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अतिचालकता 

प्रारम्भिक परीक्षा – अतिचालकता
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र - 3 

चर्चा में क्यों 

 दो दक्षिण कोरियाई शोधकर्ताओं ने दावा किया गया है कि उनके द्वारा विकसित सीसा-आधारित यौगिक ने कमरे के तापमान पर सुपरकंडक्टिंग गुण प्रदर्शित किए हैं। 

superconductivity

प्रमुख बिंदु 

  • वर्तमान में कई सामग्रियां अतिचालक गुण दिखाती हैं, वे कई परिस्थितियों में काम करती हैं जिन्हें आसानी से दोहराया नहीं जा सकता है।
  • एक ऐसी सामग्री की खोज जो कमरे के तापमान पर अतिचालक गुण दिखाती है , हमारे चारों ओर प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
  • इसमें प्रौद्योगिकी क्षेत्र में क्रांति लाने और इस सदी की सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिक खोजों में से एक होने की क्षमता है।

 अतिचालकता

  • जब किसी मैटेरियल को क्रांतिक ताप (Critical Temperature) से नीचे ठंडा किया जाता है तो उसका प्रतिरोध पूर्णतः शून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करते हैं। उनके इस गुण को अतिचालकता (superconductivity) कहते हैं।
  • शून्य प्रतिरोधकता के अलावा अतिचालकता की दशा में पदार्थ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र भी शून्य हो जाता है जिसे मेसनर प्रभाव (Meissner effect) के नाम से जाना जाता है।
  • अतिचालकता superconductivity) की खोज 1911 में नीदरलैंड के भौतिकशास्त्री  हाइके कामरलिंघ ऑन्स ने  की थी।
  • सुपरकंडक्टर्स के रूप में उपयोग की जाने वाली सामग्रियां - सीसा, एल्यूमीनियम, टिन, नाइओबियम  आदि हैं।

अतिचालकता के अनुप्रयोग (Applications of superconductivity)

  • चालकों में प्रतिरोधक गुण के कारण ऊर्जा का काफी बड़ा भाग अनुप्रयुक्त रह जाता है।
  • अतिचालक पदार्थ के उपयोग से ऊर्जा का अधिकाधिक प्रयोग किया जा सकता है।
  • यह अतिचालकता की प्रथम एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 
  • अतिचालकों  का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग  है-
    • अतिचालक के उपयोग से ऊर्जा की क्षति को कम किया जा सकता है।
    • अतिचालकों का उपयोग शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेट  तैयार करने में किया जाता है, जो आवेशित कणों को लगभग प्रकाश की गति के बराबर गति प्रदान करने में समर्थ होते हैं। 
    • चिकित्सा विज्ञान में  प्रयुक्त MRI तकनीकी  तथा न्यूक्लियर मैग्नेटिक रिजोनेंस (NMR) आदि में अतिचालकों का प्रयोग किया जाता है ।
    • इंटीग्रेटेड सर्किटों के निर्माण में अतिचालकों का उपयोग क्रांतिकारी  सिद्ध हो सकता है।
    • अतिचालकों का उपयोग उच्च शक्ति वाले इलेक्ट्रिक कार एवं उच्च गति वाले कंप्यूटर निर्माण में भी किया जाता है।
    • इससे  बिजली केबलों में ट्रांसमिशन हानि को दूर किया जा सकता है
    • सुपरकंडक्टिंग सुपरफास्ट मैग्लेव ट्रेनों जैसी प्रणालियों के लिए उपयोगी है।

भारत में अतिचालकता अनुसंधान (superconductor research in india)

  • भारत में 1987 में अतिचालकता और इससे जुड़े अनुसंधान और विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक शीर्ष निकाय और कार्यक्रम प्रबंधन बोर्ड (Programme Management Board PMB) का गठन किया गया।
  • फरवरी 1991 में दोनों को सम्मिलित रूप से राष्ट्रीय अतिचालकता विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी बोर्ड (National Superconductivity Science and Technology Board NSTB) का नाम दिया गया।
  • भारत के राष्ट्रीय अतिचालकता कार्यक्रम के पहले चरण (1988 से 1991) में देश में 65 परियोजना को प्रारंभ किया गया।
  • यह परियोजनाएं परमाणु ऊर्जा विभाग भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में प्रारंभ की गई

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. जब किसी मैटेरियल को क्रांतिक ताप (Critical Temperature) से नीचे ठंडा किया जाता है तो उसका प्रतिरोध पूर्णतः शून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करते हैं। 
  2. भारत में 1989  में अतिचालकता  कार्यक्रम प्रबंधन बोर्ड  का गठन किया गया।
  3. सुपरकंडक्टर्स के उपयोग से ऊर्जा की हानि बढ़ जाती  है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल 1 

(b) केवल 2  

(c) सभी तीनों 

(d) कोई भी नहीं 

उत्तर: (a)  

मुख्य परीक्षा प्रश्न : अतिचालकता के उपयोग से ऊर्जा में  होने वाली हानि को रोका जा सकता साथ ही विद्युत ट्रांसमिशन लागत से बचा जा सकता है। चर्चा कीजिए।

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