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मिसाइल अग्नि-1 का सफल परीक्षण

प्रारंभिक परीक्षा: मिसाइल
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ:

07 दिसम्बर 2023 को मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-1 का ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफल परीक्षण किया गया।

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प्रमुख बिंदु:

  • इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है।
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 700 से 2500 किलोमीटर तक है।
  • यह मिसाइल 15 मीटर लंबी और 12 टन वजनी है।
  • भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने वाली अग्नि-1 एकमात्र ठोस इंजन आधारित मिसाइल है।
  • इसका पहला परीक्षण 25 जनवरी 2002 को किया गया था।
  • यह 1,000 किलो के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
  • यह स्वदेशी तकनीक से बनी सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है।

Classification-of-Missiles

मिसाइल का वर्गीकरण:

A. प्रकार के आधार पर:

1. क्रूज़ मिसाइल:

  • क्रूज़ मिसाइल एक मानव रहित स्व-चालित निर्देशित वाहन है।
  • यह पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भर्ती हैं।
  • इसमें जेट इंजन तकनीक का उपयोग होता है।
  • गति के आधार पर क्रूज़ मिसाइलों का वर्गीकरण-
    i.सबसोनिक क्रूज मिसाइल: 
  • ध्वनि से भी कम गति होती है। (लगभग 0.8 मैक)
  • उदाहरण: अमेरिकी टॉमहॉक क्रूज मिसाइल और फ्रांस की एक्सोसेट
    ii.सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल:
  • सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की लगभग 2-3 मैक की गति होती है।(1 सेकेंड में लगभग 1 किलोमीटर)
  • उदाहरण: ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल प्रणाली है।

BrahMos-Missiles

iii.हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल:

    • इसकी गति 5 मैक से अधिक होती है।
    • ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस ॥ विकसित करने की प्रक्रिया में भी है

2. बैलिस्टिक मिसाइल

  • बैलिस्टिक मिसाइल एक ऐसी मिसाइल है जिसकी अधिकांश उड़ान पथ पर बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र होता है।
  • पथ अर्द्ध चंद्राकार या सब ऑर्बिटल होता है।
  • बैलिस्टिक मिसाइलों को जहाजों और भूमि आधारित सुविधाओं से लॉन्च किया जा सकता है। 
  • उदाहरण के लिए: पृथ्वी-।, पृथ्वी-॥, अग्नि सीरीज की मिसाइलें, सागरिका के-15, के-4 और के-5, प्रहार और धनुष 

Sagarika

B. लॉन्च मोड के आधार पर:

1. सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल:

  • सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल एक निर्देशित प्रक्षेप्य है।
  • स्थिर प्लेटफ़ॉर्म से लॉन्च किया जाता है।
  • उदाहरण: पृथ्वी, अग्नि आदि 

2. सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल:

  • इन्हें विमान, हेलीकॉप्टर और बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए जमीन से लॉन्च किया जाता है।
  • इन मिसाइलों को आम तौर पर वायु रक्षा प्रणाली कहा जाता है।
  • उदाहरण: आकाश

3. सतह (तट) से समुद्र तक मार करने वाली मिसाइल:

इन्हें जमीन से समुद्र में जहाज तक लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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4. हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल

  • हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल को विमान से छोड़ा जाता है।
  • मिसाइल 4 मैक की गति से उड़ान भरती है।
  • उदाहरण: अस्त्र मिसाइल आदि

5. हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल:

  • सैन्य विमान से लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • यह जमीन, समुद्र या दोनों लक्ष्यों पर हमला करती है।
  • उदाहरण: ब्रह्मोस आदि 

6. समुद्र से समुद्र में मार करने वाली मिसाइल:

मिसाइल को एक जहाज से दूसरे जहाज पर लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

7. समुद्र से सतह (तट) पर मार करने वाली मिसाइल

समुद्र से जमीनी लक्ष्यों को निशाना बनाया जाता है।

Samudra-Missile

8. एंटी टैंक श्रेणी:

  • यह एक निर्देशित मिसाइल है।
  • बख्तरबंद टैंकों और अन्य बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
  • इन्हें विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक और कंधे पर लगे लॉन्चर से भी लॉन्च किया जा सकता है।
  •  उदाहरण: हेलिना, नाग आदि  

C. रेंज के आधार परः

  1. छोटी दूरी की मिसाइल (300-1000 किलोमीटर)
  2. मध्यम दूरी की मिसाइल (1000-3500 किलोमीटर)
  3. मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (3500-5500 किलोमीटर)
  4. अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (5500+ किलोमीटर)

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ):

  • डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान एवं विकास विंग है।
  • इसका लक्ष्य अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ भारत को सशक्त बनाना और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। 
  • संगठन का गठन 1958 में भारतीय सेना के तत्कालीन पहले से ही कार्यरत तकनीकी विकास प्रतिष्ठान और तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय के रक्षा विज्ञान संगठन के एकीकरण से किया गया था।   

D. प्रणोदन (ईंधन) के आधार पर:

1. ठोस प्रणोदन:

  • इसमें ठोस ईंधन का उपयोग किया जाता है। 
  • सामान्यतः ईंधन एल्यूमीनियम पाउडर होता है।  
  • इसे आसानी से संग्रहित किया जा सकता है।   

2.तरल प्रणोदन:

  • यह तकनीक ईंधन के रूप में तरल का उपयोग करती है।
  • तरल ईंधन ठोस ईंधन की तुलना में उच्च विशिष्ट आवेग देता है।

3. हाइब्रिड प्रणोदन:

  •  इसमें दो चरण होते हैं ठोस प्रणोदन और तरल प्रणोदन। 
  • इस प्रकार का प्रणोदन दोनों प्रणोदन प्रणालियों के नुकसान की भरपाई करता है।

4. रैमजेट:

  • रैमजेट इंजन एयर ब्रीदिंग इंजन का एक रूप है।
  • यह वायु वाहन की आगे की गति से आवश्यक वायु का संपीड़न प्राप्त करता है।
  • इंजन में प्रवेश करने वाली हवा सुपरसोनिक गति से होनी चाहिए।
  • हवाई वाहन सुपरसोनिक गति से चलना चाहिए।  

5. स्क्रैमजेट:

  • सुपरसोनिक दहन रैमजेट का ही रूप है।
  • स्क्रैमजेट इंजन, रैमजेट इंजन की तुलना में अत्यधिक कुशल है क्योंकि यह हाइपरसोनिक गति से कुशलतापूर्वक संचालित होता है और सुपरसोनिक गति से ईंधन के दहन की अनुमति देता है। 

6. क्रायोजेनिक:

  • क्रायोजेनिक प्रणोदक तरलीकृत गैसें हैं जो बहुत कम तापमान पर संग्रहीत होती हैं।
  • इसमें तरल हाइड्रोजन (LH2) को ईंधन और तरल ऑक्सीजन (LO2 या LOX) को ऑक्सीकारक के रूप में रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न:- सैन्य अभ्यास ‘काजिंद’ के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. अग्नि-1 मध्यम रेंज की क्रूज़ मिसाइल है।
  2. अमेरिका की ‘टॉमहॉक’ हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-  

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न 1 और ना ही 2   

उत्तर-   (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:

भारत अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ एक सशक्त राष्ट्र है; मिसाइल प्रौद्योगिकी के आधार पर विश्लेषण करें।

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