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भारत में सर्वाइकल कैंसर की स्थिति : चुनौतियाँ एवं उपचार

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास व प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ 

वर्तमान में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (Human Papilloma Virus : HPV) के खिलाफ टीकाकरण ने सर्वाइकल कैंसर और इससे होने वाली मौतों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

क्या है सर्वाइकल कैंसर

  • सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत गर्भाशय ग्रीवा (Cervix Uteri) की परत में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि से होती है। 
    • ‘गर्भाशय ग्रीवा’ गर्भाशय या गर्भ (Uterus) का निचला व संकीर्ण छोर है जो गर्भाशय को योनि से जोड़ती है।
  • गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर से पहले इसकी कोशिकाएँ ‘डिसप्लेसिया’ (Dysplasia) नामक परिवर्तनों से गुजरती हैं। 
    • इसमें गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में असामान्य कोशिकाएँ दिखाई देने लगती हैं। 
    • समय के साथ यदि इन्हें नष्ट नहीं किया जाता या हटाया नहीं जाता है तो असामान्य कोशिकाएँ कैंसर कोशिकाएँ का रूप ले सकती हैं और गर्भाशय ग्रीवा व आस-पास के क्षेत्रों में अधिक गहराई तक बढ़ने एवं फैलने लगती हैं।
  • अन्य कैंसरों के विपरीत सर्वाइकल कैंसर का विकास जल्दी होता है और यह महिला के जनन काल को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। 
  • यह भारतीय महिलाओं में होने वाला प्रमुख कैंसर और दुनिया भर में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है।
  • दुनिया भर में प्रतिवर्ष सर्वाइकल कैंसर के लगभग 510,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं। 
    • वैश्विक रूप से इससे प्रतिवर्ष लगभग 288,000 मौतें होती हैं।

क्या है एच.पी.वी.

  • एच.पी.वी. (HPV) पैपिलोमाविरिडे परिवार का सदस्य है। ये सूक्ष्म एवं आवरण रहित डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) वायरस है।
  • इन्हें जीनोम के एल1 (L1) ओपन रीडिंग फ्रेम का उपयोग करके डी.एन.ए. अनुक्रम के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। 
  • सर्वाइकल कैंसर के साथ संबंध के आधार पर एच.पी.वी. को आगे उच्च जोखिम वाले प्रकारों, संभावित उच्च जोखिम वाले प्रकारों और निम्न जोखिम वाले प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
  • एच.पी.वी. संक्रमण का मापन सर्वाइकल कोशिकाओं में HPV DNA के परीक्षण के माध्यम से किया जाता है। 

सर्वाइकल कैंसर के लिए उत्तरदायी कारक 

  • एच.पी.वी. संक्रमण 
  • हार्मोनल गर्भ निरोधकों का दीर्घकालिक उपयोग
  • कम आयु में यौन गतिविधियों की शुरुआत
  • कई यौन साथी
  • तंबाकू धूम्रपान
  • एच.आई.वी. के साथ सह-संक्रमण 
  • प्रतिरक्षा शमन
  • स्वच्छता की ख़राब स्थिति  
  • निम्न एंटीऑक्सीडेंट वाले आहार

भारत में सर्वाइकल कैंसर की स्थिति   

  • भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर को सबसे सामान्य कैंसर माना जाता है। भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु की लगभग 365.71 मिलियन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा है। 
  • वर्तमान अनुमानों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष लगभग 132,000 नए मामले सामने आते हैं और 74,000 मौतें होती हैं। 
    • यह सर्वाइकल कैंसर से होने वाली वैश्विक मौतों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है।
  • भारतीय महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से 2.5% संचयी आजीवन जोखिम (Cumulative Lifetime Risk) और 1.4% संचयी मृत्यु जोखिम (Cumulative Death Risk) का सामना करना पड़ता है।
  • किसी भी समय सामान्य आबादी में लगभग 6.6% महिलाओं में सर्वाइकल एच.पी.वी. संक्रमण होने का अनुमान है।
  • भारत में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 76.7% मामलों के लिए एच.पी.वी. सीरोटाइप 16 एवं 18 जिम्मेदार हैं।
  • भारत में सर्वाइकल कैंसर का सर्वाधिक एवं न्यूनतम विस्तार उत्तर-पूर्वी राज्यों में दर्ज किया गया है। 
  • अरुणाचल प्रदेश में पापुम पारे एवं मिजोरम में आइजोल में यह सर्वाधिक है जबकि सबसे कम दर असम के डिब्रूगढ़ जिले में है।

चुनौतियाँ

  • टीके का दुष्प्रभाव 
  • सीमित आयु वर्ग के लिए लाइसेंस होना (9 वर्ष से कम या 26 वर्ष से अधिक आयु की महिला रोगियों में या पुरुष रोगियों में उपयोग के लिए लाइसेंस प्राप्त नहीं) 
  • गर्भवती महिलाओं में उपयोग के लिए अनुसंशित टीके का अभाव  
  • पैप परीक्षण का कम अनुपालन 
  • टीकों की उच्च लागत एवं सीमित उपलब्धता 
  • एच.पी.वी. वैक्सीन का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल न होना 
  • सुरक्षा एवं प्रभावशीलता के बारे में गलत सूचना 
  • टीकों के लिए हतोत्साहित करने वाली सांस्कृतिक धारणाएँ

भारत में सर्वाइकल कैंसर से निपटने के उपाय 

राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम 

  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा स्थापित राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम भारत में कैंसर के लिए निगरानी प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
  •  यह कैंसर के मामलों के प्रकार एवं परिमाण के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सरकारी व निजी क्षेत्र के अस्पतालों, विशेष कैंसर अस्पतालों एवं पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं  से ‘सक्रिय’ डाटा एकत्र करता है। 
  • भारत में कैंसर रजिस्ट्री पूरे देश को सक्रिय रूप से कवर नहीं करती है बल्कि देश में स्थापित कुछ शहरी एवं ग्रामीण रजिस्ट्री से ही जानकारी एकत्र करती है।

पैप परीक्षण 

  • पैपनिकोलू (पैप) परीक्षण का उपयोग गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में कोशिकीय असामान्यताओं को खोजने में किया जाता है। 
  • यह शुरुआती निदान में सहायक है।
  • भारत में सर्वाइकल कैंसर परीक्षण को गैर-संचारी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए देश के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कवर किया जाता है।

टीकाकरण कार्यक्रम 

  • भारत में सर्वाइकल कैंसर के लिए विश्व स्तर पर लाइसेंस प्राप्त प्रमुख वैक्सीन हैं : 
    • चतुर्संयोजक (Quadrivalent) वैक्सीन ‘गार्डासिल’
      • यह सर्वाइकल कैंसर के चार उप-प्रकारों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करती है। 
  • द्विसंयोजक (Bivalent) वैक्सीन ‘सर्वारिक्स’
  • उपरोक्त दोनों वैक्सीन पुनः संयोजक डी.एन.ए. तकनीक द्वारा निर्मित हैं जो एच.पी.वी. एल1 प्रोटीन से युक्त गैर-संक्रामक वायरस के समान संरक्षण (Virus Like Protection : VLP) का उत्पादन करती हैं।
    • हालाँकि, ये वैक्सीन उस सीरोटाइप से सुरक्षा नहीं प्रदान करती हैं जिससे टीकाकरण से पहले ही संक्रमण हो चुका है।
  • सितंबर 2022 में भारत ने सर्वाइकल कैंसर के लिए ‘सर्वावेक’ नाम से एक स्वदेशी टीका विकसित किया है।

सर्वावेक टीका

  • सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने सर्वाइकल कैंसर के उपचार के लिए  स्वदेशी रूप से 'सर्वावेक' वैक्सीन विकसित किया है। 
  • सर्वावैक एच.पी.वी. संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए पुनः संयोजक डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड (rDNA) तकनीकों का उपयोग करके वायरस जैसे कणों को उत्पादित करता है। 
  • सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ यह टीका हेपेटाइटिस बी टीका के बाद दुनिया का दूसरा rDNA टीका है। 

गैर-लाभकारी संगठनों की भूमिका

  • भारत में शहरी या उपनगरीय सार्वजनिक क्षेत्र के क्लीनिकों तक पहुँच पाने में सक्षम अधिकांश महिलाओं के लिए किफायती सर्वाइकल कैंसर की जाँच उपलब्ध है।
  •  CAPED (कैंसर जागरूकता, रोकथाम एवं निदान) और अन्य जैसे कई गैर-लाभकारी संगठन इन सेवाओं को उन क्षेत्रों में प्रदान करने के लिए जाँच शिविर लगाते हैं जहाँ ये सेवाएँ आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।

वित्तपोषण 

  • भारत के प्रयास महिलाओं में वैक्सीन से रोके जा सकने वाले कैंसर को सामाप्त करने के लिए किए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय अभियान के अनुरूप हैं। 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और Gavi सहित वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों ने सरकारों, दाताओं एवं बहुपक्षीय संस्थानों द्वारा प्रमुख नई नीति, कार्यक्रम व वित्तीय प्रतिबद्धताओं की घोषणा की। 
    • इसमें सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने के लिए लगभग 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नया वित्तपोषण शामिल है।

आगे की राह 

  • एच.पी.वी. टीकाकरण सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक रोकथाम के लिए है। विकासशील देशों के लिए क्षेत्र विशिष्ट विभिन्न मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक लागत प्रभावी दूसरी पीढ़ी के एच.पी.वी. टीके की आवश्यकता है। 
  • वर्तमान में मौजूदा बुनियादी ढाँचे और लागत प्रभावी स्क्रीनिंग विधियों के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की रोकथाम पर बल दिया जाना चाहिए। 
  • राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में एच.पी.वी. वैक्सीन को शामिल करने से निस्संदेह सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा मिलेगा।
  • एच.पी.वी. टीकाकरण के संबंध में जागरूकता प्रसार की आवश्यकता है ताकि इससे संबंधित भ्रामक एवं गलत सूचनाओं के प्रसार को रोका जा सके।
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