New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

प्राकृतिक गैस की बढ़ती कीमतें और पर्यावरण 

संदर्भ

यूरोप में प्राकृतिक गैस के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, इससे पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। इस मुद्दे पर अगले महीने ग्लासगो में होने वाले कोप- 26 (COP-26) में चर्चा हो सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाज़ार की गतिशीलता और पर्यावरण

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाज़ार में स्रोतों की कीमतों में उतार-चढ़ाव सामान्य बात हो गई है, परंतु यूरोप में प्राकृतिक गैस के दामों में बढ़ोत्तरी होना सामान्य नहीं माना जाना चाहिये। यूरोप में प्राकृतिक गैस के दामों में बढ़ोत्तरी का असर कोयले और ईंधन के दामों पर भी पड़ा है। अंततः इसका असर पर्यावरण पर पड़ने वाला है। ग्लासगो में होने वाले कोप सम्मलेन में सरकारों को सक्रियता से इस विषय पर चर्चा करनी चाहिये।
  • यूरोप में पिछले 12 महीनों में प्राकृतिक गैस की कीमतों में लगभग 600 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। साल भर पहले जहाँ यह $4/mmbtu (metric million British thermal unit) थी, वहीं आज इसकी कीमत $25/ mmbtu हो गई है। 
  • सामान्यतः तेल की कीमतों में बदलाव का असर गैस की कीमतों पर पड़ता था। परंतु इस बार गैस की कीमतों में बढ़ोत्तरी से तेल की कीमतों पर फर्क पड़ा है। इस बढ़ोत्तरी के कई कारण हैं, परंतु मुख्य कारण माँग, आपूर्ति और भू-राजनीति हैं।
  • माँग के बढ़ने का मुख्य कारण है विश्व में हो रहा आर्थिक सुधार। अन्य कारणों में ब्राज़ील और चीन में सूखे के कारण जल शक्ति उत्पादन का कम होना, उत्तरी  सागर में प्रतिकूल हवाओं के कारण वायु ऊर्जा में कमी और चीन, अमेरिका एवं यूरोप में अत्यधिक गर्मी पड़ना आदि शामिल हैं।
  • आपूर्ति में कमी के आर्थिक और भू-राजनीतिक कारण हैं। आर्थिक कारणों में से पहला कारण है– अमेरिका के टेक्सास में गैस कुओं का जमना, जिससे अमेरिकी एल.एन.जी. के निर्यात में कमी हुई है। आर्थिक कारणों में से दूसरा कारण है– नीदरलैंड के ग्रोंइंगें फील्ड  के उत्पादन में आई भारी कमी, जो कि दो वर्षों में बंद होने वाली है। अमेरिकी एल.एन.जी. कार्गो को एशिया को भेजना जो कि यूरोप के लिये थे, समस्या को और गंभीर बनाता है।
  • भू-राजनीतिक कारणों में सबसे बड़ी भूमिका रूस की है। रूस, यूरोप की लगभग 40 प्रतिशत गैस की माँग को पूरा करता आया है। हालाँकि, उसकी क्षमता इससे ज़्यादा की हमेशा से रही है। रूस ने इस विकट परिस्थिति में यूरोप की मदद नहीं की। इसका मुख्य कारण नोर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को माना जा रहा है, जो रूस से जर्मनी तक जाती है। अमेरिका इस पाइपलाइन के पक्ष में नहीं है, जिसकी वजह से यूरोपियन यूनियन ने इसके संचालन को मंजूरी नहीं दी है। 

भावी राह

  • प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि से अब केवल आस-पास के क्षेत्र प्रभावित नहीं होते, बल्कि इसका असर पूरे विश्व पर पड़ता है, क्योंकि आज के अंतर्राष्ट्रीय गैस बाज़ार के अनुबंध और नियम पहले से काफी अलग हैं।
  • प्राकृतिक गैस की बढ़ती कीमतें लोगों को सस्ते और अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले स्रोतों की ओर रुख़ करने के लिये विवश करेंगी। इससे अंततः पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ेगा। 
  • अतः इस समस्या के समाधान हेतु दूरदर्शी और सतत् कदम उठाए जाएँ। इसके लिये  ‘बैटरी और स्टोरेज तकनीक’ में अधिक से अधिक निवेश करने की आवश्यकता है, ताकि सस्ते और जीवाश्म आधारित ईंधनों पर आश्रित न होना पड़े। 

निष्कर्ष

प्राकृतिक गैस की कमी और इसकी बढ़ती कीमतें स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने में एक प्रमुख चुनौती है। ऐसे में, पूरे विश्व को एकजुट होकर तथा निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर इस समस्या का हल निकालना होगा तभी स्वच्छ व सतत् पर्यावरण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR