है,जिससे सार्वजनिक क्षेत्र में मौद्रिक नीति के इस पहलू का मूल्यांकन शुरू हो गया है।
‘मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’
- ‘मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ निर्दिष्ट वार्षिक मुद्रास्फीति दर को प्राप्त करने के लियेकेंद्रीय बैंक की एक नीति है। ‘मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ इस सिद्धांत पर आधारित है कि दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिये मूल्य स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है तथा मूल्य स्थिरता मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके प्राप्त की जा सकती है।
- मौद्रिक नीति निर्धारण में पारदर्शिता, स्थिरता, पूर्वानुमान तथा केंद्रीय बैंक की जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु ‘मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। गौरतलब है कि कीमतों में निरंतर होने वाली वृद्धि से बचत एवं निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- इसे केंद्रीय बैंक के अन्य संभावित नीतिगत लक्ष्यों के अनुरूप निर्धारित किया जा सकता है,जिसमें विनिमय दर, बेरोज़गारी या राष्ट्रीय आय को लक्षित करना शामिल है।
- केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति तथा उसके निकटस्थ लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये ‘कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’, जबकि ब्याज दरों में स्थिरता, विनिमय दर, उत्पादन व रोज़गार से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिये ‘लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ को अपनाया जाता है।
भारत का मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचा
- केंद्रीय बैंक तथा भारत सरकार ने वर्ष 2015 में आर्थिक विकास एवं मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु एक नीतिगत ढाँचे पर सहमति व्यक्त की। प्राथमिक उद्देश्य के अंतर्गत वर्ष 2016 में ‘लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ को अपनाया गया। इसके साथ ही भारत मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिये संस्थानिक तंत्र विकसित करने वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो गया।
- लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचे को वैधानिक आधार प्रदान करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन किया गया, जिसके तहत यह प्रावधान किया गया था कि केंद्र सरकार प्रत्येक पाँच वर्ष में केंद्रीय बैंक से परामर्श कर मुद्रास्फीति लक्ष्य को निर्धारित करेगी।
- इसके पश्चात् 4(+/-2)% लचीली मुद्रास्फीति का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके अंतर्गत उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति को प्रमुख संकेतक के रूप में देखा गया।
मुद्रास्फीति संबंधी धारणा
- 1970 के दशक में उच्च मुद्रास्फीति के परिप्रेक्ष्य में प्रसिद्ध मौद्रिक अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने सुझाव दिया कि मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिये ‘मुद्रा-आपूर्ति लक्ष्यीकरण’ को एक साधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- हालाँकि,समष्टिगत आर्थिक नीति के माध्यम से व्यापक हितों को प्राप्त नहीं किया जा सकता, किंतु यह मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के संबंध में उपयोगी समझ विकसित करने में लाभप्रद हो सकती है। मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण, मुद्रास्फीति नियंत्रण नीतियों की केवल कल्पना मात्र है।
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचे का मूल्यांकन
- इस संबंध में दो प्रमुख बिंदु ये हैं कि वर्ष 2016 में जब मुद्रास्फीति की दर निर्धारितकी गई थी, तब से मुद्रास्फीति 2-6% के निर्धारित मापदंड के अनुसार बनी हुई है। दूसरा,केंद्रीय रिज़र्व बैंक मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं को पूरा करने में सफल रहा है।
- यद्यपि मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण,निम्न मुद्रास्फीति दर को प्राप्त करने में सफल हुआ है, किंतु यह मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के लिये निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप नहीं है।