New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड : चुनौतियाँ तथा समाधान

(प्रारम्भिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र – 3 : संरक्षण तथा पर्यावरण प्रदूषण)

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष विभिन्न प्रयासों के बावजूद पूरे देश में (विशेषकर दिल्ली तथा एन.सी.आर. में) प्रदूषण में कमी ना होने के कारण विभिन्न सामाजिक, आर्थिक तथा स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिये पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम तथा नियंत्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली संस्था ‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (SPCB) के कार्यों तथा चुनौतियों का मूल्यांकन करना आवश्यक है।

मूल्यांकन की आवश्यकता

  • प्रदूषण संकट एक अत्यधिक जटिल तथा बहु-विषयक समस्या है जिसमें कई कारकों का योगदान है। इस संकट को दूर करने करने के लिये भारत में बहुत अधिक नियम, कानून और विशिष्ट एजेंसियाँ मौजूद हैं, परंतु इनका प्रभाव केवल कागज़ी कार्यवाही तक ही सीमित है।
  • केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) का मुख्य कार्य नीति-निर्माण है जबकि इन नीतियों को लागू करने का कार्य एस.पी.सी.बी. द्वारा किया जाता है। हालाँकि एस.पी.सी.बी. को सी.पी.सी.बी. द्वारा पर्याप्त रूप से वित्तपोषित किया जाता है, फिर भी इसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चुनौतियाँ

  • वर्तमान में अधिकांश राज्य नियंत्रण बोर्ड कर्मचारियों की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। उदहारण के लिये हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 70% कर्मचारियों की कमी के साथ कार्य कर रहा है इसलिये राज्य में प्रदूषण से सम्बंधित पर्याप्त निरीक्षण, निगरानी तथा नियंत्रण उपाय कार्यान्वित नहीं हो पाते हैं।
  • प्रदूषण फैलाने या इसमें वृद्धि करने वाले व्यक्तियों तथा संस्थाओं पर उपयुक्त कार्यवाही करने के लिये एस.पी.सी.बी. के पास आवश्यक कानूनी कौशल की कमी है। वर्तमान में ज़िला एस.पी.सी.बी. कार्यालयों में इंजीनियरिंग स्नातक कर्मचारियों को आवश्यक कानूनी कागज़ी कार्रवाई हेतु वकीलों की भूमिका निभानी पड़ती है। इसलिये अदालतों में क्लर्क और अधीक्षक अक्सर क़ानूनी खामियों के चलते ऐसे मामलों को दर्ज करने से इनकार कर देते हैं।
  • एस.पी.सी.बी. के अधिकारियों को विशेषज्ञता विकसित करने के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते जिसके कारण इनमें में विशेषज्ञता का अभाव है।
  • एस.पी.सी.बी. के समक्ष वित्त की कमी एक बड़ी समस्या है। एस.पी.सी.बी. के पास अधिकांश फंड ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) तथा ‘कार्यान्वयन सहमति’ के माध्यम से आते हैं अर्थात् बोर्ड के पास फंड सरकार द्वारा बजटीय आवंटन की बजाय उद्योगों तथा परियोजनाओं को अनुमति देने से आते हैं, जिसके कारण एस.पी.सी.बी. प्रशासन महत्त्वपूर्ण कार्यों पर खर्च करने में असमर्थ रहते हैं।
  • कई बार एस.पी.सी.बी. के अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ सौंपी जाती है जबकि उनके ऊपर पहले से अधिक कार्यभार होता है। 

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सशक्तिकरण हेतु सुझाव

  • एस.पी.सी.बी. की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन प्रमुख रूप से 4 समितियों द्वारा किया गया है-भट्टाचार्य समिति (1984), बेल्लियप्पा समिति (1990), ए.एस.सी.आई. अध्ययन (1994) तथा उप-समूह अध्ययन (1994).
  • इन समितियों द्वारा अपने अध्ययनों में एस.पी.सी.बी. तथा सी.पी.सी.बी. के सन्दर्भ में मुख्य रूप से पर्याप्त वित्तीय समर्थन और नियुक्तियों के ज़रिये मानव संसाधन की पूर्ति , उद्योगों को प्रदूषण उत्सर्जन के आधार पर वर्गीकृत करना तथा उन्हें समय-समय पर संशोधित करना, आर्थिक प्रोत्साहन का उपयोग, आम जनता के बीच प्रदूषण रोकथाम से सम्बंधित जागरूकता का प्रसार करना आदि सुझाव दिये गए हैं।

निष्कर्ष

एस.पी.सी.बी. को आवश्यक वित्तीय तथा मानव संसाधन, आधुनिक उपकरण तथा प्रौद्योगिकी प्रदान करने के साथ ही स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार दिया जाना चाहिये।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) :

  • राज्यों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यरत होते हैं जो राज्य सरकारों को पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के विषयों पर सलाह देते हैं।
  • केंद्र सरकार को पर्यावरण प्रदूषण से सम्बंधित विषयों पर सलाह केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दी जाती है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्य तथा उद्देश्य

  • उत्पादन इकाइयों की स्थापना हेतु नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्रदान करना।
  • उत्पादन इकाइयों के संचालन हेतु सहमति देना तथा प्रदूषण से सम्बंधित निवारक उपायों का नियमन करना।
  • औद्योगिक इकाइयों के निरंतर निरीक्षण के माध्यम से प्रदूषण पर नियंत्रण करना।
  • पर्यावरणीय अनुकूल प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित करना।
  • खतरनाक कचरे का उत्पादन करने वाली इकाइयों की पहचान करना तथा उन पर उपयुक्त कार्यवाही कर प्रदूषण को नियंत्रित करना।
  • प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण से सम्बंधित जानकारी का संग्रह और प्रसार करना।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR