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लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3 : भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन)

संदर्भ

मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पारितंत्र को अधिक कुशल बनाने के लिये ‘नेशनल लॉजिस्टिक पोर्टल’ (NLP) को ‘एकीकृत लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म’ (Unified Logistics Interface Platform: ULIP) के साथ संयुक्त किया जाएगा।

एकीकृत लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म

  • यू.एल.आई.पी. (ULIP) को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ‘उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग’ ने डिज़ाइन किया है। इसे एक पारदर्शी विंडो प्लेटफॉर्म बनाकर भारत में दक्षता बढ़ाने और रसद की लागत को कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो वास्तविक समय जानकारी प्रदान कर सकता है।
  • छह मंत्रालयों की 24 डिजिटल प्रणालियाँ यू.एल.आई.पी. के माध्यम से एकीकृत की जा रही हैं। इससे एक राष्ट्रीय एकल खिड़की लॉजिस्टिक पोर्टल बनेगा, जिससे लॉजिस्टिक लागत कम करने में मदद मिलेगी।
  • विदित है कि यू.एल.आई.पी. ‘प्रौद्योगिकी कॉमन्स’ पहल के तहत परिकल्पित की गई सात परियोजनाओं में से एक थी।

भारतीय लॉजिस्टिक क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ

  • उच्च ऑर्डर गहनता अनुपात (High Order Intensity Ratio) : लॉजिस्टिक क्षेत्र में सलंग्न विभिन्न भारतीय कंपनियाँ अधिक मात्रा में ऑर्डर प्राप्त करती है परंतु सीमित संसाधनों के कारण इनकी समयबद्ध आपूर्ति कंपनियों के लिये चुनौती है।
  • परिवहन चुनौतियाँ : भारत विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में वर्गीकृत है। देश के आंतरिक हिस्सों में सड़कों की स्थिति परिवहन योग्य नहीं है, जबकि पहाड़ी क्षेत्र दुर्घटनाओं और भूस्खलन से ग्रस्त हैं। अत्यधिक मात्रा में यातायात के साथ-साथ अधिक संख्या में बूथ एवं टोल स्टेशनों के कारण भी लॉजिस्टिक कंपनियों के समय व धन की बर्बादी होती है। 
  • रेल टैरिफ : रेल परिवहन और माल परिवहन की उच्च लागत भी समयबद्ध वितरण व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालता है क्योंकि भारतीय रेलवे भी व्यस्त नेटवर्क की समस्या से ग्रस्त है। बाढ़ और शीतलहर जैसी मौसमी घटनाओं के कारण रेल सेवाओं के रद्द होने से लॉजिस्टिक कंपनियों को भारी नुकसान पहुँचता है।
  • बंदरगाह एवं पोत परिवहन :
    • माल परिवहन के सभी संभावित साधनों में पोत परिवहन सर्वाधिक समय लेता है। बंदरगाहों पर स्टॉफ की कमी और कार्गो की निकासी में देरी के कारण भी लॉजिस्टिक्स कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता है।
    • साथ ही, तटीय बंदरगाहों में गहराई की कमी के कारण बड़े जहाजों के डॉक करने में विफलता भी एक बुनियादी ढाँचागत समस्या है। इसलिये, कम दूरी पर तटीय बंदरगाह होने के बावजूद भी कार्गो को बड़े जहाजों पर भेजे जाने के लिये लंबी दूरी के मार्ग का चयन करना पड़ता है।
  • कुशल श्रमिकों व विशेषज्ञों का अभाव : भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कुशल कर्मियों और विशेषज्ञों की अत्यधिक कमी है। लागत कम करने के लिये कंपनियाँ लॉजिस्टिक्स कर्मियों के प्रशिक्षण से भी समझौता करती हैं, जिसके कारण कंपनियों को निम्न प्रदर्शन वाले मानव संसाधन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • उच्च तकनीक अपनाने में देरी : भारत में लॉजिस्टिक कंपनियां लागत को कम करने के लिये अपनी तकनीक को समय पर अपग्रेड नहीं करती हैं। हालाँकि, इस दृष्टिकोण से दीर्घकाल में कंपनियों को अधिक नुकसान होता है।
  • उचित भंडारण सुविधाओं का अभाव : भारत में उचित भंडारण सुविधाओं का अभाव है। सरकारें अनाज भंडारण के लिये बड़े गोदामों का उपयोग करती हैं, जिससे कार्गो भंडारण के लिये बहुत कम स्थान उपलब्ध होते हैं।
  • वैश्विक दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा : भारतीय लॉजिस्टिक कंपनियों को इस क्षेत्र में बेहतर सेवाओं के साथ वैश्विक दिग्गज कंपनियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता हैं। ‘फ्री-वन डे डिलीवरी’ जैसी सुविधाओं के साथ अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ ग्राहकों के विश्वास पर एकाधिकार कर लेती हैं, जबकि भारतीय कंपनियाँ ऐसी सेवाएँ प्रदान करने के लिये लागतों को वहन करने में सक्षम नहीं हैं।
  • ईंधन लागत में वृद्धि : ईंधन की कीमतों में वृद्धि परिवहन लागत में वृद्धि के लिये मुख्य रूप से उत्तरदाई हैं। इससे माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि होती है, परिणामस्वरूप कंपनी द्वारा अर्जित लाभ में कमी आती है।

          आगे की राह

          • भारत में सड़क अवसंरचना में समस्या तथा रख-रखाव में कमी के कारण परिवहन क्षेत्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क अवसंरचना में व्यापक निवेश की आवश्यकता है ताकि सभी मौसम के अनुकूल तथा गुणवत्तापूर्ण सड़कें माल-परिवहन के लिये उपलब्ध हो सकें।
          • रेलवे के माल परिवहन शुल्क में युक्तिसंगत वृद्धि होनी चाहिये। बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना करने वाले क्षेत्रों में रेलवे को विशिष्ट रणनीति अपनानी चाहिये।
          • बंदरगाहों पर आवश्यक एवं प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति तथा जहाजों के डॉकिंग के लिये बंदरगाहों में अवसंरचनात्मक सुधार के माध्यम से जल-परिवहन को सुलभ, किफ़ायती व सुरक्षित बनाया जा सकता है।
          • उच्च तकनीक के प्रति तीव्र अनुकूलन लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार की व्यापक संभावनाओं को प्रेरित करता है। यू.एल.आई.पी. इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
          • भारतीय लॉजिस्टिक क्षेत्र को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये उचित भंडारण सुविधाओं के साथ-साथ ईंधन की कीमतों में होने वाले अनिश्चित उतार-चढ़ाव के लिये भी उचित नीति की आवश्यकता है।
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