New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

पूर्वोत्तर भारत में अफस्पा की स्थिति

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: शासन प्रणाली और आंतरिक सुरक्षा)

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम, मणिपुर और नागालैंड में सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम (AFSPA), 1958 के तहत ‘अशांत क्षेत्रों’ को कम करने के आदेश जारी किये है। यह निर्णय उग्रवाद को समाप्त करने और पूर्वोत्तर में स्थायी शांति लाने के लिये किये गए प्रयासों तथा कई समझौतों के कारण बेहतर सुरक्षा स्थिति और तेजी से विकास का परिणाम है।

वर्तमान में किये गये संशोधन

  • केंद्र सरकार ने अफस्पा को असम के 23 ज़िलों से पूरी तरह से हटा दिया है जबकि नागालैंड के 7, मणिपुर के 6 और असम के 1 ज़िले से आंशिक रूप से वापस लिया गया है।
  • यह कानून असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर, चराईदेव, जोरहाट, कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग, गोलाघाट और दीमा हसाओ ज़िलों में लागू रहेगा, जबकि कछार ज़िले में आंशिक रूप से प्रभावी रहेगा। 
  • मणिपुर के 6 ज़िलों- इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर, काकचिंग और जिरीबाम के 15 पुलिस थाना क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र की अधिसूचना से बाहर कर दिया गया है, जबकि 16 ज़िलों के 82 पुलिस थानों में यह कानून प्रभावी बना रहेगा।
  • इस कानून को नागालैंड के 7 ज़िलों के 15 पुलिस थाना क्षेत्रों से हटा दिया गया है, जबकि 13 ज़िलों के 57 पुलिस थाना क्षेत्रों में सक्रिय रहेगा। 
  • अरुणाचल प्रदेश में यथास्थिति बनी रहेगी। राज्य के नामसाई और महादेवपुर के दो पुलिस थाना क्षेत्रों तथा तिरप, चांगलांग, लैंगडिंग ज़िलों में अफस्पा लागू रहेगा।

अफस्पा को हटाने के कारण

  • गत वर्ष दिसंबर माह में नागालैंड के मोन ज़िले के ओटिंग क्षेत्र में सुरक्षाकर्मियों के एक असफल अभियान में छह नागरिकों की हत्या हो गई, जिसके पश्चात् अफस्पा को हटाने की व्यापक मांग उठने लगी। हालांकि, मोन ज़िले में अफस्पा प्रभावी बना रहेगा, क्योंकि यह एक सीमावर्ती जिला होने के साथ ही अशांत क्षेत्र भी है, जहाँ एन.एस.सी.एन.-के. (वाई.ए.) की मजबूत उपस्थिति है।
  • वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74% की कमी आई है। इसी तरह, इस अवधि के दौरान सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मृत्यु में भी क्रमशः 60% और 84% की कमी आई है।
  • केंद्र सरकार ने पिछले तीन वर्षों में उग्रवाद को समाप्त करने और पूर्वोत्तर राज्यों में स्थायी शांति लाने के लिये कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। इनमें असम में बोडो समझौता (2020) और कार्बी-आंगलोंग समझौता (2021); त्रिपुरा में उग्रवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिये एन.एल.एफ.टी. (एस.डी.) समझौता (2019); त्रिपुरा में पुनर्वास के लिये ब्रू-रियांग शरणार्थी समझौता (2020) प्रमुख हैं।
  • इसके अतिरिक्त, हाल ही में असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने अपने सीमा विवाद के 12 क्षेत्रों में से 6 को हल करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

अफस्पा कानून

  • यह कानून नागा हिल्स में विद्रोह से निपटने के लिये पहली बार वर्ष 1958 में लागू हुआ। यह ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को कानून के उल्लंघन में सलंग्न किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ्तार करने, बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने तथा सशस्त्र बलों को केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना अभियोजन और कानूनी मुकदमों से सुरक्षा की शक्ति प्रदान करता है।
  • इस अधिनियम में सुरक्षा बलों को गोली चलाने की शक्ति दी गई है, लेकिन यह संदिग्ध को पूर्व चेतावनी दिये बिना नहीं किया जा सकता है। साथ ही, संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षाबलों को 24 घंटे के भीतर उन्हें स्थानीय पुलिस थाने में उपस्थित करना होता है। इसके अतिरिक्त, सशस्त्र बलों को स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य न करके जिला प्रशासन के सहयोग से कार्य करना होता है। 
  • वर्तमान में, केंद्रीय गृह मंत्रालय केवल नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के लिये अफस्पा का विस्तार करने हेतु समय-समय पर ‘अशांत क्षेत्र’ की अधिसूचना जारी करता है। जबकि मणिपुर और असम के लिये अधिसूचना राज्य सरकारों द्वारा जारी की जाती है। 
  • विदित है कि त्रिपुरा ने वर्ष 2015 में तथा मेघालय ने वर्ष 2018 में इस अधिनियम को रद्द कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ, जम्मू एवं कश्मीर में एक अलग जम्मू-कश्मीर सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1990 लागू है। 

आगे की राह 

पूर्वोत्तर भारत में लगभग 60 वर्षों से अफस्पा लागू है, जिससे इस क्षेत्र में देश के बाकी हिस्सों से अलगाव की भावना पैदा हुई है। वर्तमान में अफस्पा में दी गई छूट से इस क्षेत्र को असैन्य बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है। साथ ही, इस क्षेत्र में चेक पॉइंट और निवासियों की तलाशी के माध्यम से आवाजाही पर लगने वाला प्रतिबंध हट सकेगा। फलतः इन राज्यों में अखंडता और विकास की भावना को बल मिलने की संभावना है।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR