New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

हिमालयन गिद्ध का गुवाहाटी चिड़ियाघर में सफलतापूर्वक प्रजनन

प्रारम्भिक परीक्षा पर्यावरण एवं जैव विविधता 
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3

चर्चा में क्यों  

  • जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टैक्सा के एक रिपोर्ट में प्रकशित किया गया है कि हिमालयन गिद्ध जिप्स हिमालयेंसिस का 2022 में असम राज्य के गुवाहाटी चिड़ियाघर में सफलतापूर्वक प्रजनन हुआ है। 

प्रमुख बिन्दु 

  • यह भारत में प्रजातियों के कैप्टिव प्रजनन का पहला रिकॉर्ड है। 
  • वयस्कों को चिड़ियाघर में एक प्रदर्शन एवियरी में रखा गया था जहाँ उन्होंने जमीन पर घोंसला बनाया और अंडे भी दिए।

Himalayan-vulture

  • इनके बच्चों को तापमान और आर्द्रता-नियंत्रित बक्सों और वातानुकूलित कमरे में रखा गया था।
  • गिद्ध एक मेहतर प्रजाति का पक्षी हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र के निर्वाह के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे मांस या मृत जानवरों को खाते हैं और महामारी के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं। 
  • पिछले कुछ दशकों में डाइक्लोफेनाक नामक दर्द निवारक दवा जो पशुओं को दिया जाता है। इन मृत पशुओं को खाने के कारण गिद्धों के गुर्दे ख़राब होने लगते हैं जिससे गिद्धों की मृत्यु हो जाती है।   
  • जबकि वर्तमान में इस दवा पर प्रतिबंध से गिद्धों की आबादी में वृद्धि देखी गई है।
  • गिद्धों की तीन प्रजातियां अभी भी गंभीर रूप से खतरे में हैं - व्हाइट-रंप्ड गिद्ध (जिप्स बेंगालेंसिस), भारतीय गिद्ध (जिप्स इंडिकस) और स्लेंडर-बिल्ड गिद्ध (जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस)।
  • हालांकि हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध (जिप्स हिमालयेंसिस) अपने ऊंचे पहाड़ी निवास स्थान के कारण काफी हद तक दवा से अप्रभावित रहा है।
  • हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध 1500 से 4000 मीटर की ऊँचाई वाले पहाड़ों में निवास करता है। हिमालय में यह प्रजाति अक्सर 900 मीटर तक नीचे होती है
  • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) रेड लिस्ट ने भारतीय हिमालयी गिद्ध को खतरे वाली प्रजातियों की लाल सूची में वर्गीकृत किया गया है।
  • यह प्रजाति भारत में पाई जाने वाली गिद्धों की नौ प्रजातियों में से एक है।

गिद्धों के सुरक्षा की दिशा में भारत सरकार द्वारा किये गए कार्य

  • 2008 में डिक्लोफेनाक दवा पर प्रतिबंध। 
  • पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और हरियाणा राज्य सरकार के द्वारा विलुप्त होने वाले गिद्धों की प्रजातियों के कैप्टिव ब्रीडिंग की शुरुआत की गई।
  • पिंजौर, हरियाणा में और केंद्र राजाभटखावा (पश्चिम बंगाल), गुवाहाटी (असम) और भोपाल (मध्य प्रदेश) में जटायु गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र प्रारंभ किया गया। 
  • प्रजनन केंद्रों और उन क्षेत्रों के आसपास गिद्धों की रिहाई के लिए गिद्ध सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान की गई है । 
  • तमिलनाडु सरकार के पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा निदेशालय ने नीलगिरी, इरोड और कोयंबटूर जिलों में केटोप्रोफेन के उपयोग को रोक दिया।

गिद्धों के संरक्षण में चुनौतियाँ

  • कैप्टिव ब्रीडिंग से पैदा हुए गिद्धों को जंगल में छोड़ना सुरक्षित नहीं हैं। 
  • जब तक गिद्धों के खाद्य स्रोत जहरीली दवाओं से मुक्त नहीं हो जाते, तब तक बंदी नस्ल के गिद्धों को वापस जंगल में छोड़ना उचित नहीं है। 

आगे की  राह 

  • स्वस्थ मवेशी हमारे लिए जितने जरूरी हैं, उतना ही जरूरी है कि गिद्ध भी स्वस्थ रहें, ताकि मृत मवेशियों के शवों की सफाई होती रहे। 
  • हम अपने मवेशियों की चिकित्सा जिस प्रकार करने का निर्णय लेते हैं, वह ऐसा होना चाहिए कि चम्बल के घाटी पर उड़ान भरते देशीय गिद्ध, जिनके लिए मवेशी का मृत शव भोजन है वो दवा से विषाक्त न हो।

प्रश्न: भातीय गिद्धों के विलुप्त होने के क्या कारण थे?

(a) उनके आवासीय क्षेत्र का विनाश

(b) जलवायु परिवर्तन

(c) मवेशियों के इलाज हेतु इस्तेमाल की जाने वाली डिक्लोफेनाक दवा

(d) व्यापक और घातक बीमारी।

उत्तर: (c)

मुख्या परीक्षा प्रश्न : भारतीय गिद्ध पर्यावरण के लिये किस प्रकार से महत्वपूर्ण है चर्चा कीजिए?

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR