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राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक

प्रारंभिक परीक्षा - राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय

सन्दर्भ 

  • 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा 5वां 'राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक' जारी किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य

Union-territories

  • 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में बड़े राज्यों में, केरल ने शीर्ष रैंकिंग हासिल की, उसके बाद पंजाब और तमिलनाडु का स्थान है। 
  • छोटे राज्यों में गोवा ने शीर्ष  पर रहा और मणिपुर तथा सिक्किम क्रमशः दूसरे तथा तीसरे स्थान पर रहे। 
  • केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू और कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ़ ने क्रमशःपहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। 

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक

  • राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक का विकास FSSAI ने खाद्य सुरक्षा के विभिन्न मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिए किया है। 
  • यह सूचकांक खाद्य सुरक्षा के छह अलग-अलग पहलुओं में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
  • इसका उद्देश्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना तथा देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मक बदलाव करके सभी निवासियों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
  • यह सूचकांक एक गतिशील मात्रात्मक और गुणात्मक बेंचमार्किंग मॉडल है जो सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा के मूल्यांकन के लिए एक वस्तुनिष्ठ ढांचा प्रदान करता है।

मापदंड 

  • वर्तमान में सूचकांक के अंतर्गत निम्नलिखित 6 मापदंडों के आधार पर राज्यों की रैंकिंग निर्धारित की जाती है-
    1. मानव संसाधन एवं संस्थागत डाटा
    2. अनुपालन (Compliance)
    3. खाद्य परीक्षण– अवसंरचना एवं निगरानी
    4. प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण
    5. उपभोक्ता सशक्तीकरण
    6. राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में सुधार

data

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)

  • FSSAI की स्थापना खाद्य सुरक्षा तथा मानक अधिनियम,2006 के अंतर्गत की गयी थी। 
  • यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
  • इसका उद्देश्य खाद्य सामग्री के लिये विज्ञान पर आधारित मानकों का निर्माण करना तथा खाद्य पदार्थों के विनिर्माण, भण्डारण, वितरण, बिक्री तथा आयात आदि को नियन्त्रित करना है ताकि मानव-उपभोग के लिये सुरक्षित तथा सम्पूर्ण आहार की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
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