New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

भारत में बढ़ती बाघ संख्या: चुनौतियाँ एवं रणनीति

(प्रारम्भिक परीक्षा: पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव-विविधता)
(मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में, भारत के नवीनतम बाघ जनगणना को 25,000 से अधिक कैमरों की पहुँच में रखने और 35 मिलियन से अधिक फोटो खीचने के लिये भारत को ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में शामिल किया गया। यह पूरी प्रक्रिया कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial Intelligence) की सहायता से की गई थी।
  • यह दुनियाभर में किसी भी देश द्वारा किया गया बाघों का सबसे बड़ा मतगणना अभ्यास था।
  • उल्लेखनीय है कि भारत ने बाघों की आबादी को दोगुना करने सम्बंधी वर्ष 2010 की सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा के तहत निर्धारित लक्ष्य को चार वर्ष पहले ही हासिल कर लिया है।

पृष्ठभूमि

  • वर्तमान में बाघों की वैश्विक आबादी का 70% भारत में है, देश में इनकी वर्तमान संख्या 2967 है। यह भारत के लिये एक बड़ी संरक्षण सफलता के साथ ही एक समृद्ध जैव विविधता का प्रतीक भी है। यह उपलब्धि देश को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देशों का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान करती है।
  • ध्यातव्य है कि भारत के पास दुनिया का केवल 2.5% भूमि  क्षेत्रफल तथा 4 प्रतिशत ताज़े वर्षा जल संसाधन हैं, जबकि दुनिया की 16% मानव और मवेशी आबादी भारत में रहती है;वहीं भारत में दुनिया की 8% जैव विविधता मौजूद है। यह मानव अस्तित्त्व के साथ तालमेल तथा प्रकृति को जीवन के एक अभिन्न हिस्से के रूप में स्वीकार करने के कारण ही सम्भव हो पाया है।

बाघ संरक्षण की चुनौतियाँ

  • निरंतर बढ़ती आबादी और तीव्र गति से होते शहरीकरण के कारण जंगलों में अनियोजित विकास गतिविधियों को कार्यान्वित किया जा रहा है, जिससे बाघों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।
  • बाघ संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटन की खुली छूट के कारण बाघों की तस्करी में वृद्धि हुई है। दरअसल, बाघ तस्कर पर्यटन के बहाने डिजिटल कैमरे का उपयोग कर बाघों की तस्करी की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं। चीन में निर्मित कई देशी दवाओं, औषधियोंव शक्तिवर्धक पेय पदार्थों में बाघ के अंगों का उपयोग किया जाता है।
  • उपर्युक्त चुनौतियों के अतिरिक्त बाघों में कई खतरनाक बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि अभयारण्य के आस-पास रहने वाले कुत्ते संक्रामक रोग फैला रहे हैं, जो बाघों के स्वास्थ्य के लिये ठीक नहीं है।
  • इन सब के अलावा, बाघों का आपसी संघर्ष, रेल-रोड दुर्घटना और कई बार तो ज़हर देकर मारने की घटनाएँ भी सामने आती हैं।
  • वनों की कटाई तथा वनों में जल अभाव के कारण बाघमानव बस्तियों की तरफ पलायन कर रहे हैं, जिससे मानव-पशु संघर्ष के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

बाघ संरक्षण हेतु उठाए गए कदम तथा भारत की रणनीति

  • भारत में भारतीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा वर्ष 1972 में शेर के स्थान पर बाघ को राष्ट्रीय पशु के रूप में स्वीकार किया गया। वस्तुतः देश के बड़े हिस्सों में इनकी मौजूदगी के कारण ही बाघ को राष्ट्रीय पशु चुना गया था।
  • वर्ष 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत केवल 9 टाइगर रिज़र्व के साथ हुई थी, जबकि वर्तमान में देश में 72,000 वर्ग किलोमीटर में 50 बाघ आरक्षित क्षेत्र हैं। इन सभी टाइगर रिज़र्व का मूल्यांकन एक स्वतंत्र प्रबंधन द्वारा किया जाता है।
  • सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के तहत बाघों की स्मार्ट निगरानी के लिये एक कार्यक्रम ‘मोनीटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस’ (MSTrIPES) शुरू किया गया है। इसे एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर विकसित किया गया है तथा इसका विस्तार सभी 50 टाइगर रिज़र्व तक किया गया है, जिसके परिणाम काफी उत्साहजनक रहे हैं।
  • भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु समृद्ध जैव विविधता को आधार मानकर कदम उठाए जा रहे हैं। हमने 10 वर्षो में 2.5 बिलियन टन कार्बन सिंक करने का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में,भारत में वृक्षों का आवरण तेज़ी से बढ़ने के कारण यह लक्ष्य निर्धारित समयावधि में ही प्राप्त कर लिया जाएगा।
  • सरकार कोयला उत्पादन पर 6 डॉलर प्रति टन की दर से कर लगा रही है तथा भारत ने पैट्रोल एवं डीज़ल पर भी एक प्रकार का कार्बन टैक्स लगाया हुआ है।इसके साथ ही भारत ने एक दशक में 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि की बहाली का लक्ष्य भी तय किया है। इस प्रकार, देखा जाए तो भारत पेरिस समझौते पर अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप कार्य कर रहा है।
  • भारत द्वारा थाईलैंड, मलेशिया, बांग्लादेश, भूटान और कम्बोडिया के अधिकारियों के लिये क्षमता-निर्माण कार्यशालाएँ आयोजित की गई हैं तथा बाघ प्रजनन सम्बंधी अनुभवों को कम्बोडिया और रूस के साथ साझा किया है। सुंदरबन में बाघ की स्थिति के आकलन पर बांग्लादेश और भारत द्वारा सयुंक्त रिपोर्ट भी जारी की गई है।
  • भारत द्वारा बाघ संरक्षण हेतु लिडार आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिसमें लेज़र लाइट और सम्वेदकों की सहायता से हेलीकॉप्टर या विमान द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा।
  • बाघों के संरक्षण को प्रोत्साहन देने हेतु प्रति वर्ष 29 जुलाई को ‘विश्व बाघ दिवस’ मनाया जाता है।
  • वन्य जीव संरक्षण कानून के अंतर्गत राष्ट्रीय पशु को मारने पर सात वर्ष की सज़ा का प्रावधान है। परंतु, नियमों और कानूनों का उचित रूप में पालन न करने के चलते कम लोगों पर कार्यवाही हो पाती है।

सुझाव

  • वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए फॉरेस्ट टास्क फोर्स का गठन किया जाना चाहिये तथा उसे पुलिस के समकक्ष अधिकार दिये जाने चाहियें।
  • वन्यजीव और वन से जुड़े मामलों के निपटारे के लिये विशेष अधिकरण की स्थापना के साथ ही सूखा, आग या किसी अन्य आपदा की स्थिति में प्रभावी नियंत्रण हेतु आपदा प्रबंधन टीमों का गठन किया जाना चाहिये।
  • वन विभाग को आधुनिक साजो-सामान और अधिक अधिकार दिये जाने चाहिये, ताकि वे अवैध शिकारों और लकड़ी तस्करों पर रोक लगा सकें।
  • जन सामान्य द्वारा भी वन्यजीवों के प्रति दया एवं सहानुभूति भरा व्यवहार किया जाना चाहिये। साथ ही, ऐसे उत्पादों का बहिष्कार किया जाना चाहियेजिनमें वन्यजीवों के अंगों का उपयोग किया जाता हो।

निष्कर्ष

  • पारिस्थितिकी पिरामिड और आहार श्रृंखला में बाघ महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। आज बाघ संरक्षण केवल भारत के लिये ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। इनके संरक्षण के अभाव में हमें बाघ से मिलने वाले लाभों से वंचित रहना पड़ सकता है। इसलिये बाघों का संरक्षण न केवल आवश्यक है बल्कि अनिवार्य भी है।
  • अंततोगत्वा हमें समझना होगा कि विकास अगर पृथ्वी की साझी विरासत जल, जंगल और ज़मीन को क्षति पहुँचा रहा है तो वह विकास नहीं बल्कि विनाश है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X