(प्रारंभिक परीक्षा के लिये- हट्टी जनजाति, बिंझिया जनजाति, गोंड जनजाति, पांचवी अनुसूची, छठी अनुसूची, पेसा अधिनियम, ट्राईफेड, लोकुर समिति )
(मुख्य परीक्षा के लिये:सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2- केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ,इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)
चर्चा में क्यों
हाल ही में केंद्र सरकार ने कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की अनुमति प्रदान की है जो इस प्रकार हैं-
हट्टी जनजाति (हिमाचल प्रदेश)
- कस्बों में हाट नाम के छोटे बाजारों में घरेलु फल, सब्जी, मांस, ऊन बेचने का पारंपरिक कार्य करने के कारण इन्हें हट्टी कहा जाता है।
- ये मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में निवास करते है,तथा उत्तराखंड के गिरी और टोंस नदियों के बीच के क्षेत्र में भी पाए जाते है।
- उत्तराखंड के जौनसारी समुदाय के साथ ये सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक समानता रखते है, जिन्हें 1967 में ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल चुका है।
- हट्टी समुदाय में खुंबली नाम की पारंपरिक परिषद् होती है, जो इनसे जुड़े मामलो को देखती है।
बिंझिया (छत्तीसगढ़)
- बिंझिया को झारखण्ड तथा ओड़िशा में अनुसूचित जनजाति की मान्यता प्राप्त थी, परंतु छत्तीसगढ़ में नहीं।
- ये द्रविड़ प्रजातीय समूह के अंतर्गत आते है।
- इनके मुख्य देवता विंध्यवासिनी देवी है, विंध्य से ही बिंझिया शब्द की उत्पत्ति हुई है।
- बिंझिया समुदाय में बस्तु विनिमय व्यवस्था मौजूद है, तथा आर्थिक गतिविधियों में महिलायें पुरुषों से ज्यादा भाग लेती है।
- इनकी जीविका का मुख्य आधार कृषि है।
- बिंझिया समुदाय में बाल विवाह भी प्रचलित है।
- इनमे परिवार को डिबरिस, गाँव को जामा तथा कबीले को बरगा तथा कबीले का मुखिया गौतिया कहलाता है।
- इनकी मूलभाषा बिंझबारी है, तथा ये ओड़िया और सादरी भी बोलते है।
नारिकोरावन और कुरिविक्करन (तमिलनाडु )
- 1965 में लोकुर समिति ने इन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की सिफारिश की थी।
- ये परंपरागत रूप से शिकार करने के पेशे में संलग्न है।
गोंड (उत्तर प्रदेश )
- उत्तर प्रदेश के 13 जिलो में रहने वाले गोंड समुदाय तथा इसकी 5 उपजातियों- धुरिया, नायक, ओझा, पठारी तथा राजगोंड को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।
- गोंड जनजाति विश्व के सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक है।
- इनका मुख्य व्यवसाय कृषि है, कृषि के साथ ये पशुपालन भी करते है।
बेट्टा कुरुबा (कर्नाटक)
- ये मुख्य रूप से कर्नाटक के मैसूर, चामराजनगर तथा कोडागु जिले में पाई जाती है, इनकी जनसख्या 1 लाख से भी कम है।
अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की प्रकिया
- राज्य सरकार समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरु करती है और प्रस्ताव को जनजातीय मामलों के मंत्रालय के पास भेजती है, जो इस प्रस्ताव की समीक्षा करता है।
- जनजातीय कार्यों का मंत्रालय इसे अनुमोदन के लिए भारत के महापंजीयक के पास भेज देता है।
- इसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की मंजूरी ली जाती है,तथा अंतिम निर्णय के लिए इसे कैबिनेट के पास भेज दिया जाता है।
अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल होने के लाभ
- सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए चलायी जा रही मौजूदा योजनाओं का लाभ प्राप्त करने की पात्रता हासिल।
- सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ।
- शिक्षा संस्थाओ में प्रवेश में आरक्षण।
- अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम की तरफ से रियायती ऋण प्राप्त करने की पात्रता।
- सरकार की तरफ से दी जा रही छात्रवृत्तियों का लाभ।
- लोकसभा, विधानसभा एवं अन्य चुनावो में आरक्षण।
भारत में अनुसूचित जनजाति
- भारत में 700 से अधिक अनुसूचित जनजातियाँ है,भारत में सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति जनसँख्या प्रतिशत वाला राज्य मिजोरम है, मिजोरम की कुल जनसँख्या में अनुसूचित जनजातियाँ 44 प्रतिशत है।
- संविधान अनुसूचित जनजाति की मान्यता के मापदंडो का उल्लेख नहीं करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 366(25) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों का अर्थ ऐसी जनजातियों या जनजाति समुदाय या जनजातीय समुदाय के कुछ समूहों से है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 342(1) के अनुसार राष्ट्रपति किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में, वहां के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद किसी जनजाति या जनजातीय समूह को, या उसके किसी हिस्से को विनिर्दिष्ट कर सकेगा। जिन्हें उस राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजाति माना जायेगा।
- संविधान का अनुच्छेद 243(घ) पंचायतो में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटो के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटो के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 332 विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटो के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए प्रावधान करती है।
- संविधान की पांचवी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों एवं अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन के लिए प्रावधान करती है।