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कोच्चि और लक्षद्वीप के बीच सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी योजना

(प्रारम्भिक परीक्षा- राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : सूचना प्रौद्योगिकी)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के मुख्य भू-भाग कोच्चि और लक्षद्वीप द्वीपों (के.एल.आई. परियोजना : KLI Project) के मध्य सबमरीन फाइबर केबल कनेक्टिविटी योजना को स्वीकृति प्रदान की।

प्रस्तावित योजना

  • इस परियोजना के अंतर्गत एक समर्पित सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) के माध्यम से कोच्चि और लक्षद्वीप के 11 द्वीपों के बीच सीधे दूरसंचार लिंक उपलब्‍ध कराने की परिकल्‍पना की गई है।
  • इन द्वीपों में कवरत्ती, कलपेनी, अगति, अमिनी, एंड्रोथ, मिनीकॉय, बंगाराम, बित्रा, चेटलाट, किल्‍तान और कदमत्त्त शामिल हैं।
  • इस परियोजना के कार्यान्वयन की अनुमानित लागत 1072 करोड़ रुपए है, जिसमें पांच वर्षों के लिये संचालन व्‍यय को भी शामिल किया गया है। इस परियोजना को दूरसंचार विभाग के यूनिवर्सल सेवा बाध्‍यता कोष (Universal Service Obligation Fund: USOF) द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा।
  • विदित है कि यूनिवर्सल सेवा बाध्‍यता कोष का उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों के लिये आर्थिक रूप से उचित कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण आई.सी.टी. सेवाओं तक गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच को सुनिश्चित करना है।

क्रियान्‍वयन रणनीति एवं लक्ष्‍य

  • भारत संचार नगर लिमिटेड को इस परियोजना की क्रियान्‍वयन एजेंसी तथा टेलीकम्‍युनिकेशंस कंसल्‍टेंट इंडिया लिमिटेड (TCIL) को यू.एस.ओ.एफ. की सहायता करने के लिये तकनीकी सलाहकार नामित किया गया है।
  • इस परियोजना के तहत सम्‍पत्तियों के स्‍वामित्‍व का अधिकार यू.एस.ओ.एफ. के पास रहेगा। इस परियोजना को मई 2023 तक पूरा करने का लक्ष्‍य रखा गया है।
  • उल्लेखनीय है कि अगस्त, 2020 में चेन्नई और अंडमान-निकोबार के मध्य सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल लिंक का उद्घाटन किया गया था।

प्रभाव

  • दूरसंचार के बुनियादी ढाँचे में वृद्धि देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास से बहुत निकटता से जुड़ा हुआ है और रोज़गार सृजन की दिशा में महत्त्वपूर्ण है।
  • इस सम्पर्क योजना की मंजूरी से लक्षद्वीप के द्वीपों में दूरसंचार सुविधाओं में उच्च क्षमता के बैंडविड्थ की उपलब्‍धता से काफी सुधार होगा। सबमरीन कनेक्टिविटी परियोजना नागरिकों को घर पर ही ई-सुशासन सेवाओं के वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
  • इसके अलावा, मत्‍स्‍य क्षेत्र में क्षमता विकास, नारियल आधारित उद्योगों, पर्यटन, दूरस्‍थ शिक्षा और टेलीमेडिसिन सुविधाओं के क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी। साथ ही, ब्लू इकॉनमी के विकास में योगदान मिलेगा।
  • इस परियोजना से अनेक उद्यमों की स्‍थापना के साथ-साथ ई-कॉमर्स गतिविधियों को बढ़ावा देने और शैक्षिक संस्‍थानों में ज्ञान साझा करने में पर्याप्‍त मदद मिलेगी। लक्षद्वीप के द्वीपों में लॉजिस्टिक सेवाओं के एक विशाल हब बनने की क्षमता है।

लक्षद्वीप और संचार

  • अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप भारत के लिये सामरिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। इन द्वीपों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित, मज़बूत, विश्‍वसनीय और वहनीय दूरसंचार सेवाओं की उपलब्‍धता पूरे देश के लिये सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • लक्षद्वीप में इस समय दूरसंचार कनेक्टिविटी उपग्रहों के माध्यम से प्रदान की जा रही है। आँकड़ों आधारित सेवाओं को उपलब्‍ध कराने में बैंडविड्थ की कमी एक बड़ा अवरोध है। समाज के समावेशी विकास के लिये उपयुक्‍त क्षमता की बैंडविड्थ ई-सुशासन और ई-बैंकिंग के लिये पहली आवश्‍यकता है।
  • लक्षद्वीप में उच्‍च क्षमता वाली बैंडविड्थ सुविधा को उपलब्‍ध कराया जाना देश में डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को हासिल करने तथा ई-सुशासन के राष्‍ट्रीय उद्देश्‍य को मूर्त रूप देने के अनुरूप है।
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