प्रारंभिक परीक्षा: आर्टिकल-370, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
संदर्भ:
11 दिसम्बर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित आर्टिकल-370 को हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को संविधान सम्मत कहा।
आर्टिकल 370 को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
- संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे।
- फैसले के मुख्य बिंदु-
1.आर्टिकल 370 के स्टेटस पर-
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- संविधान का आर्टिकल-370 अस्थायी था।
- जम्मू-कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण यह अनुच्छेद अंतरिम व्यवस्था थी।
2. सरकार के आर्टिकल 370 हटाने के निर्णय पर-
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- इसे हटाने पर राष्ट्रपति के आदेश को वैध माना है।
- लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा है।
3. जम्मू-कश्मीर के स्टेटस पर
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- जम्मू-कश्मीर के पास देश के अन्य राज्यों से अलग कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।
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- भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं।
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- जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
4. राष्ट्रपति के आदेश पर:
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- राष्ट्रपति के लिए जरूरी नहीं कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश पर ही 370 पर कोई आदेश जारी करें।
- अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी हुई है।
- अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति वैध थी।
5. जम्मू-कश्मीर संविधान सभा पर-
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- जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को कभी भी स्थायी निकाय बनाने का इरादा नहीं था।
- जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का अस्तित्व तो खत्म हो चुका है, जिस विशेष शर्त के लिए आर्टिकल 370 लागू किया गया था, उसका भी अस्तित्व खत्म हो गया।
6. जम्मू-कश्मीर में चुनाव पर-
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- केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
- चुनाव आयोग 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराए।
7. संप्रभुता के सवाल पर-
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- 1949 में महाराजा हरी सिंह की उद्घोषणा और उसके बाद का संविधान इस तथ्य की पुष्टि करता है कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग बन गया। यह संविधान के अनुच्छेद-1 से स्पष्ट है।
आर्टिकल 370:
- इसकी रूप-रेखा 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार की थी।
- 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का हिस्सा बना।
- इसे एक 'अस्थायी प्रावधान' के रूप में जोड़ा गया।
- इसके तहत जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा मिला।
अनुच्छेद 370 के प्रभाव:
- इसके तहत संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था।
- अन्य कानूनों को लागू कराने के लिए केंद्र राज्य के अनुमोदन पर निर्भर था।
- इसके कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता था।
- इसकी वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी था।
- भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे।
- यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी। (एक जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की)
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370 के हालिया विवाद की पृष्ठभूमि:
- 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से जुड़ा आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के बाद ये विवाद शुरु हुआ।
- IAS शाह फैसल समेत दो दर्जन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की।
- मार्च 2020 में 5 जजों की संविधान पीठ ने केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 7 न्यायाधीशों की बड़ी पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था।
- अक्टूबर 2020 से सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 खत्म करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है।
- 14 दिसंबर 2022 को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने एक बार फिर से 5 जजों की पीठ बनाकर सुनवाई की बात कही।
- 11 जुलाई 2023 को डीवाई चंद्रचूड़ ने 2 अगस्त से 5 जजों की पीठ के सामने रेगुलर बेसिस पर इस मामले में सुनवाई की बात कही है।
- बेंच ने 5 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019:
- भारत की संसद का एक अधिनियम है।
- इसे गृहमन्त्री ने 05 अगस्त, 2019 को राज्य सभा में प्रस्तुत किया था।
- यह अधिनियम उसी दिन राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया था।
- 06 अगस्त को लोक सभा ने भी इसे पारित कर दिया।
- 09 अगस्त 2019 राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने को इसे स्वीकृति दे दी।
- इस अधिनियम में तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों (पहला, जम्मू और कश्मीर; दूसरा, लद्दाख) में पुनर्गठित करने का प्रावधान किया गया था।
- इस अधिनियम के प्रावधान 31 अक्टूबर 2019 को लागू कर दिए गए।
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प्रश्न:- आर्टिकल-370 के सम्बन्ध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- 17 अक्टूबर 1949 को यह भारतीय संविधान का हिस्सा बना था।
- अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने इसे ख़त्म कर दिया था।
- सर्वोच्च न्यायलय ने इसको ख़त्म करने के केंद्र के निर्णय को ख़ारिज कर दिया है।
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर- (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:
सर्वोच्च न्यायलय ने केंद्र द्वारा धारा 370 को हटाने के फैसले को न्याय सम्मत माना है। यह फैसला भारत के एकीकरण को मजबूत करेगा। विश्लेषण करें।
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