New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

प्रारंभिक परीक्षा : एनकाउंटर से  संबंधित कानूनी प्रावधान 
मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3- आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका। 

संदर्भ 

  • हाल ही में, गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद के बेटे असद और उसके सहयोगी गुलाम की पुलिस एनकाउंटर में मृत्यु हो गई।  
  • इसे कई मानवाधिकार संगठन द्वारा न्यायेतर हत्या (extra-judicial killings)बताया जा रहा है। 

एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस क्या है?

  • वर्ष 1999 में एक सामाजिक संस्था ‘पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ (PUCL)’ ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। 
  • इस याचिका में वर्ष 1995 से 1997 के दौरान मुंबई पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर पर सवाल उठाए गए थे। 
  • फर्जी एनकाउंटर को ध्यान में रखते हुए सितंबर 2014 में तत्कालीन CJI आरएम लोढ़ा और रोहिंटन फली नरीमन की पीठ ने 16 बिंदुओं का  एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया। 

गाइडलाइंस

  • यदि किसी एनकाउंटर के परिणामस्वरूप मृत्यु हो जाती है, तो उस घटना की प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और बिना किसी देरी के इसकी सूचना अदालत को भेज दी जानी चाहिए।
  • सूचनाओं का लिखित रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है।  
  • एनकाउंटर के बाद पूरी घटना की एक स्वतंत्र जांच CID से या दूसरे पुलिस स्टेशन की टीम से करवाना जरूरी है। 
  • इसकी मजिस्ट्रियल जांच भी करवायी जानी चाहिए। 
  • घटना की सूचना, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) या राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) को बिना किसी देरी के दी जानी चाहिए। 
  • मौत की स्थिति में, कथित अपराधी/पीड़ित के परिजन को जितनी जल्दी हो सके, जानकारी दी जानी चाहिए। 
  • जांच में पुलिस की गलती पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ एक्शन लिया जाए या जांच पूरी होने तक उसे निलंबित किया जाए। 

नोट- वर्ष 2011 में प्रकाश कदम बनाम राम प्रसाद विश्वनाथ गुप्ता मामले में कोर्ट ने कहा था कि “पुलिस द्वारा फर्जी एनकाउंटर और कुछ नहीं बल्कि निर्दयी हत्या है और जो इसे अंजाम दे रहे हैं उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए”

केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट क्या है?

encunter
report

  • वर्ष 2016 से 2022 के मध्य हुए एनकाउंटर में पहले नंबर पर छत्तीसगढ़ तथा दूसरे पर उत्तर प्रदेश है। 
  • वर्ष 2021-2022 के मध्य हुए एनकाउंटर में पहले नंबर पर जम्मू एवं कश्मीर तथा दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है।  

भारतीय  संविधान

  • भारतीय संविधान में कहीं भी एनकाउंटर शब्द का जिक्र नहीं है। 
  • पुलिस के पास किसी नागरिक का जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। 
  • भारतीय संविधान में कानून द्वारा किसी के प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 21) को छीना जा सकता है।   

NHRC की क्या गाइडलाइंस है?

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा समय-समय पर पुलिस एनकाउंटर पर सख्त टिप्पणी की जाती रही है। 
  • मार्च 1997 में NHRC के तत्कालीन चेयरमैन जस्टिस एमएन वेंकटचलैया ने एक पत्र के माध्यम से सभी मुख्यमंत्रियों को कहा कि यदि पुलिस द्वारा फर्जी एनकाउंटर किया जाता है तो इसे गैरइरादतन हत्या माना जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पुलिस के पास किसी भी व्यक्ति की जान लेने का कोई अधिकार नहीं है।  

NHRC ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुछ गाइडलाइंस जारी किए हैं। 

  • एनकाउंटर में मौत की सूचना मिलते ही पुलिस स्टेशन के इंचार्ज को तुरंत जानकारी दर्ज करनी चाहिए। 
  • आरोपी की मौत के तथ्यों और परिस्थितियों की जांच के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए। 
  • चूंकि एनकाउंटर में पुलिस खुद शामिल होती है, इसलिए ऐसे मामलों की जांच CID से कराई जानी चाहिए। 
  • इन मामलों की जांच चार महीनों में पूरी होनी चाहिए। 
  • यदि जांच में किसी के खिलाफ केस बनता है तो उसमें स्पीडी ट्रायल होना चाहिए। 
  • यदि कोई व्यक्ति पुलिसकर्मी की गोली से मारा जाता है, तो संबंधित पुलिसकर्मी पर IPC की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाना चाहिए। 
  • पुलिस की कार्रवाई में हुई मौतों के सभी मामलों में मजिस्ट्रेट जांच होनी चाहिए तथा यह  जांच तीन महीने के भीतर पूरी होनी चाहिए। 
  • पुलिस कार्रवाई में हुई सभी मौतों की जानकारी NHRC को देनी चाहिए और  SP या SSP स्तर के अधिकारी घटना के 48 घंटों के भीतर आयोग को सूचित करें। 
  • घटना की जानकारी देने के तीन महीने के भीतर दूसरी रिपोर्ट जमा करनी होगी और इसमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मजिस्ट्रेट जांच और पुलिस अधिकारियों की जांच रिपोर्ट शामिल होनी चाहिए। 

उत्पन्न मुद्दे ?

  • यह प्रथा कानून के शासन और नियत प्रक्रिया को कमजोर करती है और जीवन के अधिकार जैसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है।

बल प्रयोग

  • पुलिस और सुरक्षा बलों पर अत्यधिक बल प्रयोग करने के आरोप लगते रहे हैं।

फर्जी एनकाउंटर 

  • उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना संदिग्धों को खत्म करने के लिए वर्तमान समय में  फर्जी एनकाउंटर के कई सारे मामले सामने आ रहे हैं। 

निरंकुशता

  • इन घटनाओं ने दंडमुक्ति, जवाबदेहिता में कमी और कानून प्रवर्तन अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं।

जनता के बीच अविश्वास

  • ऐसी घटनाओं से जनता अक्सर न्याय की संवैधानिक प्रक्रिया के प्रति विश्वास खो देती है।

एनकाउंटर जनता के बीच लोकप्रिय क्यों हैं?

सुरक्षा की धारणा

  • जनता के मन में यह विश्वास होता है कि ऐसी मुठभेड़ से अपराधियों को रोकने और उनके समुदायों को सुरक्षित बनाने में मदद मिल सकती है।

न्याय की धीमी गति से निराशा

  • भारतीय कानूनी प्रणाली धीमी और लंबी होने के वजह से कुछ लोग एनकाउंटर को न्याय की प्रक्रिया को तेज करने के तरीके के रूप में देखते हैं।

मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी 

  • कुछ लोगों को मानवाधिकारों के निहितार्थों के बारे में पता नहीं होता है और वे बिना किसी आधार के इसका समर्थन करते हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission - NHRC)

  • देश में मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम,1993 के द्वारा 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया था। संसद द्वारा पारित अधिनियम के अनुसार गठित होने के कारण यह एक स्वतंत्र सांविधिक निकाय है।

मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019

  • हाल में किये गए संशोधन के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त किसी ऐसे व्यक्ति को भी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 2 से 3 किया जाएगा, जिसमें एक महिला सदस्य भी शामिल होगी।
  • मानवाधिकार आयोग में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजनों सम्बंधी मुख्य आयुक्त को भी पदेन सदस्यों के रूप में शामिल किया जा सकेगा।
  • संशोधन के अनुसार राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों के कार्यावधि को 5 वर्ष से 3 वर्ष किया जाएगा और वे पद पर पुनर्नियुक्ति के भी पात्र होंगे।

डेली अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत कुछ परिस्थितियों में पुलिस, एनकाउंटर कर सकती है। 
  2. प्रकाश कदम बनाम राम प्रसाद विश्वनाथ गुप्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा फर्जी एनकाउंटर को निर्दयी हत्या माना। 

 उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2 दोनों
(b) केवल 2
(c) केवल 1
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR