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भारत - सऊदी अरब संबंधों की प्रगाढ़ता

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

संदर्भ

हाल ही में, भारत तथा सऊदी अरब के मध्य द्विपक्षीय संबंधों की बढ़ती प्रगाढ़ता में रक्षा, रणनीति, सुरक्षा, निवेश, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, व्यापार, ऊर्जा जैसे कारक शामिल हैं। यह उन संभावनाओं के बढ़ते आपसी सौहार्द्र तथा समझ की स्पष्ट झलक है जिसमें द्विपक्षीय साझेदारी विकसित हुई है।

भारत-सऊदी अरब संबंध

द्विपक्षीय व्यापार 

  • दोनों देशो के मध्य द्विपक्षीय व्यापार 33 अरब डॉलर तक पहुँचने के साथ ही भारत सऊदी अरब का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बन गया है। विदित है कि, द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार और ऊर्जा सहयोग की केंद्रीय भूमिका रही है।
  • सऊदी अरब भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण और विश्वसनीय स्रोत है। भारत की कच्चे तेल की आवश्यकताओं का 18% और एल.पी.जी. आवश्यकताओं का 30% सऊदी अरब द्वारा पूरा किया जाता है। 
  • सऊदी अरब का भारत के ऊर्जा, रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल और इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर कृषि, खनिज और खनन जैसे क्षेत्रों में लगभग 100 अरब डॉलर का निवेश प्रस्तावित है। यह भारत के पश्चिमी तट पर एक प्रमुख रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना में भी निवेश कर रहा है।
  • वहीं दूसरी तरफ विभिन्न क्षेत्रों में 500 से अधिक भारतीय कंपनियाँ सऊदी अरब में कार्यरत हैं। इन क्षेत्रों में प्रबंधन और परामर्श सेवाएँ, निर्माण परियोजनाएँ, दूरसंचार, आईटी, वित्तीय सेवाएँ एवं सॉफ्टवेयर विकास, फार्मास्यूटिकल्स आदि शामिल हैं। 

सामरिक रणनीति 

  • वर्ष 2019 में सऊदी भारतीय रणनीतिक साझेदारी परिषद (Saudi Indian Strategic Partnership Council) का गठन किया गया, जिसने दोनों देशों के मध्य रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है।
  • जी-20 के रणनीतिक सदस्यों के रूप में दोनों देश सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये एक साथ कार्य कर रहे हैं।
  • सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर भारतीय चिंताओं का समर्थन किया है तथा जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की दिशा में सकारात्मक रुख अपनाया है।
  • सऊदी अरब को हुती विद्रोहियों से उत्पन्न हुए खतरों का मुकाबला करने का सीमित अनुभव है। इस संदर्भ में संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से सऊदी पक्ष को इस तरह के खतरों से लड़ने में भारत की विशेषज्ञता प्रदान की जा सकती है।

नवीकरणीय ऊर्जा 

  • भारत वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर है और दुनिया का सबसे बड़ा ‘ग्रीन हाइड्रोजन हब’ बनने की महत्वाकांक्षा के साथ 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 
  • वहीं सऊदी अरब भी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। वर्ष 2030 तक ऊर्जा उत्पादन का 50% नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ तरल ईंधन को प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इसके अलावा, सऊदी अरब ने 'सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव' और 'मिडल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव' जैसी पहलों को भी शुरू किया है। 

रोजगार के अवसर

  • कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न कठिनाइयों को कम करने के उद्देश्य से सऊदी अरब और भारत के मध्य लोगों की नियमित यात्रा को एयर बबल व्यवस्था के माध्यम से फिर से शुरू किया जा रहा है। 
  • सऊदी अरब गोल्डन वीजा धारकों को विशेष सुविधाएँ प्रदान करता है, जिसमें संपत्ति खरीदने, परिवार के सदस्यों को साथ रखने और नियोक्ता की अनुमति प्राप्त करने किये बिना देश से बाहर जाने की क्षमता शामिल है। 
  • वर्ष 2020 में सऊदी अरब ने श्रम बाजार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने तथा नियोक्ताओं और कर्मचारियों के अधिकारों के लिये भविष्य की सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से एक श्रम सुधार पहल को भी शुरू किया।
  • इन सुधारों एवं प्रयासों से सऊदी अरब में भारतीय नागरिकों के लिये रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई हैं।

सांस्कृतिक संबंध

  • दोनों देशों के मध्य वर्तमान सौहार्द की भावना सदियों के सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संपर्क का परिणाम है। 
  • दोनों देशों के परस्पर सांस्कृतिक संबंध हज यात्रा से जुड़े हुए हैं। हज यात्रा ने ज्ञान और संस्कृति के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान की है। 

भारत के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ

  • मध्य पूर्व की राजनीति जटिल और बहुआयामी है। यहाँ विभिन्न मुद्दे जैसे: सऊदी अरब-तुर्की प्रतिद्वंद्विता, सऊदी अरब-ईरान प्रतिद्वंद्विता निरंतर जटिल होते जा रहे हैं, जो भारत के लिये चुनौतीपूर्ण है।
  • विदित है कि भारत का सऊदी अरब और ईरान दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। यहीं कारण है कि भारत को एक ओर ईरान और दूसरी ओर सऊदी अरब एवं यू.एस.ए. के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की दिशा में कार्य करना होगा।

द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हेतु सुझाव

  • मौजूदा स्थिति में दोनों देशों के मध्य समुद्री सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। साथ ही, समुद्री मार्गों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सुरक्षा के लिये संयुक्त नौसैनिक अभ्यास को भी आयोजित किया जाना चाहिये।
  • अंतरिक्ष एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया जा सकता है। भारत, नई स्थापित सऊदी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ जुड़ने की संभावना को तलाश सकता है।
  • सऊदी अरब से कुछ श्रम प्रधान प्रतिष्ठानों को भारत में स्थानांतरित करने का प्रयास किया जाना चाहिये, जिससे सऊदी अरब में भारत के प्रवास को कम किया जा सकें तथा देश में 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देकर संबंधित राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को पूरा किया जा सकें।

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि पिछले कुछ समय में दोनों देशों में हुए परिवर्तनकारी सुधारों ने कई क्षेत्रों में असीम संभावनाओं को प्रस्तुत किया है। भारत तथा सऊदी अरब के मध्य द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती न केवल आपसी रिश्तों के लिये महत्त्वपूर्ण है, बल्कि एशिया और मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिये भी आवश्यक है।

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