प्रारम्भिक परीक्षा – पूर्ण सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
संदर्भ
- 14 अक्टूबर 2023 को उत्तरी अमेरिका , मेक्सिको और सेंट्रल अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में वलयाकार (Ring of Fire) सूर्यग्रहण देखा गया।
![Ring-of-Fire](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//Ring-of-Fire.jpg)
प्रमुख बिंदु
- यह ग्रहण भारतीय समयानुसार रात के 8:34 मिनट पर प्रारंभ हुआ और सुबह 2.24 मिनट पर खत्म हुआ।
- यह सूर्यग्रहण वर्ष 2023 का दूसरा सूर्यग्रहण था, जिसे भारत में नहीं देखा गया है।
- इसके साथ ही 28 अक्टूबर 2023 को दूसरा चंद्रग्रहण भी देखा जायेगा।
पहला सूर्यग्रहण 20 अप्रैल 2023 को और पहला चंद्रग्रहण 5 मई 2023 को देखा गया था।
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सूर्यग्रहण
- जब सूर्य एवं पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता तो पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश न पड़कर चन्द्रमा की परछाईं पड़ती है, इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहा जाता है। सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) हमेशा अमावस्या के दिन होता है।
- जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य चन्द्रमा आ, जाता है तो सूर्य कि रोशनी चंद्रमा के चारो तरफ एक रिंग की तरह दिखाई देती है, जिसे “Ring Of Fire” के नाम से जाना जाता है।
- जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीधी सरल रेखा में होते हैं तो इस स्थिति को युति - वियुति या सिजिगी (Syzygy) कहा जाता है।
- युति (Conjunction) सूर्यग्रहण की स्थिति है तथा वियुति (Opposition) चन्द्रग्रहण की स्थिति में बनती है।
चन्द्रग्रहण
![Lunar-Eclipse](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//Lunar-Eclipse.jpg)
- जब पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा के बीच आ जाता है तो सूर्य की रोशनी चन्द्रमा तक नहीं पहुँच पाती है तथा पृथ्वी की छाया के कारण उस पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति को चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse) कहते हैं। चन्द्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात को होता है।
- एक वर्ष में अधिकतम सात चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण की स्थिति हो सकती है।
- पूर्ण सूर्यग्रहण देखे जाते हैं, परंतु पूर्ण चन्द्र ग्रहण प्रायः नहीं देखा जाता, क्योंकि सूर्य, चन्द्रमा एवं पृथ्वी के आकार में पर्याप्त अंतर है।
सूर्यग्रहण का प्रभाव
- सूर्यग्रहण के समय बड़ी मात्रा में पराबैगनी (Ultra Violet) किरणें उत्सर्जित होती हैं, जिसका प्रभाव मानव की आँखों पर पड़ सकता है, इसीलिए इसे नंगी आँखों से देखने के लिए मना किया जाता है।
सूर्य एवं चन्द्रमा की आकर्षण शक्तियों का पृथ्वी पर प्रभाव
- सूर्य और चन्द्रमा की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वार-भाटा कहा जाता है। इससे उत्पन्न तरंगों को ज्वारीय तरंग कहते हैं।
![Ultra-Violet](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//Ultra-Violet.jpg)
- सूर्य,चन्द्रमा से बहुत बड़ा है, लेकिन सूर्य की अपेक्षा चन्द्रमा,पृथ्वी के नजदीक होता है, जिससे उसकी आकर्षण शक्ति का प्रभाव सूर्य से दोगुना होता है। इस कारण पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर ज्वार-भाटा की ऊँचाई में अंतर पाया जाता है।
- 24 घंटे में प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार-भाटा आता है।
- जब सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो इस समय उनकी सम्मिलित शक्ति के परिणामस्वरूप दीर्घ ज्वार आता है।
- दीर्घ ज्वार की स्थिति को सिजिगी (Syzygy) कहा जाता है। ऐसी स्थिति पूर्णमासी एवं अमावस्या को देखी जाती है।
- जब सूर्य, पृथ्वी एवं चन्द्रमा मिलकर समकोण बनाते हैं तो चन्द्रमा एवं सूर्य का आकर्षण बल एक दूसरे के विपरीत कार्य करता है जिसके फलस्वरूप निम्न ज्वार आता है।
- ऐसी स्थिति कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष के सप्तमी या अष्टमी को देखी जाती है ।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : सूर्य एकं चन्द्रग्रहण के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) हमेशा अमावस्या के दिन होता है।
- जब सूर्य, पृथ्वी एवं चन्द्रमा एक सीधी सरल रेखा में होते हैं तो इस स्थिति को युति - वियुति कहा जाता है।
- चन्द्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात को होता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर : (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : सूर्यग्रहण तथा चंद्रग्रहण का पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
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