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आपात स्थिति के लिये रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 ; अंतर्राष्ट्रीय संबंध : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; भारतीय अर्थव्यवस्था : बुनियादी ढाँचा, संसाधनों को जुटाने का प्रयास)

संदर्भ

भारत ने अपने ‘रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार’ (SPR) से 5 मिलियन बैरल तेल इस्तेमाल करने का फैसला किया है। यह फैसला ओपेक+ (OPEC+) देशों के तेल उत्पादन को कम करने के फैसले के विरोध में लिया गया है।

देशों द्वारा अपने रणनीतिक भंडार से तेल इस्तेमाल करने का कारण

  • वर्ष 2016 से ही ‘ओपेक+ समूह’ के देश रूस के नेतृत्व में 10 अन्य देशों के साथ मिलकर अपने तेल उत्पादन को निर्धारित मात्रा से कम रखने का प्रयास कर रहे हैं। इसका उद्देश्य तेल की माँग की अपेक्षा आपूर्ति को कम करके तेल की कीमतों में वृद्धि लाना है।
  • इसके विरोध में अमेरिका, भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने अपने तेल भंडारों से तेल इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। यह प्रतिक्रिया तेल की बढ़ती कीमतों को कम करने का एक साझा प्रयास है।
  • विदित है कि भारत ने अनेक अंतर्राष्ट्रीय मंचों और द्विपक्षीय वार्ताओं के माध्यम से ज़ोर दिया कि ओपेक देशों को तेल की आपूर्ति बढ़ानी चाहिये। भारत का तर्क है कि कच्चे तेल की ऊँची कीमतें विकासशील देशों में कोविड-19 के उपरांत आर्थिक सुधारों को प्रभावित कर रही हैं।

एस.पी.आर. से तेल इस्तेमाल का तेल की कीमतों पर प्रभाव

  • बड़े तेल उपभोक्ता देशों द्वारा एस.पी.आर. से तेल इस्तेमाल करने का फैसला लेने के एक माह के भीतर ही कच्चे तेल की कीमतों में $6 प्रति बैरल की कमी आ गई है।
  • अमेरिका द्वारा में लगभग 70-80 मिलियन बैरल कच्चा तेल इस्तेमाल करने का अनुमान है। हालाँकि यह मात्रा ‘कीमत निर्धारण स्तर’ के 100 मिलियन बैरल स्तर से कम है। 
  • बड़े उपभोक्ता देशों के इस निर्णय से तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत में कमी की उम्मीद है। रूस और सऊदी अरब जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन बढ़ाने के संकेत दिये हैं।

कच्चे तेल की ऊँची कीमतों का भारत पर प्रभाव

  • कच्चे तेल की बढ़ी हुई वैश्विक कीमतों ने उपभोक्ताओं को देश भर में पेट्रोल और डीजल की अधिक कीमत चुकाने के लिये मजबूर किया है। राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल और डीजल एक वर्ष में क्रमशः 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत महँगे हुए हैं।
  • हाल ही में, केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में कटौती की। इसके बावजूद, उपभोक्ताओं को अपेक्षाकृत अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। 
  • ध्यातव्य है कि सरकार ने वर्ष 2020 में पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में वृद्धि की थी, ताकि अधिक राजस्व की प्राप्ति कर महामारी जनित आर्थिक दुष्प्रभावों को दूर किया जा सके।

एस.पी.आर. की आवश्यकता

  • किसी भी अप्रत्याशित वैश्विक घटना, प्राकृतिक आपदा या तेल आपूर्ति में व्यवधान की स्थिति में तेल की कीमतों में असामान्य वृद्धि हो जाती है। ऐसे में, इन एस.पी.आर. में भंडारित तेल का इस्तेमाल किया जाता है।
  • ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ (IEA) के सदस्य देशों का दायित्व है कि वे 90 दिनों में आयात किये जाने वाले तेल की मात्रा के बराबर तेल का आपातकालीन भंडार संचित रखेंगे। ध्यान रहे है कि भारत अपनी आवश्यकता का करीब 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है।
  • भारत भी अमेरिका व पश्चिमी देशों की तर्ज पर ‘आपातकालीन रणनीतिक भंडार’ स्थापित कर रहा है। विदित है कि वर्ष 1973-74 में पहला तेल संकट आया था। इसके उपरांत इन देशों ने आपातकालीन तेल भंडारों की स्थापना की थी।

भारत में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार

  • भारत ने ‘रणनीतिक पेट्रोलियम रिज़र्व कार्यक्रम’  (SPR Programme) के प्रथम चरण में 5.33 एम.एम.टी. (लगभग 38 मिलियन बैरल) कच्चे तेल भंडारण क्षमता के तीन भूमिगत एस.पी.आर. स्थापित करने का निर्णय लिया। ये एस.पी.आर. विशाखापत्तनम (1.33 एम.एम.टी.), मैंगलोर (1.5 एम.एम.टी.), एवं पाडुर (2.5 एम.एम.टी.) में स्थापित किये गए हैं।
  • ये भंडार, वर्ष 2019-20 के खपत स्तर के आधार पर, लगभग 9.5 दिनों के कच्चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने में सक्षम हैं।
  • सरकार के मुताबिक़, देश में ‘तेल विपणन कंपनियों’ (OMCs) की सभी भंडारण इकाइयाँ संयुक्त रूप से 64.5 दिनों तक तेल आपूर्ति सुनिश्चित कर सकती हैं। समग्रतः कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के भंडारण की कुल अनुमानित राष्ट्रीय क्षमता 74 दिनों की है।  
  • इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में ओडिशा के चंडीखोल (4 एम.एम.टी.) और कर्नाटक के पाडुर (2.5 एम.एम.टी.) में कुल 6.5 एम.एम.टी. क्षमता की वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक इकाइयाँ स्थापित की जाएँगी। इसके लिये सरकार ने मंजूरी दे दी है।

spr-programme

निष्कर्ष

यह पहली बार होगा, जब भारत अंतर्राष्ट्रीय कीमतों को प्रभावित करने के लिये अपने रणनीतिक भंडार का उपयोग करेगा। इससे पहले इसी साल की शुरुआत में जब कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही थीं, तब सरकार ने रिफाइनरियों को तेल आपूर्ति करने के लिये इन भंडारों का उपयोग किया था। भारत ने अपने रणनीतिक भंडार से 50 लाख बैरल तेल इस्तेमाल किया, जो कुल एस.पी.आर. का लगभग 13% है।

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