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एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध 

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

चर्चा में क्यों

भारत में एकल उपयोग प्लास्टिक (Single-Use Plastic : SUP) पर 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंध लगा दिया गया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस संदर्भ में पिछले वर्ष एक अधिसूचना को जारी किया था, जिसमें कहा गया कि “पॉलीस्टायरीन और विस्तारित पॉलीस्टाइनिन सहित एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित होगा।“  

क्या है एकल उपयोग प्लास्टिक

  • एकल उपयोग प्लास्टिक वे होते हैं जिन्हें केवल एक बार प्रयोग के पश्चात् फेंक दिया जाता है। इसमें प्लास्टिक बैग, डिस्पोजेबल कटलरी, स्ट्रॉ, प्रोसेस्ड फूड पैकेट एवं रैपर, ईयरबड आदि शामिल हैं। इनमें से कटलरी, प्लेट और कप जैसे फोमयुक्त उत्पादों को पर्यावरण के लिये सबसे अधिक घातक माना जाता है।
  • ऑस्ट्रेलियाई गैर-सरकारी संगठन मिंडेरू फाउंडेशन की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में उत्पादित सभी प्लास्टिक का एक तिहाई भाग एस.यू.पी. है, जिसमें से 98% जीवाश्म ईंधन से निर्मित होता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एस.यू.पी. का अपशिष्ट उत्पादन प्रतिवर्ष 11.8 मिलियन मीट्रिक टन है, जबकि प्रति व्यक्ति एस.यू.पी. उत्पादन 4 किलो है।

भारत में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में 50 माइक्रोन से कम मोटाई के कैरी बैग पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सितंबर 2021 में 75 माइक्रोन से कम के पॉलीथिन बैग पर प्रतिबंध लगा दिया। 
  • पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया गया, जिसके तहत 1 जुलाई, 2022 से एस.यू.पी. को प्रतिबंधित किया गया है। 
  • विदित है कि वर्ष 2018 में विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत ने 2022 तक एस.यू.पी. को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का संकल्प लिया था।

वैश्विक प्रयास

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिये वर्ष 2024 तक एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि को लागू करने हेतु एक ऐतिहासिक संकल्प ‘प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति: एक अंतर्राष्ट्रीय  बाध्यकारी कानूनी साधन की ओर’ (End plastic pollution: Towards an international legally binding instrument) को अपनाया है।
  • बांग्लादेश वर्ष 2002 में पतले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया। न्यूजीलैंड ने वर्ष 2019 में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि चीन वर्ष 2020 से चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा रहा है।
  • अब तक अमेरिका के आठ राज्यों ने भी एस.यू.पी. पर प्रतिबंध लगा दिया है। वर्ष 2019 तक 68 देशों में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

पर्यावरण पर प्रभाव

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार, यदि प्लास्टिक को रि-साइकिल नहीं किया जाता है तो इसे सड़ने में एक हजार वर्ष लग सकते हैं।
  • जब प्लास्टिक लंबे समय तक पर्यावरण में रहता है और सड़ता नहीं है, तो यह माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है, जो पहले हमारे खाद्य स्रोतों और फिर मानव शरीर में प्रवेश करता है।
  • यह लैंडफिल साइट में छोटे-छोटे टुकड़ों में विघटित हो जाता है जो कैंसरजनक धातुओं को भू-जल में मिला देता है।
  • प्लास्टिक अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं, जो लैंडफिल साइट में अक्सर आग का कारण बनते हैं, जिससे जहरीला धुँआ और ग्रीन हाउस गैसें पर्यावरण में फैलता है।
  • एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2050 तक एस.यू.पी. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 5-10% के लिये उत्तरदायी हो सकता है।
  • यह समुद्र की सतह पर तैरता है और समुद्री जानवरों के वायुपथ को बाधित कर देता है।
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